________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्राचीन भारतवर्ष त्वपूर्ण भौगोलिक नाम अंग-गंगा के दक्षिणी तट पर स्थित एक महत्त्वपूर्ण | कलिंग--एक देश का नाम जो उड़ीसा के दक्षिण में स्थित राज्य। इसकी राजधानी चंपा थी, जो अंगपूरी भी है और गोदावरी के मुहाने तक फैला हुआ है। ब्रिटिकहलाता था। यह नगर शिलाद्वीप के पश्चिम में शकाल की उत्तरी सरकार से इसकी एकरूपता लगभग 24 मील की दूरी पर विद्यमान था। इसी स्थापित की जाती है। इसकी राजधानी कलिंग लिए यह या तो वर्तमान भागलपुर था, अथवा उसके नगर प्राचीन काल में समद्रतट से (तू० दश०७वां कहीं अत्यंत निकट स्थित था। उल्लास) कुछ दूरी पर संभवतः राजमहेन्द्री में थी। अंध्र-एक देश और उसके अधिवासियों का नाम। यह दे० 'अंध्र' भी। वर्तमान तेलंगण ही माना जाता है। गोदावरी का कांची-दे० 'द्रविड' के अन्तर्गत / / मुहाना अंध्रों के अधिकार में था। परन्तु इसकी | कामरूप-एक महत्त्वपूर्ण राज्य जी करतोया या सदानीरा सीमाएँ संभवतः पश्चिम में घाट, उत्तर में गोदावरी, के तट से लेकर आसाम की सीमा तक फैला हआ है। तथा दक्षिण में कृष्णा नदी थी। कलिंग देश इसकी यह उत्तर में हिमालय पर्वत तक तथा पूर्व में चीन एक सीमा था (देखो दश०७ वाँ उल्लास)। इसकी की सीमा तक फैला हुआ होगा, क्योंकि यहाँ के राजा राजधानी अंध्रनगर संभवतः प्राचीन वेंगी या ने किरात और चीन की सेना के साथ दुर्योधन की वेगी थी। सहायता की थी। इस राज्य की प्राचीन राजधानी अवंति-नर्मदा नदी के उत्तर में स्थित एक देश। इसकी लौहित्य या ब्रह्मपुत्र नदी के दूसरी ओर प्राग्ज्योतिष राजधानी उज्जयिनी थी जिसे अवंतिपुरी या अवंति थी। तु० रघु० 4181 / / और विशाला (मेघ. 30) भी कहते थे। यह शिप्रा कांबोज - एक देश और उसके अधिवासियों का नाम / नदी के तट पर स्थित थी। मालवा देश का पश्चिमी यह हिन्दुकुश पहाड़ के उस प्रदेश पर रहते होंगे जहाँ भाग है / महाभारत काल में यह देश दक्षिण में यह बलख से गिलगित को पृथक करता है, तथा नर्मदातट तक तथा पश्चिम में मही के तटों तक तिब्बत और लद्दाख तक फैला हआ है। यह प्रदेश फैला हुआ था। अवंति के उत्तर में एक दूसरा राज्य घोड़ों के कारण प्रसिद्ध है। यहाँ पर बकरी आदि था जिसकी राजधानी चर्मण्बती नदी के तट पर जानवरों की ऊन से शाल भी बनाये जाते थे। इसके स्थित दसपुर थी, यह ही वर्तमान धौलपूर प्रतीत होता अतिरिक्त यहाँ अखरोट के वृक्ष बहुत पाये जाते हैं। है। यह रन्तिदेव की राजधानी थी। तु० रघु० 4169 / अम्मक-त्रावणकोर का पुराना नाम। कुंतल-चोल देश के उत्तर में स्थित एक देश। ऐसा आनर्त-देखो सौराष्ट्र। प्रतीत होता है कि कुरुगदे के दक्षिण में कल्याण या इन्द्रप्रस्थ--(हरिप्रस्थ या शक्रप्रस्थ भी कहलाता है। इसी कोलियन दुर्ग इस प्रदेश की राजधानी थी। यह देश नगर की वर्तमान दिल्ली से एकरूपता मानी जाती हैदराबाद के दक्षिण-पश्चिमी भाग का प्रतिनिधित्व है। यह नगर यमुना के बाई ओर बसा हआ था, करता है। जब कि बर्तमान दिल्ली दाईं ओर स्थित है। कुरक्षेत्र-दिल्ली के निकट एक विस्तृत प्रदेश। यहीं उत्कल या ओड-एक देश का नाम / वर्तमान उड़ीसा जो कौरव और पांडवों के मध्य महासंग्राम हुआ था। ताम्रलिप्त के दक्षिण में स्थित है और कपिशा नदी यह थानेश्वर के दक्षिण में इसी नाम के पवित्र सरोवर तक फैला हुआ है-तु० रघु 4138 / इस प्रांत के के निकट एक प्रदेश है जो सरस्वती के दक्षिण से लेकर मुख्य नगर कटक और पुरी हैं जहां कि जगन्नाथ का | दृषद्वती के उत्तर तक फैला हुआ है। कभी कभी इस प्रसिद्ध मन्दिर है। स्थान को 'समंतपंचक' नाम से पुकारते हैं जिसका कमलल-हरद्वार के निकट एक ग्राम का नाम है। यह अर्थ है परशुराम द्वारा वध किये गए क्षत्रियों के रक्त वालिक पड़ाड़ी के दक्षिणी भाग पर गंगा के किनारे के पाँच पोखर'। बसा हुआ है। वहाँ के आसपास का पहाड़ भी कन-कुलत-एक देश का नाम-वर्तमान कुल्ल प्रदेश। यह खल कहलाता है। "प्रदेश जलंधर दोआब से उत्तरपूर्व की ओर शतद्र कपिला दे० 'सुझ' के अन्तर्गत / (सतलुज) नदी के दाईं ओर स्थित है। राजधानबालपुर प्रादपर For Private and Personal Use Only