________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 1 / 31, कु. 5 / 53, मनु० 7 / 217 7. पकड़े जाने / हासिका [हस्+ण्वुल+टाप, इत्वम्] 1. अट्टहास 2. खुशी, योग्य, लटे जाने योग्य - मनु० ८१४१७,-~र्यः 1. साँप | आमोद / 2. बिभीतक या बहेड़े का वृक्ष 3. ( गणि० में) हास्य (वि.) [ हस्+ण्यत् ] हंसने के योग्य, हास्यास्पद, भाज्य / रघु० २।४३,-स्यम् 1. हंसी याज्ञ. 1984 2. खुशी, हाल:हिलो अस्त्यस्य अण, हल एव वा अण्] 1. हल __ मनोरंजन, कीड़ा मनु० 9 / 227 3. मजाक, मखोल 2. बलराम का नाम 3. शालिवाहन का नाम / सम० 4. व्यंग्य, दिल्लगी, ठट्ठा, ---स्थः काव्य में वर्णित -भृत् (पुं०) बलराम का विशेषण / हास्यरस, परिभाषा-विकृताकारवाम्वेषचेप्टादेः कुहकाहालकः [हाल+कन् पीले भरे रंग का घोड़ा। द्भवेत् / हास्यो हासस्थायिभावः (हासो हास्यस्थाहाल (ला) हलम् [ हलाहल, पृषो०] एक प्रकार का | यिभावः' के स्थान पर) श्वेतः प्रथमदेवतः सा० द. घातक विष जो समुद्रमंथन के परिणाम स्वरूप मिला | 228 / सम... आस्पदम् हंसी की चीज़, हंसी उड़ाने था। (अत्यन्त विषाक्त होने के कारण यह प्रत्येक की वस्तु, - पददी,- मार्गः खिल्ली, दिल्लगी--क्रुद्धवस्तु को भस्म करने लगा, इसलिए इसे शिव जी ने ीतस्त्रिभुवनजयी हास्यमार्ग दशास्यः विक्रम० 18) पी लिया) - अहमेव गुरुः सुदारुणानामिति हालाहल 107, रसः हंसी या आमोदात्मक रस-दे० ऊपर मास्म तात दृप्यः / ननु सन्ति भवादृशानि भूयो 'हास्य'। भुवनेऽस्मिन् वचनानि दुर्जनानाम्--सुभा० 2. (अतः) | हास्तिकः [ हस्तिन् +ठक ] महावत, या गजारोही,-कम् धातक विष, या जहर, दे० भामि० 1195, 2 / 73, हाथियों का समूह- शि० 5 / 30 / पंच० 11183, ('हलाल' और 'हालहाल' भी लिखा | हास्तिनम् [हस्तिना नृपेण निवृत्तम् नगरम्-हस्तिन्+अण्] जाता है)। हस्तिनापुर नगर का नाम / हालहली, हाला [हालाहल-डीप, हल+घा +टाप] | हाहा (पुं०) [ हा इति शब्दं जहाति-हा+हा+क्विप 1 शराब,-मदिरा-हित्वा हालामभिमतरसां रेवतीलोचना- एक गन्धर्व का नाम- (अव्य०) पीड़ा, शोक या ड्राम् --मेघ० 49, पंच० 1158, शि० 10 // 21 // आश्चर्य का प्रकट करने वाला उद्गार (यह केवल हालिकः [हलेन खनति हल: प्रहरणमस्य तस्येदं वा ठक् 'हा' शब्द है, केवल बल देने के लिए इसको 'द्वित्व' ठश वा ] 1. हलवाला, किसान 2. जो हल चलाये कर दिया गया है)। सम०-कारः 1. शोक, बिलाप, (जैसे कि हल में जुता बैल) 3. जो हल के द्वारा रोना-धोना 2. युद्ध का शोर, - रवः 'हा हा' की ध्वनि / युद्ध करता है। हि (अध्य०) (इसका प्रयोग वाक्य के आरम्भ में कभी हालिनी [ हल+णिनि+डीप ] एक प्रकार की बड़ी नहीं होता) इसके अर्थ निम्नांकित है:-1. इसलिए छिपकली। कि, क्योंकि (तर्कसंगत युक्ति का निर्देश करना) हाली [ हल +इण् +ङीष् ] छोटी साली। -अग्निरिहास्ति धूमो हि दृश्यते-गण, रघु० 5 / 10 हाल: [ हल-+उण् ] दाँत / 2. निस्सन्देह, निश्चय ही-देवप्रयोगप्रधानं हि हावः [ हे भावे घन नि० संप्र०, हुकरणे घा वा ] नाटयशास्त्रम्-मालवि० 1, न हि कमलिनी दृष्टवा 1. बुलावा, आमन्त्रण 2. स्त्रियों की नखरेबाजी जो ग्राहमवेक्षते मतङ्गजः --मालवि०३ 3. उदाहरणस्वपुरुषों की रत्यात्मक भावनाओं को उत्तेजित करती रूप, जैसा कि सुविदित है, प्रजानामेव भूत्यर्थं स ताभ्यो है, (प्रेम की) रंगरेली, मधुरभाषण -हावहारि हसितं बलिमग्रहीत्। सहस्रगुणमुत्स्रष्टुमादत्ते हि रसं रविः वचनानां कौशलं दृशि विकारविशेषाः--शि० 10.13, --- रघु० 1218 4. केवल, अकेला (किसी विचार पर जगुः सरागं ननुतुः सहावम् भट्टि० 3143, (उज्ज्व- बल देने के लिए) मुढो हि मदनेनायास्यते--का. लमणि ने हाव की परिभाषा निम्नांकित की है 155 5. कभी कभी यह केवल पूरक की भांति ही ---ग्रीवारेचकसंयुक्तो भ्रनेत्रादिविकासकृत् / भावा- प्रयुक्त होता है। दीषत् प्रकाशो यः स हाव इति कथ्यते / / दे० सा० हि (स्वा० पर० हिनोति, हित-प्रेर० हाययति, इच्छा. द० 127 भी। जिघीषति) 1. भेजना, उकसाना 2. डाल देना, हासः [ हस्--घा ] 1. ठहाका, हंसी, मुस्कराहट --भासो फेंकना, (तीर) चलाना, (बन्दूक) दागना --- गदा हास:-प्रसन्न० 222 2. हर्ष, खुशी, आमोद 3. हास्य- शक्रजिता जिध्ये -भट्टि० 14136 3. उत्तेजित करना, ध्वनि, हास्यरस,- दे० सा० द० 207 4. व्यंग्यपूर्ण भड़काना, उकसाना, 4. उन्नत करना, आगे बढ़ाना हंसी -रघु० 12 / 36 5. खुलना, विकसित होना, 5. तुप्त करना, प्रसन्न करना, उल्लसित करना फूलना (कमल आदि का)-कूलानि सामर्षतयेव तेनुः 6. जाना, प्रगति करना, प्र-, 1. भेज देना, ढकेलना सरोजलक्ष्मी स्थलपग्रहासः-भट्टि० 2 / 3 / 2. फेंकना, (तीर) चलाना, (बन्दूक) दाग देना For Private and Personal Use Only