________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 1226 ) प्रसम्भवत् (वि.)[न+सम्+भू+शत] असंभाव्य, अघट- / / भोग में मस्त हो, सांसारिक विषय वासनाओं में मग्न नीय। -घ्नन्ति ह्यसुतपो लुब्धाः भाग० 101 / 67 / असम्भावना [न+सम् + भू-+णिच् + युच्-+टाप्] सम्मान | असुगन्ध (वि.) [न० ब०] जिसमें खुशबू न आती हो। का अभाव। असुतर (वि०) [न० त०] जो आसानी से पार न किया असम्भावित ( वि० ) [ न+सम् + भू+णिच् + क्त ] | जाय, जिसमें अनायास साफल्य प्राप्त न हो। अयोग्य / सम०-उपमा ऐसी समानता बतलाना जो | असुन्दर (वि.) [न० त०] जो खूबसूरत न हो। असंभव हो। असुरः [असु+र, असुरताः स्थानेषु न सुष्ठुरताः, चपला असम्भाष्य (वि०) [न+सम् + भाष् + ण्यत्] जिससे बात | | इत्यर्थ:] राक्षस / सम-असूफ राक्षसों का रुधिर करना उचित न हो। ~ असुरासृग्वसापङ्कचर्चितस्ते-दे० मा० 11,- गुरुः असम्भोज्य (वि.) [न+सम्+भुज+णिच+-ग्यत्] जो 1. शुक्राचार्य 2. शुक्र नाम का ग्रह,---दूह, राक्षसों का सहभोज में सम्मिलित होने के योग्य न हो-मनु० शत्रु अर्थात् देव पुरः क्लिश्नाति सोमं हि सैहिकेयो९।२३८ / ऽसुरद्रुहाम्---शि० 2 / 35 / असम्मोहः [न+सम् +मुह.+घञ्] 1. माया या भ्रम से असुषिर (वि०) [न-शुष+किरच, शस्य सः] जिसमें मुक्ति 2. आत्मसंवरण 3. सत्य ज्ञान / कोई छिद्र न हो, जो दोषी या कपटी न हो। असम्या प्रयोगः [असम्यञ्च+प्र+युज्+घञ्] अशुद्ध | असूतजरती [असूत+जरती पा० 6 / 2 / 42] वह स्त्री जो व्यवहार, गलत परिपाटी। बिना किसी बच्चे को जन्म दिये ही बूढी हो गई है। असव्य (वि.) [न० त०] दक्षिण पार्व। असूर्त (वि.) [न० ब०] 1. अन्धकारयुक्त 2. अज्ञात, दूरअसानिध्यम [न+सन्निधि-+ष्या] असामीप्य, अनु- वर्ती। सम०---रजसः वे लोग जो सर्वथा अलग-अलग पस्थिति-असान्निध्यं कथं कृष्ण तवासीढष्णिनन्दन रहते हैं . असूर्तरजसो नाम धर्मारण्यं महामतिः ... रा० - महा० 3 / 14 / 1 / 113217 / असामञ्जस्यम् [न+समञ्जस+व्यञ] 1. अशुद्धि असूज् (नपुं०) [न+सृज् -- क्विन्] 1. रुधिर 2. मंगलग्रह 2. अनौचित्य / 3. जाफरान / सम... ग्रहः मंगलग्रह,-दिग्ध (वि०) साम्प्रतिकता (स्त्री०)[न+संप्रति+ठक+ता] अनुचित खून से लथपथ / व्यवहार करने की अवस्था / असेवा [न० त०] अभ्यास का अभाव - न तथतानि शक्यन्ते असाम्प्रदायिक (वि.) [न+सम्प्रदाय+ठक्] जो लोक- सन्नियन्तुमसेवया-मनु० 2 / 96 / सम्मत न हो, जो परम्परा के विरुद्ध हो / अस्तब्ध (वि.) [न० त०] 1. चुस्त 2. जो घमंडी न हो, असावधान (वि.) [न+सह.+अव+धा+ ल्युट्] उपेक्षा / हठी न हो-महा० 5 / 12 / करने वाला, प्रमादी, लापरवाह / अस्तोक (वि.) [न० त०] जो थोड़ा न हो, बहुत अधिक / असाहसिक (वि.) [न+साहस+ठक] जो साहस के साथ | अस्तोभ (वि.) [न-स्तुभ+घा] बिना किसी अवां काम न कर सके या जो बिना विचार न करेन छित शब्द के अस्तोभमनवा च सूत्र सूत्रविदो विदुः, सहास्मि साहसमसाहसिकी-शि० 9/59 / बिना किसी रोक टोक के। असिचर्या [असि-+च+टाप्] शस्त्रास्त्र चलाने का | अस्त्रम [अस्यते क्षिप्यते-अस+ष्टन। 1. फेंक कर मार अभ्यास / करने वाला हथियार 2. तीर, तलवार 3. धनुष / असिलता (स्त्री०) तलवार का फल ददृशुरुल्लसिता सम०-पातिन् (वि.) गोली मारने वाला-अस्त्र सिलतासिता:-शि० 6 / 51 / / / पातिभिरावृतम्-शुक्र० ४।१०३७,-भृत् जो तीर असिहस्तः [न० ब०] जो दाहिने हाथ के तलवार से वार ले जाता है, तीर धारण करने बाला, * यन्त्रम् धनुष, करता हो - महा०६।९०१४ पर नील०। / एक प्रकार का संयन्त्र जिसके द्वारा वीरों की मार की असिताञ्जनी (स्त्री०) काली कपास का पौधा / जाय--महा० 9 / 57 / 18 / असिड (वि.) [न+सिध्+क्त] (व्या० में) अक्रियात्मक | अस्थानम् [न+त०] असाधारण स्थान या प्रदेश अस्थान प्रतिरक्षा अर्थात् रद्द, प्रभावशून्य - पूर्वत्रासिद्धम् -पा० ___ वोपगतयमुनासङ्गमेवाभिरामा--मेघ० / 8 / 2 / 1 / अस्थास्नु (वि.) [न+स्था+स्नु] चंचल, अधीर / असिवान्तः [न० त०] गलत नियम, त्रुटिपूर्ण राधान्त। स्+कथिन्] 1 हड्डी 2. गुठली, या असिद्धार्थ (बि.) [न० ब०] जिसने अपने उद्देश्य में सफ- किसी फल की गिरी। सम० कुण्डम् एक नरक ___ लता न पाई हो। का नाम,-बन्धनम् स्नाय, कंडरा,-भेदिन (वि.) असुतप (वि.) [असु+तृप्-+क्विप्] जो अपने ही सुखोप- | जो हड्डी को बींध दे, अत्यन्त कठोर वाचस्तीक्ष्णाति For Private and Personal Use Only