Book Title: Sanskrit Hindi Kosh
Author(s): Vaman Shivram Apte
Publisher: Nag Prakashak
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 1243 ) उपवञ्चनम् [ उप+बञ्च+ल्मुट् ] दुवकना, नीचे झुक | उपसंवज् (म्वा० पर०) अन्दर कदम रखना। घुसना, कर चलना, लेटकर घिसरना। प्रविष्ट होना। उपपञ्चित (वि.) [उप+व +त] घोखा दिया | उपसंसृष्ट (वि.) [ उप+सम् +सुज+क्त ] 1. संयुक्त गया, ठगा गया, निराश सम्मिलित 2. कष्टग्रस्त, अभिशप्त, निन्दित-ब्रह्मउपवर्तनम् [उप-+ वृत् + ल्युट् ] देश-- स्वभौममेतदुपव- | शापोपसंसृष्टे स्वकुले-भाग० 11 / 30 / 2 / / र्तनमात्मनैव नै०११०२८ / उपसंस्कृत (वि०) [उप + सम् + कृ+क्त ] 1. निष्पन्न, उपवसनम् [उप+वस् + ल्युट ] उपवास करना / पक्व, तैयार किया हुआ 2. अलंकृत, भरा हुआ-अउपोषित (वि.) [उप+वस्+क्त ] जिसने उपवास रख | मृतोपमतोयाभिः शिवाभिरुपसंस्कृता:-रा०५।१४।२५। लिया है। उपसंहतिः [ उप+सम् +ह+क्ति ] 1. उपसंहार, अन्त उपोषितम् (नपुं०) [उप+वस्+क्त] उपवास रखना / 2. विपत्ति। उपोडा [ उप+वह+क्त+टाप्] छोटी पत्नी जो पति | | उपसंक्लप्त (वि०) [ उप+सम + क्लपु+क्त ] ऊपर __ को अधिक प्रिय हो। _ जमाया हुआ-भाग० 41955 / उपविद् (वि.) [उप+विद्+क्विप् ] 1. लाभ उठाने | उपसंग्रहः [ उप+सम् + ग्रह-+अचु ] तकिया। वाला, प्राप्त करने वाला 2. जानने वाला,--(स्त्री०) उपस (तुदा० आ०) संलग्न होना-अथापि नोपसम्जेत 1. अधिग्रहण 2. पृच्छा। __स्त्रीषु स्त्रंणेषु चार्थवित्--भाग० 11 / 26 / 22 / उपविष्ट (वि.) [उप+विश् + क्त]। आसीन, | उपसबनम् [ उपस+ल्युट ] आवास, स्थान (जैसा कि अधिकृत। ___'यशोपसदन' में)। उपविष्टक (वि.) [उप+विश्+क्त+कन् ] जो उपसादनम् [ उपसद् + णिच् + ल्युट् ] नम्रता पूर्वक किसी अवधि पूर्ण होने पर भी अपने स्थान पर दृढ़ता से के निकट जाना। जमा हुआ है (जैसे कि गर्भाशय में भ्रूण)। उपसन्ध्यम् (अ.) [प्रा० स०] संध्या के निकट-उपउपवीश् (उप+वि+ ईक्ष्) (आ०) 1. देखना 2. उचित सन्ध्यमास्त तनु सानुमतः-शि० 9 / 5 / / या उपयुक्त समझना।। उपसा (प्रेर० पर०) 1. दमन करना 2. संवारना, उपव्रजम् (अ०) [प्रा० स०] ग्वालों की बस्ती के पास / व्यवस्थित करना। उपशक (दिवा० उभ०) 1. यत्न करना, सहायता करना उपसर्गः [उप-सज्+घञ बाधा ते समाधावपसर्गा 2. जानना, पूछताछ करना 3. (स्वा० पर०) समर्थ | व्युत्थाने सिद्धयः-- योग० 3 / 39 / / या योग्य होना। उपसर्जनीकृत (वि.) [ उपसर्जन-+च्चि+कृ- क्त ] दमन उपशमः [ उप-1-शम् --] ज्योतिष में बीसा महर्त / किया हुआ, दबाया हुआ, गौण बनाया हुआ-- यथार्थः सम०-क्षयः (जैन०) मूक रहकर कर्म नाश, कर्म शब्दो वातमर्थमुपसर्जनीकृतस्वार्थो व्यक्तः.... ध्वन्या। न करना। उपजित (वि.) [उप-+सुज-+-क्त] व्यस्त, लीन, उपशयस्थ (वि०)[उपशय+स्था+क] पात में लगा हुआ। बिदा किया हुआ-तक्षकादात्मनो मृत्यु द्विजपूत्रोउपशीर्षकम् [उपशीर्ष---कन्] 1. प्रमस्तिक रोग पसजितात् - भाग० 111 / 27 / 2. मोतियों का हार। उपसृष्ट (वि.) [ उप+सृज्+क्त ] 1. छोड़ा हुआ उपशूरम् (अ०) [प्रा० स०] शौर्य की कमी से। -अश्वत्थाम्नोपसृष्टेन ब्रह्मशीष्णोरुतेजसा--भाग० / उपशर (वि०) [प्रा० स०] जिसमें शौर्य की कमी हो। 12 / 1 2. बरबाद, ध्वस्त-कालोपसृष्टनिगमावन उपश्रुतिः [ उप+श्रु+क्तिन् ] 1. जनश्रुति, अफवाह ... भाग 10183 / 4 / -नोपश्रुति कटकान - महा० 5 / 30 / 5 2. अन्तनि- उपसर्पः[ उपसप+घञ 1 तीन वर्ष का हाथी। विष्ट, समावेशन-यथा त्रयाणां वर्णानां संख्यातोप- उपस्कन्न (वि०) [ उप+स्कन्द+क्त ] सगतिक, कष्टश्रुतिः पुरा-- महा० 12164 / 6 3. एक देवी का ग्रस्त, पसीजा हुआ--स्नेहोपस्कन्नहृदया-रा०६। नाम-महा० 12 // 34248 / 111387 / उपश्लोकः [ उप+ श्लोक-+अच् ] दसवें मनु के पिता | उपस्कारः [ उप++घञ्] अचार, चटनी, मिर्चका नाम / मसाला। उपष्टम्भक (वि.) [ उप + स्तम्भ् अच् ---कन् ] सामर्थ्य उपस्तीर्ण [ उप+स्तृ+ क्त ] 1. फैलाया हुआ, बिखेरा देने वाला, पुनर्बलन देने वाला। हुआ, छितराया हुआ 2. वस्त्रावेष्टित, आच्छादित, उपसंयत (वि.) [ उप +-सम् +यम् + क्त ] संयुक्त, | उका हुमा 3. उंडेला हुआ। पक्का जुड़ा हुआ। | उपस्म (वि०) [उप+स्था+क] 1. निकटवर्ती, स्वः For Private and Personal Use Only

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