________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (. 1230 ) -रा० / 22 / 28 / सम०-कृत् जो आज्ञा का पालन / आनुत् (दिवा० पर०) नाचना, उछालना-आनृत्यतः करता है - तवादेशकृतोऽभियान्तु-- रा० 5 / 52 / शिखण्डिनो-अथ० 4 / 377 / / आदेशिकः [आदेश+ठक्] 'भविष्यवक्ता, ज्योतिषी-पुष्प आनुशंस्यम् [अनृशंस+व्या प्ररक्षक की आतुरता-स्त्री भद्रादिकरादेशिकरादिष्टा स्वप्न०१" | प्रपाष्टेति कारुण्यादाश्रितेत्यानृशंस्यतः-रा० 5.15 / 50 / आद्यकालिक ( वि०) [आदी भवः यत् -- काल+ठक] | आन्तःपुरिक (वि०) [ अन्तःपुर ठक् ] अन्तःपुर से संबंध केवल वर्तमान को देखने वाला-आद्यकालिकया रखने वाला। बुद्ध्या दूरे श्व इति निर्भयाः-महा० 12 // 321 / 14 / / आन्तःपुरी [ अन्तःपुरे भवः अण्, स्त्रियां ङीप् ] अन्तःपुर आषणिकः [अधम+ऋणिकः] कर्जदार, -- मूलात्तु द्विगुणा की सेविका, नौकरानी-नै० 19 / 65 पर नारायण / वृद्धि र्गहीता चाधर्णिकात् .. शुक्र० 41880 / आन्तरागारिकः [अन्तरागार+ठक ] कञ्चुकी / आधानम् [आ+धा+ल्युट्] मैथुन–तवापि मृत्युराधा- | आन्तविक (वि.) [अन्तर्वेद+भ ] यज्ञवेदी के अन्दर . नादकृतप्रज्ञ दर्शितः -- भाग० 9 / 936 / वर्तमान / आधिः [आ-धा+कि] दण्ड,- एनमाधि दापयिष्येद्यस्मा- आन्यतरेय (वि०) अन्यतरा+दुक] किसी अन्य विचारतेन भयं क्वचित्-शुक्र. 41641 / घारा या संप्रदाय से संबंध रखने वाला। आधिमासिक (वि.)[अविमास+ठक अधिमास या मल- | आपच्चिक (वि.) कठिनाइयों को पार करने वाला। मास से संबंध रखने वाला-करणाधिष्ठितमाधिमासि- आपणः[आपण +घा ] व्यापारिक क्रियाकलाप, वाणिज्य कम्-कौ० अ० 27 / -~-पिहितापणोदया-रा० 2 / 48137 / सम-चोषिका आपिरपिः [अधिरथ+इन] अधिरथ का पूत्र, कर्ण-हतं बाजार, -वेविका विक्रयफलक / भीष्भमाधिरथिविदित्वा-महा० 7 / 2 / 1 / | आपदेवः वरुण का नाम, एक मीमांसक का नाम / भाभूत (वि.) [आ+धू+क्त] हिलाया हुआ, क्षुब्ध आपरपक्षीय (वि.) [अपरपक्ष+छ] कृष्णपक्ष से -पवनाघूतलतासु विभ्रमः----रघु०६। संबन्ध रखने वाला। आधारः [आ++घञ] किरण,-आधार आलवाले- आपातमात्र (वि०) क्षणस्थायी, क्षणमात्र रहने वाला। ऽम्बुबन्धे च किरणेऽपि च-नाना। सम-चक्रम | आपात्य (वि०) आक्रमण की इच्छा से आगे बढ़ता हुआ, रहस्यमय या अलौकिक चक्र.जो शरीर के पश्चवर्ती (किसी शत्र पर) टूट पड़ने वाला - आपात्यसैनिकभाग पर स्थित है-सम्यगाधारचक्रे तरुणमरुणगात्रं निराकरणाकुलेन-शि. 5 / 15 / / वारणास्यं त्रिनेत्रम् - गणेश०। आपृष्ट (वि.) [आ पुच्छ+क्त ] 1. सत्कृत 2. पूछ। आनतिकरः [आ+नम् +क्त++अच्] उपहार, पारि- गया - नापृष्टः कस्यचिद्भूयात् / तोषिक / आपोशानः [ष० त०] एक प्रकार के प्रार्थना मंत्र जो मानः आ+नह+क्त ढोल या थपकी-अमानमानद्ध- भोजन से पूर्व और भोजन के पश्चात् आचमन करते मियत्तयाध्वनीत् --नै० 15/16 / समय बोले जाते हैं नै० 19 / 28 / आनन्दकरः [आनन्द++अच्] चन्द्रमा,-काष्ठा यथा- | आप्त (वि.) [ आप्+क्त ] लाभप्रद, उपयोगी-अधिनन्दकरं मनस्त: भाग० 1012 / 18 / ष्ठितं हयज्ञेन सूतेनाप्तोपदेशिना–रा०६९०११० / आनन्दतीर्थः द्वैतसंप्रदाय का संस्थापक श्री माधवाचार्य। सम० अधीन (आप्ताधीन) (वि०) विश्वसनीय आनन्दभैरवी संगीत का एक भेद / व्यक्ति पर निर्भर रहने वाला,-आगमः (आप्तागमः) आनतः,-तम् [आ+नृत्+घा] नाच / विश्वसनीय बैदिक साक्ष्य परोक्षमाप्तागमात् सिद्धम् आनुजीव्यम् [अनुजीवि-+-ष्य] सेवक के प्रति नम्रता का सां. का. ६,-उक्तिः (स्त्री०) (आप्तोक्तिः ). व्यवहार-- पशुपकुलनिवासादानुजीव्यानभिज्ञः-दूत. 1. आगम 2. अनुषंगी 3. सामान्य कथन जो प्रयोगतः 1939 / मान लिया गया हो, उपवेशः (आप्तोपदेशः) किसी आनुपथ्य (वि.) [अनुपथ+व्या] सड़क के साथ-साथ विश्वसनीय व्यक्ति द्वारा दी गई नसीहत,--आप्तोर्यामः चलने वाला। एक प्रकार का यज्ञ / आनुपूर्व्यवत् (वि०) [अनुपूर्व+ष्यन,+मतुप्] निश्चित, | आप्य (वि०)[ आपां इदं अण्, स्वार्थे ष्या .] पनघोड़ा, नियत क्रम को रखने वाला। एक प्रकार का घोड़ा जो पानी में ही उत्पन्न होता है। अनुयात्रम् [अनुयात्रा+अण्] दे० अनुयात्रिक / आप्यम् (नपुं०) (वेद०) जल, पानी-पृथिव्याप्यतेजोअनुयात्रिकः [अनुयात्रा+ठक] अनुचर, सेवक / निलखानि - श्वेत०२।१२। आनुषङ्गिक (वि.) [अनुषङ्ग +ठक्] 1. गौण कार्य आप्यायः [ आप्य + घन ] पूरा होना, फूलना, मोटा 2. टिकाऊ। होना। For Private and Personal Use Only