________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 1253 ) काम्यकः (पुं०) महाभारत में वर्णित एक जंगल का नाम / / -आनः 1. आम का एक भेद, 2. एक टापू का कायिन् (वि.) [ काय+इनि ] बड़े आकार प्रकार का, | नाम,-कञ्जम् नील कमल,--कण्ठी कालकण्ठ की -समूलशाखान् पश्यामि निहतान् कायिनो द्रुमान् - पत्नी, पार्वती, कल्लक: पनियाला सांप, .. जोषक: महा० 121113 / 4 / / जो समय पर मिले पतले भोजन से ही संतुष्ट है,-पष्टः कायाधवः [ कयाधु+अण् ] कयाधु का पुत्र, प्रह्लाद / जिसे मौत ने इस लिया है,-धौतम् (कलधौतम्) कारकम् [कृ+ ल] 1. इन्द्रिय, अंग 2. (व्या० में) चाँदी या सोना,-पर्ययः देरी, विलम्ब, वक्तुमर्हसि वाक्य में संज्ञा और समापिका क्रिया का मध्यवर्ती सुग्रीवं व्यतीतं कालपर्यये, पुरुषः यमराज का सेवक, संबंध। सम.. विभक्तिः संज्ञा और क्रिया के -रुद्रः संसार को नष्ट करने के अपने भयंकर रूप में मध्य संबंध स्थापित करने वाली प्रक्रिया। विद्यमान रुद्र, वृतः कुलत्थ, एक प्रकार की दाल, कारणम् [कृ-णिच्+ल्युट ] हेतु, निमित्त पूर्व जन्म से -संकषिणी मंत्रविद्या जिससे समय की अवधि कम की आई हुई वृत्ति, पूर्ववासना महा० 12 / 211 / 6 / जा सके, सङ्गः देरी, विलम्ब,-कार्यस्य च कालसङ्गः, सम० कारितम् (अ०) फलस्वरूप-यदि प्रवाजितो -रा०४।३३१५३,-समम्बित, (-समायुक्त), मृत रामो लोभकारणकारितम् रा० 2058 / 28 --अन्त- मरा हुआ। रम् (कारणान्तरम्) 1. भिन्न प्रसंग, परिवर्तन शील कालतः (कासमदः), खांसी को भगाने वाली औषष। हेतु 2. कारण परक हेतु / कालन ( वि० ) [ कल् + णिच् + ल्युट् ] नाश करने कारणता [कारण+तल+टाप् ] कारणपना, हेतुत्व वाला। -प्रलयस्थितिसर्गाणामेकः कारणतां गतः --कु० 2 / 6 / कालिका (स्त्री०) [ काल+ठन् ] 1. एक प्रकार की शाक कारापकः [ कार+आपकः, त० स०] भवन के निर्माण ____भाजी 2. तेलन, तेली की स्त्री 3. कुहरा धुंध / ' कार्य का अधीक्षक, काम की देखभाल करने वाला। कालित (वि.) [काल+इतच् ] मत, मरा हुआ --नाधुना कारूषाः (व०व०) 1. एक देश का नाम 2. अन्तर्वर्ती | सन्ति कालिताः---भाग० 1051418 / जाति का (पिता व्रात्यवैश्य तथा माता वैश्य) पुरुष / कालिदासः (पुं०) 1. एक यशस्वी कवि और नाटककार कारूषम् (नपुं०) मल या पाप ... रा० 1 / 24 / 20 / / ___ का नाम 2 नलोदय और श्रुतबोध के प्रणेताओं की कार्कलास्यम् [कृकलास+व्या ] छिपकली की स्थिति। भांति अन्य कवि। कार्णाट भाषा (स्त्री०) कन्नड़ भाषा / कालिय (वि.) [ काल+घ] 1. समय से संबद्ध 2. एक कार्तिकः[ कृतिका+अण | स्कन्द का विशेषण / साँप का नाम जिसका कृष्ण ने दमन किया था। कार्पटिक: [ कर्पट+ठक 1 कपटी, धोखेबाज, ठग। कालोन (वि.) [ काल+ख] किसी विशेष कालभाग से कासितन्तुः (सूत्रम्) [कसी+अण =कार्पासस्तस्य संबद्ध। तन्तुःष० त०] कपड़े का धागा। कालेयाः (पुं०, ब० व०) [ काली+ठक् ] कृष्णयजुर्वेद कार्मणत्वम् [ कर्मन्+अण, तस्य भावः त्वम् ] जादू, टोना की शाखा या संप्रदाय / कार्मणत्वमगमन् रमणेषु-शि० 10 // 37 / कालोलः (पुं०) कौवा। कार्मान्तिकः (0) उद्योग धन्ध और निर्माणकार्यों का काशिक (वि.)[ काशी+ठक] काशी में बना हुआ, ___ अधीक्षक-कौ० अ० 1112 / / __ रेशमी वस्त्र, बनारसी कपड़ा। कार्मारिकः [ कार्मार+ ठक् ] बर्थी - को० अ० 2 / 3 / / काशिकाप्रियः (पुं०) धन्वन्तरि / कार्यम् [+ ण्यत् ] शरीर-कार्याश्रयिणश्च कललाद्याः | काय (वि.) [ काशी--ढक् ] काशी का, काशी से (कार्यशरीर)-सां० का० 43 / सम.--अपेक्षिन् संबंध रखने वाला। (वि०) किसी विशेष कार्य को करने वाला, | काश्मकराष्ट्रक (वि०) हीरों का एक भेद-की०म० ...-आधयिन् (वि०) शरीर का सहारा लेने वाला 2 / 11 / का० ४३,-व्यसनम् कार्य में विफलता,-वशात काश्यपेय (वि०) [ कश्यपा ( अदिति )+ठक् ] सूर्य, (अ०) किसी प्रयोजन से, किसी काम से। गरुड़ और बारह आदित्यों का विशेषण, -यः (10) कालः [कलयति आयु: कल+णिच् +अच्] 1. सांख्य दारुक, कृष्ण का सारथि / कारिका में बताये चार पदार्थों में से एक ---प्रकृत्यु- काषण (वि.) कच्चा, जो पका न हो। पादानकालभागाख्याः - सां० का० 50 2. समय काषायबसना [ब० स०] विधवा / का कोई भाग। सम०-अष्टकम् 1. आषाढ़ मास काष्ठम् [ काश् +क्थन् ] लकड़ी। सम० -अषिरोहणम कृष्णपक्ष के पहले आठदिन 2. काल भैरव का स्तोत्र चिता में बैठना, ... पुलका लकड़ियों का गठ्ठा,---भार जिससे शंकर की स्तुति की गई है, बाविकः चैत्रमास | लकड़ियों का बोझ / For Private and Personal Use Only