________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 1268 ) जगद्गुरुः [ 10 त०] श्री शंकराचार्य का नाम / जातिवः स्त्री०) [जाति---ग--क्तिन् ] जन्म लेना जगच्चरिखका (स्त्री०) ब्रह्मसंहिता पर भट्टोत्पलकृत एक --जातिगृद्धधाभिपन्नाः - महा० 5 / 60 / 9 / टोका। जातुभमन् (वेद०) (वि०) सदेव पोषण करने वाला-स जगचित्रम् (नपुं०) विश्व का एक आश्चर्य पश्येदानीं जातूभर्मा श्रद्दधान ओजः --- ऋक्० 11103 / 3 / जगच्चित्रम-रा० 7134 / 9 / जानराज्यम् [जनराज+ष्य ] प्रभुसत्ता-बाज०९।४०। जगतीपतिः [प.त. शासक, राजा त्रिमप्तकृत्वो | जानतः (पुं०) छान्दोग्य उपनिषद् में वणित एक राजा जगतीपतीनाम् कि० 618 का नाम। जमघापयः (पुं०) पगडण्डी।। जामदग्न्यः [जमदग्नि-|-अण | परशुराम / जबघाबलम् [10 त०] दुम दबा कर भागना / जामातबन्धकम् (नपुं०) स्त्रीधन, दहेज / जटापाठः (पु०) वेद मन्त्रों के मूलपाट को सस्वर पढ़ने | जारणम् [ज-णिन्- युट् ] 1. क्षीण करना 2. धातुओं की एक रीनि। पर जारेय की पतं चढ़ाना / जटावल्लभः (10) 'जटापार' की प्रणाली गे वेदपाट करने | जाहय (वि०) 1. स्तुति के योग्य निरर्गलान् सजाहमें प्रवीण विद्वान् पुरुष।। ध्यान् महा 9 / 49 / 3 2. जिसमें तीन बार दक्षिणा जनः / जन+अच] 1. प्राणधारी, जीव 2. मनप्य दी जाय जास्थ्यान त्रिगुणक्षिणानित्यर्जुनमिधः 3. एक व्यक्ति 4. राष्ट्र, जाति / सम..-आश्रयः - महा० 291170 पर टीका 3. आमिपोपहार विष्णकण्डी वंश के राजा की उपाधि, जिसे ज्ञानाश्रयी में समृद्ध। छन्दोविचिति का प्रणेता समझा जाता है, ---जल्पः जालकम् (नपुं०) एक प्रकार का वृक्ष .. भाग०,८०२।१९ / लोकोक्ति, कहावत, किवदन्ती. मारः महामारी। जालोरः (40) कठमीर में एक अग्रहार-विहारमग्रहार जनंसह (वि.) लोगों का दमन करने वाला ---मत्रासाहो व जालोराख्य च निर्म में राज० 1198 / जनभक्षो जनंसह-क०२१२७३। जयः | जि- अच् ] 1. महाभारत का एक विशेषण-देवी जपत (वि०) [जाशता सन्यासी (साधारणतः 'जपतां सरस्वनी व्यासं ततो जयमदीरयेत- महा० 1221 वरः' प्रयोग प्रचलित)। 2. जयजयकारों से पूर्ण विजय जयेन वर्धयित्वा च जम्बमालिन (40) रायण की सेना के एक गक्षम का ग० 723 / मम० --(अजय)-अयाजयो नाम। (... अपजयौ) जीत तथा हार, गत (वि०) जीतने जम्भसाधक (वि०) आयुर्वेद का ज्ञान रखने वाला--इति / वाला, विजयी उक्तविपरीनलक्षणसंपनी जयगतो से कथयन्ति म्म ब्राह्मणा जन्ममाधका: ...मETO विनिर्दिष्टः ब० नं०१७।१०। 6820 / जितहस्त (वि.) [ब० स० जिमने अपने हाथ को जम्भकः [जभ् +ण्वुल, नुम् ] 1. द्रोही. विश्वामघाती अभ्यस्त कर लिया है। माधु भो जम्भक साध- दूत. 2. औषधोपचार जित्यः [जि-क्यपएक उपकरण जिमके दाग जुते हुए 5164 / 16 / खेत को समस्नर किया जाता है। जपन्तिः (म्बी०) तगज़ की इण्डो। जिल्लिकाः (ब० ब०) एक राष्ट्र का नाम - महा० 6 // नभरि (वि.) (वेद०) सहारा देने वाला मण्येव जरी | तुर्फरी तु ऋक्०१०१०६६ / जिहीतर (वि.) [त० स०] जो आलसी न हो - जिीजलन [जल+अच् ] 1. पानी 2. सुगंधयुक्त औषध का तरब्रह्म तदन्यवाप्यम् न०६३ / पौधा 3. गाय का भ्रूण / सम-आगमः वर्षा ऋतु, जिहित (वि.) [जिह्म-इतच 1 1. व्याकुल - परिश्रम -- प्रपातः झरना, शर्करा ओला, करका,-नावः / जिझितेक्षणम् ... कि० 10.10 2. टेढ़ा बनाया हुआ, आंख का एक रोग। सका हआ (जैसा कि 'जिह्मगति' में)। जलावभेषज (वि०) [ब० स०] उपचारक औषधियाँ जीमतप्रभः [ब० स०] एक प्रकार का रत्न--को. रखने वाला-रुद्रं जलाषभेषजम् ...ऋक. 143 / 4 / / अ०२।११।। अबस् (नपुं०) [ ज+असुन् ] (वेद०) गति, धाल, जीवकोशः (पुं०) सुक्ष्म गरीर, लिङ्गशरीर भाग. शीघ्रता, पयोभिर्जन्ये अपां जवांसि-ऋक्० 4 / 218 / / 10182 / 48 / बासकपकम् (नपुं०) जन्मकुंडली, जम्मपत्रिका। बीवन्तिका (स्त्री) [जीव+त+कीप, कन, इस्ता] जातिक्षयः [प०१०] जन्म का अन्त, जन्म से मुक्ति 1, सद्योजात शिशों की देखभाल करने वाली देवी -पु. च० 174 / 2. एक पौर्य का नाम / For Private and Personal Use Only