________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 1247 ) एगशिशुः (-शावकः) [ष० त०]हरिण का बच्चा, छोना / | एलासुगन्धि (वि.) इलायची की सुगन्ध से युक्त / एगा: [ब० स०] चन्द्रमा। एव (अ.) [इ+वन्] पुन:, फिर-एवशब्दश्च पुनरित्यर्थे एगाचूर [ब० स०] शिव जी। भविष्यति मी० सू० 10-8-36 पर शा० भा० / एतत्पर (वि.) इस पर तुला हुआ, इसमें लीन / एष (म्वा० उभ०)जानना,-एषितुं प्रेषितो यातो--भट्टि. एतनः [आ++तन] 1. निःश्वास, सांस 2. एक प्रकार 5.82 / की मछली। एषिका [एष्+ण्वुल+टाप्] लोहे का शहतीर जिसमें कोई .एताबमात्र (वि.) [एतद्+वतुप+मात्रच्] इस स्थान छल्ला या टोपी न हो। तक, इस माप का, इस अंश तक, ऐसा। एष्टव्य (वि.) [एष+तव्य] जिनके लिए प्रयत्न किया एलादि (वि.)[1० स०] कुछ आयुर्वेदिक औषधियों का जाय, जिनकी लालसा हो, जिनके लिए लालायित हुआ पुञ्ज-जो इलायची से आरम्भ होती हैं। जाय। ऐककर्म्यम् [एककर्म+ध्य] 1. कार्य की एकता 2. एक | ऐन (वि०) [इनः सूर्यः, तस्य, इदम् ---अण्] सूर्य संबंधी ही फल में अंशभागी होने की स्थिति मी० सू० 111 - निर्वर्ण्य वर्णेन समानमैनं--- रा० च० 6 / 25 / 11 पर शा० भा०। ऐन्दव (वि०) [इन्दु+अण्] चाँद का उपासक नैं. ऐकगुण्यम् [एकगुण+व्या] एक इकाई का मुल्य / | 1176 / सम-किशोरः दूज का चाँद-ऐन्दव. ऐकमुल्यम् [एकमुख+ष्या] 1. पूरा अधिकार 2. अधी- | किशोर शेखर ऐबम्पर्य चकास्ति निगमानाम् - मुख०। नता। | ऐरम् [इरा+अण्] राशि, ढेर। ऐकान्यम् [एकान्त+व्य] 1. एकान्तता, निरपेक्षता, | ऐश्यम् [ईश्+व्या ] सर्वोपरिता, सर्वोच्चता। एकान्तवास 2. मित्रता। ऐश्य (वि.) [ईश्+ण्यत्] ईश संबंधी। ऐक्यारोपः [ष० त०] समीकरण / ऐश्वरकारणिकः [ईश्वर+अण् + करण+ठक्] एक नयाऐतशप्रलापः [ष० त०] अथर्ववेद का एक अनुभाग जिसका यिक का नाम। द्रष्टा ऐतश ऋषि था (यह भाग कुन्ताप सूक्तों के | ऐश्वर्यम् [ईश्वर+ष्य] सर्वशक्तिमत्ता, तथा सर्वपश्चात् आता है। व्यापकता की शक्ति -- महा० 12 / 184 / 40 / मोकज (वि०) [उच+क, नि० चस्य कः, तस्मिन् जायते / ओपशः (वेद०) तकिया, सहारा, अवलम्बन / -जन-+3] घर में उत्पन्न या पले (गी आदि पश)। ओलज (म्वा० पर०) फेंक देना, उछाल देना / मोकणी [ओ+कण+अ+डीप्] सीमावर्ती जंगल। ओषधिः ओष+था+कि 1. सोम का पौधा 2. कपूर / मोघः [उच+पा, पुषो०प०] तीन वाद्य विधियों में से | बोष्ठः [उष्+थन् होठ / सम०--अवलोप्य (वि.) जो एक-नागा० 10 // 14 / होठों से खाया जा सके,-पाकः सरदी के कारण होठों मोजस् [उज्+असुन, बलोपः, गुण] वेग, गति-एष का फटना। प्रतिबलः सन्ये रथेन पवनौजसा-रा. 7 / 29 / 12 / | ओष्ठप (वि.) [ओष्ठ+यत्] ओष्ठ संबंधी, जो होठों मोजापितम् [ना० प्रा० ओज+यक्ति ] साहसपूर्ण पग, | पर रहे। सम-योनि (वि.) जो ओष्ठध्वनि से हिम्मत से युक्त व्यवहार / उत्पन्न हो, स्थान (वि.)जो होठों से उच्चरित हों। 7: - - - 157 For Private and Personal Use Only