________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir / 1277 ) से पास नहीं जाता है,-गुणितम् (नपुं०) i लितिका ( स्त्री० ) षक प्रकार की जानवरों की भलीप्रकार अध्ययन नहीं किया गया-शास्त्रं दुर खाल जिस पर बाल बहुत लगे होते हैं---कौ० अ० णितं यथा-अवि०२१४, -गोष्ठी कुसंगति, षडयंत्र, 2111 / --मयः 1. बुरी रणनीति 2. अनैतिकता 3. धृष्ठता वृतः[दु+क्त, दीर्घ: ] 1. हरकारा 2. एलवी, राजदूत / -नुपः बरा राजा,-व्यस्त (वि०) दुर्यवस्थित, सम० काम्या 'दूरासम्प्रेषण' ने विषग का काव्य, बाप (वि०) प्रतिबंधरहित, बुव (वि०) दुर्मना, जो मेघदूत वधः (47) दूत की हत्या करना दुष्ट मन बाला, भिषण्यम् (नपुं०) अविकित्स्यता, ..दूतवध्यां विगर्हता-रा०६५३,-संपातः,-संप्रेषणम् असाध्यता-बु० उ०१४. मकु (वि०) दूत भेजना। ढीठ, आशा न मानने वाला, मरम् (न०) कठिन इत्यम् [ दुत---यत् दृत का कार। मृत्यु, अप्राकृतिक मरण,-मषित (वि.) उकसाया दूर (वि०)। दुर्इ ण् - रक्, धातालापः | 1. फासल हुआ, भड़काया हुआ..---मैत्र शत्रु, वरी, ग्रामः पर, दूरी पर, दूर 2. अत्यन्त, बहत अधिक / सम० ब्राह्मणों (अग्रहारोपजीवी) की बस्ती के पास बसा ..... अपेत (वि०) प्रकरण से बाहर, अप्रासंगिक, असंहुआ गाँव, --विद्ध (वि०) जिसमें छिद्र ठीक प्रकार गत, आगत (वि०) दूरी से आये हुए, उत्सारित न हुआ हो (मोती), विमर्श (वि.) जिसकी परीक्षा / (वि०) दूर भगाया हुआ, - गामिन् (पु.) बाण, करना कठिन हो,- विवाहः अनियमित विवाह, 'पात, पातिन् (वि०) जो दूर से निशाना लगा व्यबहतिः (स्त्री०) मिथ्या अभियोग, झूठा ! नकता है---शास्त्रविद्भिरनाधृष्यो दूरपाती दृढ़व्रतः आरोप / ___महा० 5.165 / 25, पातनम् दूर तक निशाना दुरोणम् (वेद०) आवास, अतिथिदु राणसद् . ऋक् लगाना, श्रवणम्-श्रुतिःदुर से सुनना (एक 'सिद्धि 414015 / का भेद), -श्रवस् (वि.) दूर-दूर तक विख्यात / दूषक (वि०) [ दुप्-|-णिच् -बुल ] अधार्मिक, धर्महीन / दूरता, त्वम् [ दूर-+तल, त्व दुरी, फासला। दोषः / दुष्+घा ] 1. अपराध, द्रा, निन्दा, अटि दृडकः (पु.) वरती में खोद कर बनाया हुआ चूल्हा / 2. पाप, जुर्म 3. अवगुण, दुःस्वभाव 4. वात पित्त दृढ (वि.) [ दह, नक्त, नि० नलापः / 1. स्थिर, मजकफ का विकार। सग. अक्षरम दोषारोपण, बूत, अटल, अडिग, अथक 2. ठोस 3. पुष्टीकृत दोषारोप का शब्द आविष्कारणम दोपों को प्रकट 4. धैर्यवान् 5. सटा हुआ। सम०. पृति (बि.) करना,--निरूपणम् घटियों का संचल कन्ना। . दृढ़ निश्चय, साहसी, नाभः अस्त्र का प्रभाव रोकने दुस [ दु+सुक ] संज्ञा पदों के साथ, कम कभी क्रियापदों वाला मंत्र 0 11.05. पृष्ठक: कछुवा,-भूमिः के साथ भी, लगने वाला उपसर्ग, इसका अर्थ यौगिक अध्ययन में जिसने मन को केन्द्रित कर लिया है 'धुरा' 'दुष्ट' घटिया' 'कठिन' आदि ('दुस् का! है,-भदिन, वेधिन (पु.) अच्छा तीरन्दाज, 'स्' स्वरो तथा हर वर्गा से पूर्व 'र' में; छ से पूर्व ! --मन्यु (वि०) प्रचण्ड क्रोधी-भार्गवाय दृढ़मन्यवे 'श' में तथा कप से पूर्व 'ए' में बदल जाता है)। पुनः रष० 11164 -- वृक्षः नारियल का पेड़। सम-उपस्थान (वि.) अंगम्य, पहुँच के बाहर, दृतिः (पु०, स्त्री०) [+क्लिन् ह्रस्वः, 1 पिचकारी या -कुलम् अधम कुल ...स्त्रीरत्नं दुष्कुलादगि गनु० : नल . ता देवरानुत मन्त्रीन्सिणिचुतीभिः-भाग० २।२३८,-कुह (वि.)पाखण्डी, दम्भी० वृद्ध 118, 1075 / 17 / -कीत (वि०) जो उचित रूप सेन खरीदा गया दोपशान्तिः (स्त्री) घमंड यूर-चूर करना। हो,---चिक्यम ज्योतिष शास्त्र में लग्न से तीसरी दर्शवम् (अ०) हर दृष्टि में, प्रत्येक दृष्टि म / राशि,-प्रक्रिया नगण्य अधिकार-राज. 84, दर्शपूर्णमासन्यायः (पुं० ) ऐसा नियम जिसके आधार पर प्रतीक (वि.) पहचानने में कठिन-प्रद (वि.) बह कार्य जो अनेक फलों का उत्पादक है, एक समय दुःखदायी, पीडाकर--अब भीताः पलायन्तु दुष्प्रदास्ते में केवल एक ही फल उत्पन्न कर सकता है, अनेक दिशो दश-रा० २।१०६।२९,--मरम् असामयिक | नहीं--मी०सू०४।३।२५-२८ / और दुःखद मृत्यु, सधः 1, कुत्ता 2. मुर्गा,-संस्थित | दर्शनम् [ दश+ल्य] 1. देखना 2. प्रकट करना (वि०) देखने में कुरूप, निन्द्य, कलङ्कयुक्त,-स्थम् 3. जानना 4. दुष्टि 5. निश्चयात्मक कथन, उक्ति (अ)बरा, अस्वस्थ--दुःस्थं तिष्ठसि यच्च पथ्यमधुना --दर्शनादर्शनयोश्च दर्शनं प्रमाणम् मै० सं० 107 / कर्तास्मि तच्छोष्यसि--अमरु / 36 पर शा० भा०। दुम्बकूपिका (स्त्री०) एक प्रकार की रोटी। दर्शनीयतम (वि.) [ दुश् / अनीयर् - मप् ] जो देखने बुबाला (पुं०) एक प्रकार की मूल्यवान् मणि / में अत्यन्त सुन्दर है-दर्शनीयतम शान्तम भाग। For Private and Personal Use Only