________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 1232 ) मारङ्गरः (पुं०) मधुमक्खी (वेद०)-आरङ्गगरेव मध्वेर- मद से गीला हो जाता है,-पत्रकः बाँस,--भावः येथे ...--ऋ० 101106 / 10 / 1. गीलापन 2. कृपा, मृदुता -- धनु तोऽप्यस्य दयाआरण्यकसामन् (नपुं०) सामदेव का एक सूक्त / भावम्-रघु० 2 / 11 / आरम्भः [आ+र+घञ, मुम्] 1. शुरू 2. पहला अङ्क। आर्विका (स्त्री०) हरा या गीला अदरक / सम-भाव्यत्वम् क्रियाशीलता के द्वारा ही उत्पादन | आर्यम् [ऋध+अण्] प्रचुरता, बाहुल्य / की स्थिति-मी० सू० १११११२०,-रचिः किसी आर्धनारीश्वरम् [अर्धनारीश्वर+अण् ] भगवान् शिव के उत्तरदायित्वपूर्ण कार्य को शुरू करने में रुचि,--शूरः अर्धनारीश्वर रूप से सम्बद्ध / जो व्यक्ति शुरू शुरू में बहुत अधिक उत्साह |मार्य (वि०) [ऋ+ ण्यत् ] 1. आर्यावर्त का निवासी दिखलाता है। 2. योग्य, आदरणीय, सम्मानयोग्य / सम-आआरवडिण्डिमः [ष० त०] एक प्रकार का ढील-चण्डि- गमः (आर्या+आगमः) आर्य जाति की महिला के रसितरशनारडिडिममभिसर सरसमलज्जम् ---गीत. पास संभोग की इच्छा से पहुँचना- अन्त्यस्यार्यागमे वधः- याज्ञ० 2 / 294, -- जुष्ट (वि०) आयंजनों के आरासः [आ+-रास्+घञ्] घोर शब्द / द्वारा अनुमोदित तथा अनुगत,--मतिः जिसकी बुद्धि आरीण (वि०) [आ+री+क्त] बिल्कुल सूखा हुआ बहुत अच्छी है,-पाक (वि०) आर्य जाति की -~-आरीणं लवणजलं- भट्टि० 1314 / भाषा बोलन वाला,-शील: उत्तम चरित्र से युक्त, आरतम् [आह+क्त] क्रन्दन, विलाप, रोना-धोना अच्छे शील वाला,-सिद्धान्तः आर्यभटकृत ग्रन्थ, -निषेदुः शतशस्तत्र दारुणा दारुणारुताः-- रा०६।। ... स्त्री आर्यमहिला। 106 / 31 / आधिक्यम् | पेरिद ...अण, आ-+-ठक, ततः प्पा आवणेयः [आरुणि+ठक्] आरुणि का पुत्र श्वेतकेतु / आर्यधर्म, वह धर्म जिसकी ऋषियों ने स्थापना की आरोग्यम् अरोगस्य भावः-ष्यत्र] रोग से मुक्ति, अच्छा स्वास्थ्य / सम०--अम्बु (नपुं०) स्वास्थ्यप्रद जल, | आलकन्दकम् (नपुं०) एक प्रकार का मुंगा, प्रवाल-कौ० -चिन्तामणिः आयुर्वेद के एक प्रन्थ का नाम अ० 2 / 11 / --.प्रतिपदव्रतम् स्वास्थ्य प्राप्ति के लिए एक व्रत / आलग्न (वि.) आलग्+क्त ] पालन करता हुआ, आरोपयित (वि०) [आ+रूप+णि+तृच्] धारण चिपका हुआ, अनुपक्त। करने वाला। आलम्बनम आलम्ब+ल्यूट ] मन के अनुरूप धर्म / आर्कम् (अ०) [आ+अर्कम्] सूर्य तक आकल्पमार्कमहन | आलानम् [आलीयतेऽत्र आली+ल्युट लगाव या भगवन्नमस्ते--भाग०१०।१४।४० / स्थिरता का बिन्दु, (पोल, खूटा या रस्सी आदि) आर्चायण (वि.) न० ब०] ऋचाओं में विद्यमान / ---उलूखलं वा यमिनां मनो वा गोपाङ्गनानां कुचआर्चीकम् [अर्चा अस्त्यस्य अण्, स्वार्थे कन्] ऋग्वेद के मंत्रों कूडमलं वा मुरारिनाम्नः कलभस्य नूनमालानमासीत् से युक्त, सामवेद / त्रयमेव भूमौ-कृष्ण / आर्जवम् [ऋजोर्भावः अण्] सम्मुख भाग, (अधि० आजवे आलापा [ आलप् + घ, टाप् ] संगीत की एक मधुर =सम्मुख भाग में सीधा)- देवदतस्यार्जवे---मै० सं० / 1 / 1 / 15 पर शा० भा०।। आलापनम् [आ+लप्+-णि+ल्युट] संगीत शास्त्र आर्त (वि.) [आ+ऋ+क्त] असुविधाजनक-आर्ता के किसी एक राग की विशेषताओं का वर्णन / यस्मिन् काले भवन्ति स आतः काल:- मै सं०६५। आलिक्रमः [आ-+-अल+इन-ऋम्+घञ ] एक प्रकार 37 पर शा० भा० / सम०---त्राणम् जो कठिनाइयों की संगीतरचना, संगीतनिबन्ध / में ग्रस्त है उनको बचाना। आलिजनः| आलि जन: 1 सहेलियाँ। आर्तवम् ऋतुरस्य प्राप्त इति अण्] मासिक ऋतुस्राव, आलेख्यगत (समपित) (वि.) [आलेख्ये गत:-स० त०] -----गिरिकायाः प्रयच्छाशु ह्यस्या आर्तवमद्य वै-महा० चित्र में लिखित, चित्रित --निशीथदीपाः सहसा 1163155 / हतत्विषो बभुवरालेख्यसमर्पिता इव-रघु० 3.15 // आलं (वि.) [आ-+अर्द रिक, दीर्घश्च] गीला, तर। आलिङ्गध (वि०) [ आलिङग्+ण्यत् ] आलिङ्गन करने सम० -एधाग्निः आग जो गीली लकड़ियों द्वारा के योग्य ..0 7.66 / सुरक्षित रखी जाती है -यथैवार्दैधाग्नेः पृथग्धूमा | आलयः [आलीयतेऽस्मिन् -आली+अच् ] ग्राम, आवास, निस्सरन्ति शत०,- कपोलितः उन्माद काल की -मन्दरस्य च ये कोटि संश्रिता केचिदालयाः-रा० दूसरी अवस्था में हाथी जब कि उसका गंडस्थल अपने 4140 / 25 / For Private and Personal Use Only