________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 1274 ) तोनों (वेदों) से युक्त एकक है, विद्य (वि०) जो -लोहकम् सोना, चांदी और तांबा तीन पातुएँ, नों वेदों में निष्णात है,--वेध (वि.) जो तीनों -वली (स्त्री०) (किसी महिला) के पेट की तीन वेदों के द्वारा जाना जा सकता है-त्रयीवेद्यं हृचं वलियां,-बली गदा, - इत्तिः यज्ञ, भैश्य और त्रिपुरहरमाद्यं त्रिनयनम् --आनन्द० २,--संवरणम् अध्ययन के द्वारा जीविका,-शर्करा तीन प्रकार छिपाने या गुप्त रखने की तीन बातें (स्वरन्ध्रगोपन, की शक्कर,-सवनम् (सवणम) कालिक या, पररन्ध्रान्वेषणगोपन और मन्त्रगोपन) अर्थात अपनी . सरः मिला कर उबाले हुए, दूष, तिल और चावल दुर्बलता, शत्रु को दुर्बलता और अपनी नीति। ---साधन (वि.) तीन प्रकार के साधन जिसे प्राप्त त्रि (सं० वि०) [तु-+-ड्रि ] तीन / सम-अब गुलम् / हैं, सामन् (वि०) अह, रहस्य और प्रकृति नाम तीन अंगुल चौड़ाई की माप,--आर्षेयाः (१०व०) के तीनों सामों को गाने वाला,-सुपर्णः,-सुपर्णम 1. तीन पुरुष बहरा, गूंगा और अंधा 2. तीन तीन ऋचाएं-ऋ० 101114 // 3-5 / ऋषियों से युक्त प्रवर,-कटु / - कटकम्) सोंठ त्रिकत्रयम् (नपुं०) त्रिफला, त्रिकटु और त्रिमद का पीपर और मिर्च का समाहार,-करणम् मन, बचन / समिश्रण। और कर्म से युक्त कार्यकलाप,-करणी और से राशिक (वि०) [विराशि--ठक ] तीन राशियों से विगुना लंबा किसी वर्ग का पार्श्व,--कामम् अमर सम्बन्ध रखने वाला। कोश नामक ग्रन्थ, गुणाकृतम् तीन बार हल से | त्रैवेदिक (वि.) [त्रिवेद+ठक तीनों वेदों से सम्बन्ध कृष्ट, जिसमें तीन बार हल चल चुका है, जातम् | * रखने वाला। तीन मसालों (जायफल, इलायची, दारचीनी) का | स्वञ्च (म्वा० पर०) 1. जाना 2. सिकुरना। मिश्रण,---णेमि (वि०) जिसमें तीन पुठ्ठियाँ लगी / स्वरतात्विर+तला शीघ्रता। हों - भाग० ३१८५२०,-नेत्रफलः नारियल,-पिटकम् त्वरम् (अ.) [ त्वर+अच् ] जल्दी से, शीघ्रतापूर्वक / बोडों के तीन धार्मिक पुस्तकों के संग्रह,-भङ्गम् स्वष्टि: [त्वक्ष-क्तिन् ] बसाईगिरी। शरीर की ऐसी मुद्रा जिममें तीन झुकाव हो,- मवः | स्वाष्ट्र (वि.) [त्वष्ट्र+अण् ] त्वष्टा से संबंध रखने तिगुना अहंकार, मलम, मल मत्र और कफ तीनों वाला। मल.-पव (वि.) तोल में तीन जौ के बराबर, / स्वाष्ट्री[त्वष्ट्र+डीप 'चित्रा नक्षत्र पंज। पुर (तुदा० पर०) 1. ढकना. पर्दा डालना 2. छिपाना, | थोउनम् [ थड+ल्युट ] 1. दकना 2. लपेटना। गुप्त रखना। बंधित (वि.) [दंश्+क्त ] किसी विषय में प्रस्त। दाई ओर 2. दक्षिणदेश से,- गा (स्त्री.) (यज्ञादि -दंशितो भव कर्मणि ----महा० 1212219 / धार्मिक कृत्यों की समाप्ति पर) ब्राह्मणवर्ग को दी बस (चुरा० आ०) 1. डंक मारना 2. देखना / जाने वाली भेंट। सम० : पथिक वि०) दक्षिणाबन (भ्वा० प्रेर०) 1. प्रसन्न करना 2. सशक्त बनाना | वर्त मे सम्बन्ध रखने वाला,-प्रतीची दक्षिण-दक्षयन्द्रिजगणानपूयत-शि०१४।३५ / पश्चिम, - प्रत्य (वि.) दक्षिण-पश्चिमी,---मृतिः बसता [द+अच्, भावे तल ] कुशलता, नैपुण्य / (पुं०) शिव का एक रूप। रक्षिण (वि०). [दक्ष +इनन् ] अनुकुल / पण [दण्ड+अच् ] 1. डंडा, लाठी, मुद्गर, गदा 2. हाथी दक्षिणाम्नायः (पुं०) रक्षणावर्त से सम्बन्ध रखने वाली की सू. 3. छतरी की मूठ 4. जुरमाना 5. हलस तांत्रिक संप्रदायक, पुनीत पीठ। 6. राज्यतंत्र-कौ० अ० 125 7. भाषात. पोट पक्षिणा (अ.) [दक्षिण+टाप् ] 1. दक्षिण की ओर, / -न्यासो दण्डस्य भूतेष-भाग० 7 / 15 / 8 / समः For Private and Personal Use Only