________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 1272 ) तक्ता (स्त्री०) ताजगी, ताजापन / संगीत में गान को ताल व लय के मान को सुरक्षित ताटः (पुं०) भिखारी, मांगने वाला। रखने में त्रुटि, ताल का टूट जाना। तर्कमुद्रा (स्त्री०) हाथ को विशेष स्थिति। तावत्कल (वि.) [ब० स०] उतना सा ही फल भोगने तलोदरी (स्त्री०) गृहिणी, पली। वाला। तलवः ) अपनी हथेली से वाद्ययन्त्र को बजाने वाला | तिग्माचि [ब० स० सूर्य ___ संगीतकार / सम० -काराः सामवेद की एक शाखा। तिसिलम् (नपुं.) 1. ज्योतिषशास्त्र में एक करण 2. तिलों तलित (वि.) [तल+क्त ] 1. तला हुआ 2. तली- का चिउड़ा, चौले। - दार। तिथिः | अत+इथिन्, पृषो०] 1. चान्द्रदिवस 2. पन्द्रह सलिन (वि.) [ तल-इनन् ] ढका हुआ-- विक्रमांक की संख्या / सम०-अर्षः (तिय्यर्षः) एक करण 14 // 61 / सम० -उबरी पतली कमर वाली (आधी तिथि), प्रलयाः (ब०व०) किसी भी महिला। निर्दिष्ट अवधि में सौर और चान्द्र दिवसों का तबकः (0) धोखा, जालसाजी तवक: कपटेऽपि च. | अन्तर। --नाना। तिमिः [ तिम् ---इन् ] 1. समुद्र 2. मीन राशि / सम. तसरिका (स्त्री०) बुनना, बनावट / ..घातिन (वि.) मछियारा, मछलियां पकड़ने बाला, तस्थी (स्त्री०) (ज्योतिष शास्त्र का शब्द) पट् कोण। मालिन् समुद्र / ताजिकः (पुं०) 1. मध्यवर्ती एशिया में रहने वाली एक तिमिला (स्त्री) संगीत का एक उपकरण, तबला / जाति 2. एक उत्तम प्रकार के घोड़े की नस्ल / तिरस्कारिन् (वि०) / तिरस्कार--इनि ] ज्ञात करने तापपनाह्मणम् (नपुं०) सामवेद के एक ब्राह्मणग्रन्थ का | वाला, आगे बढ़ जाने वाला,-देवि त्वन्मुखपनाम / जेन शशिन: शोभातिरस्कारिणा रत्न० 1124 / तात्कय॑म् (नपुं०) [ तत्कर्म+व्यञ् ] व्यवसाय की | तिर्यच, तिर्यञ्च (थि०) 1. टेढ़ा, तिरछा, वक्र 2. घुमावसमानता। दार 3. अन्तर्वर्ती,--(पुं०),-(नपुं०) 1. जानवर, तात्पर्यापः (पुं०) किसी उक्ति का सही अर्थ / जन्तु (टेढ़ा-मेढ़ा. चलने वाला, लेट कर चलने वाला तावात्विकः (0). अपव्ययी, यो यद् यद् उत्पद्यते तत्तद् ..सोधे खड़े होकर चलने वाले मनुष्य से भिन्न) __भक्षयति स तादात्विक: कौ० अ० 29 / 2. पक्षी 3. पौधे / सम- वि०) किसी जानसाडघम् (नपुं०) [तद्धर्म+ष्य ] गुणों में समानता। वर से उत्पन्न, ज्या टेढ़ी ज्या। ताप्यम् (नपुं०) [तद्प-व्या रूप की समानता। [सिलः| तिल |-क | तिल का पीधा / सम-कठः तिलतापसकः [तापस+क] (=कुतापस.) आचारभ्रष्ट कुट,-मयूरः मोर की एक जाति / संन्यासी। | तिहन् (पुं०) 1. रोग 2. चावल, वान्य 3. धनुष तामसः (0) चौथे मनु का नाम। , 4. भलाई। तार (वि.) [ त+णिच्+-अच् ] 1. ऊँचा 2. प्रबल | तीक्ष्णकष्टकः [50 स० J तेज कांटेदार पौषा / 3. चमकीला 4. उत्तम,-र: (पुं०) धागा, तार। तीक्ष्णमार्गः [ब० स०] तलवार-सासृनाजिस्तीक्ष्णतारणेयः [ तारणा+ढक् ] कन्या से उत्पन्न, कानीन, / मार्गस्थ मार्ग:-शि० 18120 / कर्ण 2. सूर्य का भक्त / तीर्घचर्या ( स्त्री०) [ष० त०] तीर्थ यात्रा। तारा [तार+टाप्] 1. आठ प्रकार की सिद्धियों में से तीवद्युतिः [ब० स०] सूर्य, सूरज / एक2. संगीत के एक राग का नाम / तीवा (स्त्री०) 1. काली सरसों 2. संगीत का एक स्वर / तारिका (स्त्री०) [त+-णिच्+ण्वुल ] एक प्रकार की | तु (अ०) निस्सन्देह-तु शब्द: संशयव्यावृत्यर्थः-मै० सं० शराब। 103 / 74 पर शा० भा०। तासम् (नपू0) एक प्रकार का चन्दन जिसका रंग तोते 20) 1. ऊँचा 2. लम्बा 3. मुख्य 4. प्रबल,के पंखो जैसा होता है-कौ० अ० 211 / (पुं०) पुन्नाग वृक्ष - नाना / ताल: [तल एव अण्] 1. ताड़ का वृक्ष 2. तालियां तुमिन् (पु.) [ तुङ्ग इमनिच ] ऊँचाई-कृतनिश्व बजामा 3. फट-फट करना 4. हाथ की हथेली 5. तल- यिनो वन्यास्तुशिमा नोपभुज्यते-पंच० 21146 / बार की मूठ 6. ताला, लटखनी। सम०- जो | तुच्छवय (वि.) [ब. स. ] दयारहित, निर्दय / संगीतशास्त्र की ताल को जानता है, पारक: नर्तक, तुच्छपाय (वि.) [ब० स०] नगण्य / नाचने बाला,-मबमी भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष का 1 तुञ्ज (भ्वा० पर०) निकालना, भींचकर निकालना, रस नवा दिन,-फलम तार के वृक्ष का फल,-भङ्गः। निकालना। For Private and Personal Use Only