________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भग० 11 / 28 / कमल की अरामक ऋ+इन् ( 1217 ) -पतिः वरुण, धेगः पानीका बहाव, बाढ़ - यथा / अरात् (अ.) तुरन्त, तत्काल-वर्तन्ति यदनीत्या ते तेन नदीनां बहवोऽम्बुवेगा-भग० 11 / 28 / " सार्क पतन्त्यरात्-- शुक्र० 4 / 12 / 66 / अम्बुजिनी (स्त्री०) अम्बुज+णिनि+डीप] कमल की अराम (वि०) [न० ब०] अरुचिकर, दुःखद / बेल / सम० कुटुम्बिन् (पुं०) सूर्य / अरिकेलिः [ऋ+इन्+केल+इन] शत्रुलीला, स्त्रीरमण अम्मय ( अप् / मय ) ( दि०) जलयुक्त, जलमय -अरिकेलि: शत्रुलीला स्त्रीरत्योश्चापि कीर्तितः --न ह्यम्मयानि तीर्थानि न देवा मच्छिलामयाः -नाना०। --भाग। अरित्रम् [ऋ+-इत्र+अरि+त्र, वा] कवच, जो शत्रुओं से अयन (वि.) अय् / ल्युट] जाने वाला, (प्रयोग प्रायः रक्षा करे (अरिभ्यः त्रायते) नै० 12171 / समस्त पदों में)। सम०-- कलाः ग्रहणविषयक अरीण (वि०) पूर्ण, भरा हुआ-स्वरमध्वरीणतत्कण्ठः विचलन के लिए (भिनटों में) शोधन-सू०सि०, --नै० 665 / . ग्रहः किसी ग्रह की देशान्तररेखा जब कि वह | अरुज (वि.) [म० ब०] 1. जो रोग को नष्ट करे, रोग ग्रहण विषयक विचलन के लिए संयुक्त की गई हो, नाशक विषेभ्यः खलु सर्वेभ्यः कर्णिकामरुजां स्थिराम् ---सू० सि०,-परिवृत्तिः अयन का बदलना- अयन- -सु० 2. नीरोग, पीडारहित / / परिवृत्तिय॑स्तशब्देनोच्यते--मी० सू० 6 / 5 / 37 पर | अरुणकेतुबाह्मणम् (नपुं०) अरुण और केतुओं के ब्राह्मण शा० भा०। का नाम / अयत्नसाध्य (वि०) जो बिना किसी कठिनाई के सम्पन्न अरुणपराशराः (पुं०) एक वैदिक शाखा के अनुयायी हो जाय / -अरुणपराशरा नाम शाखिनः-मै० सं०७।११८ अयत्नोपात (वि०) [अयत्न+उपात्त जो बिना यत्न के | पर शा० भा०। प्राप्त हो जाय / अरुख (वि.) [न+रुध+क्त] निधि, जिसे रोका न अयथाभिप्रेताख्यानम् (नपुं०) बुरे समाचार का ऊँचे स्वर गया हो, निर्विघ्न / से उच्चारण करना या अच्छे समाचार का मन्दस्वर अरुन्धतीदर्शनम (नपुं०) विवाह संस्कार के अवसर पर में कहना अयथाभिप्रेताख्यानं नामाप्रियस्योच्चैः, की जाने वाली एक प्रक्रिया जिसके अनुसार दुलहन प्रियस्य च नीचः कथनम् ---सि० / को अरुन्धती तारा दिखलाया जाता है। अयस् (वि.) [इ-असुन्] जाने वाला, स्पन्दनशील / / अरुन्धतीवर्शनन्यायः यह एक न्याय है, इसके अनुसार 'ज्ञात सम० कणपम् एक प्रकार का अस्त्र जो लोहे की से अज्ञात की भांति ऋमिक शिक्षा ग्रहण की ओर संकेत बनी गोलियों की बौछार करता है अयःकणपच- किया गया है जैसे अरुन्धती को दिखलाने के लिए पहले काश्च भुशुण्डयुद्यतबाह्वः-महा० 11227 / 25 / , किसी और ज्ञात तारे की ओर संकेत किया जाय / ---पिण्डः तोप का गोला।। अरूप (वि०) (न० ब०) वह यज्ञ जिसमें रूप (द्रन्य और अयोगः न+यज-घञ] योगाभ्यास से विचलन, | देवता) का अभाव हो / देवता) का अ ...- दत्तस्त्वयोगादय योगनाथः भाग० 6 / 8 / 16 / / गि० 6 / 8 / 16 / | अरूपिन् (वि.) [न-+रूप णिनि] आकाररहित, बिना अयोनि (वि.) न०व०] अज्ञात माता-पिता की सन्तान किसी रूप का-बाधायासुसैन्यानामप्रमेयानरूपिणः - अयोनि व वियोनि च न गच्छेत विचक्षणः --महा० रा० श२१११६ / / 13 / 103133 / अरोगत्वम् [न० त०] रोग से मुक्त होने की स्थिति / अरकः (इयति गच्छत्यनेन + अच्- स्वार्थ कन्] अर्कः [अर्च+धज., कुत्वम्] 1. सूर्य 2. सूर्यकान्त मणि पहिए का अरा। --अर्कोऽर्कपणे स्फटिके-नै०। सम--ग्रहः सूर्यअरडा (स्त्री०) एक देवी का नाम गो। ग्रहण,-ग्रीवः इस नाम का एक 'साम'-पुष्पोत्तरम् अरण्यपर्वन् (नपुं०) महाभारत के एक अध्याय का नाम / __ इस नाम का एक 'साम',-रेतोजः सूर्य का पुत्र रेवत, अरन्ध्र (वि.) न० ब० जिसमें छिद्र न हों-सघन पयो- -लवणम् यवक्षार / / मुच इवारन्ध्राः -कि० 15140 / अर्घः अघ-+धा] मूल्य, कीमत / सम०---अपचयः अरव (वि०) [न० ब०] शब्दहीन, जिसमें से कोई | मूल्य कम हो जाना, कीमत गिर जाना,-ईश्वरः शिव, आवाज न निकले। --निर्णयः मूल्य निर्धारण / अरस (वि०) न० ब०] 1. अरसिक, जो ललित कला | अर्चनानः (पुं०) अत्रिकुल से संबंध रखने वाला एक ऋषि / को न सराह सके-किमस्या नाम स्यादरसपुरुषाना- अजित (वि.) [अर्जु+क्त अवाप्त, उपाजित-न मे पित्रादरशतैः न० 2. जिसमें कोई सत्त्व न हो, तेज न हो जितं किञ्चिन्न मया किञ्चिजितम्। अस्ति मे ---- अरसो व्याविजराविनाशधर्मा --बु० च० 5 / 12 / / हस्तिशैलाग्रे वस्तु पैतामहं धनम्-वे० दे० / For Private and Personal Use Only