________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 1988 ) निषेधः [निर + व्यष्+घञ ] 1. अन्दर घुस जाना | निभाणः [मिश्रि+शानच् ] सान, सिल्ली, शाण2. अन्तर्दष्टि। प्रस्तर। मिर्युषित (वि०) [निर् +वि+वस्+क्त ] व्यय किया निवावस्थपतिन्यायः (पु.) एक नियम जिसके आधार गया, बीत गया, अतीत / पर कर्मधारय और तत्पुरुष दोनों समासों की प्राप्ति मिर्च्ड (वि.) [निर्वि+ऊह+क्त ] 1. समरव्यूह में होने पर, पूर्ववर्ती अर्थात् कर्मधारय ही बलीयान् व्यवस्थित 2. सफ़ल 3. बाहर धकेला गया। होता है। नियुंकि निर्वि+ऊह+क्तिन्] उच्चतम बिन्दु या अंश। निवेकः [नि+षि+पा] आसुत, लव, अर्क / नियंहः (निर्वि+ऊह, +अच्] खूटी-महा० 3160 / 39 / निक्तु (पुं०) [नि+षिच्+तुच् ] पिता, जनक / निहरणम् [निर् +ह+ल्युट् ] विषहर, विषनाशक / निवेषिन् (वि०) [ निषेध+इनि ] 1. प्रत्याख्यान करने निहरिः[निर++घञ्] घटाना। | वाला, वर्जन करने वाला 2. आगे बढ़ने वाला। निहारिन (वि.) [निर्हार+इनि] 1. फैलाने वाला | निष्कम् निष्क+अच् ] विदाई, प्रस्थान, खानगी। 2. एक प्रकार की सुगन्ध जो और सब सुगन्धों से निकल (वि.) [ निष्कल् +अच् ] (संगीत० में) अनुबढ़िया हो। | बरित या अव्यक्त (वाणी)। निहांसः [ निर+हस्+घञ्] छोटा करना, संकुचित निकालनम् [निष्कल् +णि+ल्युट ] दूर भगाना, करना। हटाना। निलयनम् [नि+ली+ल्युट् ] घर, आवास, निवास / निष्कतिः [ निः++क्तिन् ] भर्त्सना, शिड़की -स्त्रियानिलायनम् [नि+ली+णि+ल्युटु ] आंखमिचौनी का स्तथापचारिण्या निष्कृतिः स्याददूषिका-महा० 12 // खेल खेलना-भाग० 1011159 / 34 // 30 // निवहः [नि+वह+अच् ] हत्या, वध / निष्कर्षम् [ निः+कृष्-अच् ] टैक्स लेने के लिए प्रजा निवातकवचाः (पु.) (ब० 30) एक जनजाति का नाम। का उत्पीडन / निवापः [नि+व+घञ्] 1. बीज, अन्न के दाने निकान्त (वि.) [ नि:+कम+क्त ] 1. बाहर निकला 2. श्राब के अवसर पर पितृतर्पण 3. उपहार / सम० हुआ 2. आगे आया हुआ-अर्षनिष्क्रान्त एवासो-दु. -अञ्जलिः तर्पण के लिए दोनों हाथों की अञ्जलि स०३१३४। में लिया हुआ पानी,-अन्नम् यज्ञीय आहार। निष्टनः [नि: तनु+अच् ] कराहना, आह भरना--रा० निवारकः [नि++णिच्+ण्वुल] प्रतिरक्षक। 2012 / निवासः [नि+वस्+घा ] 1. घर, मकान, आवास। निष्ठापित (वि.) [नि:+स्था--णिच्+क्त ] सम्पन्न, सम-भूमिः रहने का स्थान,---रचना भवन, मन्दिर, पूरा किया गया-माल.६। -स्थानम् रहने की जगह / निष्ठानित (वि.) [ निष्ठान+इतच् ] मिर्च मसाले के निविश (तुदा० आ०) 1. फेंकना, बन्दूक का निशाना छौंक से युक्त, अचार चटनी आदि सहित / बनाना 2. (मन को) प्रभावित करना / निष्ठित (वि.) [नि+ष्ठि+क्त] जिसके ऊपर थूका निविष्ट (वि.) [नि+विश्+क्त] कृष्ट, आवधित (देश)। गया हो- भाग० 1022159 / निवृत (भ्वा० आ०) 1. वापिस आना 2. भाग जाना | निष्पातः [निः+ पत्+घ ] धड़कन, कम्पन / 3. बच निकलना 4. समाप्त होना 5. सम्पन्न होना, | | निष्पन्द (वि.) [नि+स्पन्द+अच् ] गतिहीन, अचल, प्रेर० बाल छोटे कराना। स्थिर,...(पुं०) मित्रता का बन्धन-आर्षोऽयं निवत्त (वि.) [नि+वृत्+क्त ] जमा हुआ, व्यवस्थित, देवि निष्पन्द:--रा० 3155 / 35 / 'विनियमित (जैसे कि सूर्य) / सम०-योवन (वि.) निष्पूर्तम् [निः+-+क्त ] धर्मशाला, धर्मार्थ बना जिसे फिर जवानी दी गई हो, जिसकी जवानी लौट | विश्रामभवन / - आई हो। मिकोश (वि.) [ब० स०] बिना म्यान का। निशारत्नम् [ष० त०] 1. चन्द्रमा 2. कपूर / निश्चकित (वि.) [ब० स०] बिना किसी चालाकी के, निशिचार[सप्तम्यलुक् समास] निशाचर, राक्षस, पिशाच / ईमानदार, सच्चा। निचायः [ निः+चि+घञ्] समाज, सत्संग। निष्पाल (वि.) [निस्+पर+क्त ] भली-भांति पकाया मिाचारकम् [नि:+च+वल ] 1. पुरीषोत्सर्जन हुआ। 2. वायु, हवा 3. धृष्टता, दुराग्रह, हठ। | मिष्परामर्श (वि.) [ब० स०] जिसे कोई उपदेश न निश्चिता (वि.) [ब० स०] 1. जिसने अपना मन मिला हो, असहाय / पक्का कर लिया है 2. यथार्थ न्याय करने वाला। निष्णुराण (वि.) [ब० स०] अभुतपूर्व, मया, नूतन / For Private and Personal Use Only