________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 1273 ) पुनः [ तुझ्+अच् ] दवाव / / तृष्ण (वि.) (वेद०) [ नृद्+क्त ] कटा हुआ, फाग़ तोरः [तुद्+घ ] दबाव-मात० 1131 / हुआ। तुम्विलित (वि०) [ तुन्दिल--नच ! जिसकी तोंद फल | तप्सता [ तृप्त--तल ] सन्तोप, तृप्ति / " गई है, मोटे पेट वाला। सरपतिः[०त. तरणी या नावों का अधीक्षक। तुम्बारम् (नपुं०) तुम्बा। तरणितनया [50 त०] यमुना नदी। तुर्पयन्त्रम् (नपुं०) (कोणनापने का) पादयन्त्र / तारकम् [त। णिच् +ण्वुल ] तारा----शान्तर्भग्रहतारकम् तुला [ तुल-+अङ ] 1. घर की छत के नीचे की ओर ...-भाग० 13 / 3 / / ढलवां लगा हुआ शहतीर 2. तराजू की इंडो। सम० | तेजस् (नपुं०) [तिज्+-असुन् ] 1. क्रोव 2. सूर्य / सम० - - अधिरोहणम् मिलता-जुलता, अनुमानम् सादृश्य, पुञ्जः प्रभापुरुज, कान्ति का संग्रह। सादृश्य पर आधारित अनुमान,-.-धारणम् नगलू पर तंजस (वि०) [ तेजस्+अण् | राजस गुणों से युक्त, रखना अर्थात् तोलना। -वकारिकरजसश्च तामसश्चेत्यहं त्रिधा भाग० तुल्य (वि०) [ तुलया संमितं यत् ] 1. उसी प्रकार का, 35 / 30 / वैसा ही, मिलता-जुलता 2. उपयुक्त 3. अभिन्न, वही तंजसम् (नपुं०) 1. ज्ञानेन्द्रियों का समूह 2. चेतन सृष्टि / -ल्यम् (अ.) 1. एक साथ 2. समान रूप से। तमित्यम् (ना.) मन्दता, जाइय, जड़ता। समकक्ष (वि.) समान, वरावर,--नवतविन | योन विकास जीव जन्नओं की सष्टि से (वि.) 1. जय रात और दिन दोनों समान हो सम्बन्ध रखने वाला। 2. रात और दिन में कोई भेद न करने वाला, तलम [ तिलस्य तत्मदशस्य वा विकारः अण्] 1. तेल -निन्दास्तुति (वि०) अपनी प्रशंसा या अपयश 2. लोबान / सम-अम्बका तेलचट्टा नामक कीड़ा, ... दोनों की ओर से उदासीन, मूल्य (वि.) समान ---किट्टम् वली, पकः, पायिकः तेल पीने वाला मूल्य का, एक सी कीमत का,---योनिः उसी बंश का, कीड़ा. तेलचट्टा,-i-पूर (वि०) जो तेल से भरा हआ उसी कुल में उत्पन्न,---वयस् (वि.) समान आयु हो अतैलपूरा: सुरतप्रदीपा:--कु० 1110 / का, बराबर की उम्र का, संख्य (वि०) समान सोटक (वि०) [तोट-नान् ] झगड़ाल,--कः (पुं०) संख्या का। शंकर का शिष्य, --कम् (प्रोटकम्) एकः छन्द का वल्यशः (अ0) समान भागों में, बराबर बराबर / नाम। तुलसि दे० तुलसी, (कविता में 'तुलसी' को 'गुलमि' भी | तोयम् / लु- गत नि० ] 1. पानी 2. पूर्वापाढा नक्षत्रपुंज। लिख देते हैं)। सम अभिः जलवी आग, बाडवानल,-अम्जलिः सद (तदा०पर०) चोट पहुंचाना, तंग करना, नाट वा. दवों और पितरों को गंतप्त करने के निमित्त अजलि पीड़ित करना। भर जल मे तर्पण करना / तषी (स्त्री०) नील का पौवा / | तोरणम् [ तुर+युत्, आधारे ल्युट् ] 1. डाटदार हार सूतकम् (नपुं०) नीला थोथा। 2. बाहरी दरवाजा 3. अस्थायी अलडकृत द्वार तूसपीठो,-लासिका (स्त्री०) तकुवा, कातते समय जिस पर 4. तराजू को लटकाने के लिए एक त्रिकोणीय ढांचा। लपेटा जाता है। | सौन्छ्यम् [ तुच्छ+ध्या ] तुच्छता, नगण्यता। तृष्णींवयः (पं०) गप्त रूप से दिया गया दण्ट-कौर तौरङ्गिक (वि०) [ तुर+ठक ] घुड़सवार। अ० 1111 / तौकिक (वि) तुमष्क-ठक ) तुर्की जाति से तुषः तचम् | त्रि---ऋस् ] ऋग्वेद के तीन मम्मों का / सम्बद्ध। समूह / त्यवतविधि (नि.) / ब० गलियों का उल्लङ्गन तणम | तह + वन, हलापश्च / 1. घाग 2. तिनका करने वाला। 3. तिनकों की बनी (चटाई आदि) कोई वस्तु / स्पद ( स० वि०) (की० ए० ब० स्यः (0) सम... गणना तिनके की भांति तुच्छ समझना--- तण (ट) जप सशकारचाभवत्-ते. उ०। गणना गुणरागिणां घनेषु-विक्रमांक० 52, त्याजित (वि.) [त्यज्+णिन्+क्त ] 1. वञ्चित -पूलिक: मानवी गर्भस्राय चरक०४।४।१,-भूग - पोष्मणा त्याजिनमाद्रभावम्- कु. 14 (वि.) बास खाने वाला, तृण भक्षी, शालः सुपारी 2. निष्कासित। का पेड़, षट्पदः एक प्रकार की भिर्र। त्रयी (स्त्री०) [ प्रय+की ] 1. वेदत्रयी (ऋग्यजुःसाम) तुणता [तण+तल] 1. तिनके का गण, निकम्मापन 2. तिगुना 3. विवाहित स्त्री (माता) जिसका पति 2. धनुष-शि० 19161 / और बच्चे जीवित है। गग० -- मय (वि०) जो For Private and Personal Use Only