________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 1222 ) अविच्छिन्न (व०) नि० त० साधारण, सामान्य नविशे-। अविरहित (वि.) [न० त०] अवियुक्त, जो कभी पृथक न __षेन गन्तव्यमविच्छिन्नेन वा पुन:--महा० 12 / 152 / 22 / / किया गया हो--अविरहितमनेकेनाङ्गभाजा फलेन अवितकित (वि.) न० त०] अप्रत्याशित, जिसके लिए .---कि० 5 / 52 / पहले कभी तर्कना न की हो। अविलक्य (वि.) [न० त०] गुप्त, जिसका मुकाबला न अवितळ (वि०) [न० त०] जिसका अनुमान न लगाया | किया जा सके, जिसको रोका न जा सके- अविलक्ष्यजा सके। मस्त्रमपरम् - कि० 640 / अवित (वि.) [अव+-णि-तच प्ररक्षक,-त्रातारमि- अविवक्षितवचनता (स्त्री०) उन मन्त्रों की स्थिति जो न्द्रमवितारमिन्द्रम् - म० ना० 2013 / ___ अपना शाब्दिक अर्थ प्रकट करने के लिए अभिप्रेत अविद (अ०) विस्मयादिद्योतक अव्यय-अर्थ है हन्त, ओह नहीं होते। --मच्छ०१। अविवक्षितवाच्य (वि.) [न० ब०] ध्वनि काव्य का एक अविद् (वि०) [न+विद् -1-क्विप] अनजान, अज्ञानी | भेद जिसमें शाब्दिक अर्थ अभिप्रेत नहीं है। ___-अविदो भूरितमसो - भाग० 3 / 10 / 20 / अविवेचक (वि.) [न० त०] जो किसी वस्तु के विवेचन अविदूषक (वि.) [न० त०] निरीह, भोलाभाला-अहितं __ की बुद्धि नहीं रखता। ___ चापि पुरुषं न हिंस्युरविदूषकम् -रा० 117 / 11 / / अविवेचना [नवि+विच्+युच्+-टाप्] विवेक बुद्धि का अविदूसम् (नपुं०) [अवि। दूस पा० 3 / 2636 वा०] भेड़ | ___ अभाव। का दूध। अविशयः [अव+शी-+-अप] संदेह का अभाव ... यदि बा अविखनस्,--नास् (वि०) [न० ब०] (वह बैल) जिसके | अविशये नियमः-- मी० सू०८१३।३१।। नाक में नकेल न डाली गई हो। अविशेषवचन (वि०) वह कथन जिसमें कोई विशेष विवअविधायक (वि.) [न-विधा+ण्वल] जिसमें विधि या रण न दिया गया हो- अविशेषितवचन: शब्दो न आदेश की शक्ति न हो-नहि विधायकाविधायकयो- विशेषेव्यवस्थापितो भविष्यति-मी० सू० 4 / 3 / 15 / रेकवाक्यत्वं भवति --मी० सू० 10820 पर | अविश्रम्भः [न० त०] विश्वास का अभाव, अविश्वास, शा० भा०। अप्रत्यय / अविनेय (वि.) [न० त०] 1. जो नियंत्रण में न आ सके | अविषक्त (वि.) [न० ब०] निरवबाध, अनियन्त्रित, जिस 2. जो शिष्य न बन सके / पर कोई प्रतिबन्ध न हो तुभ्यं नमस्तेस्त्वविषक्तदअविनाशिन् (वि०) [न० त०] जिसका कभी नाश न हो, ष्टये - भाग० 10 // 40 // 12, अविषक्तवेग:-कि. आत्मा / 13 / 24 / अविनिर्णयः [न+विनिर्+नी+अच्] अनिर्णय, निर्णय का अविषध (वि०) [न० ब०] 1. जिसका निर्णय करना अभाव / कठिन हो-सीमायामविषह्यायाम-मनु० 8 / 265 अविनीय (वि०) निष्कपट, निर्दोष / 2. जो सहा न जा सके - अविष व्यसनेन घुमिताम् अविपर्ययः [न० त०] विरोध का अभाव, संशय का अभाव, -कि० 4130 3. जहाँ पर पहुंचना कठिन हो असन्दिग्ध स्थिति -अविपर्ययाद्विशुद्धम्-सां० का० -चक्षुषामविषह्यम् - महा० 1412013 / 64 / अविसंवादः [न० त०] विरोष न प्रकट करना, अपनी अविप्रतिपत्तिः (स्त्री) [नत०] मतभिन्नता का अभाव प्रतिज्ञा का उल्लंघन करना। ---शब्दस्पर्शरूपरसगन्धेष्वविप्रपत्तिः इन्द्रियजयः-कौ० अविहस्त (वि.) [न० ब०] अनुद्विग्न, साहसी --अथ भूशअ०१।६। मविहस्तस्तत्र कान्तारगर्भ-शिव० 36 / अविप्रवासः [न० त०] एकत्र रहना, घनिष्ठ मिलन। अविहा (अ.) हन्त ! अहो ! / अविप्रहत (वि.) [न० त०] (वह जंगल या मार्ग) जह | अविहित (वि.)[न+विधा +क्त जो नियत न किया ___ किसी के पैर न पड़े हों। / गया हो, जिसका विधान न किया गया हो। अविप्लुत (वि.) [न० त०] अन्यनीकृत, अविकृत / अवी (स्त्री०) [अवत्यात्मानं लज्जया अ+ई ] रजस्वला अविभासित (वि.) न० त०] जो हिसाब किताब में न स्त्री-उणादि. 3158 / लिया गया हो। अवीचिसंशोषणः [अवीचि+सम्+शुष्+णिच् + ल्युट्] अविरल (वि०) [न० त०] विशाल, स्थूलकाय–अविरल- समाधि का विशेष प्रकार। _ वपुषः सुरेन्द्रगोपः ---कि० 1127 / अवृष्टिसंरम्भ (वि.) [न० ब०] बारिश के तैयारी किये अविरविकन्यायः (पुं०) व्याकरण का एक न्याय जिसके | बिना आरम्भ करने वाला-अवृष्टिसंरम्भमिवाम्बुवाआधार पर 'अवि' को 'अविक हो जाता है। हम् -कु०॥ - For Private and Personal Use Only