________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मृदु वस्तु हिसितुं मृदुनवारभते कृतांतकः-रघु० वस्ननम् [वस्+नन करधनी, पटका या तागड़ी। 8045, कि वस्तु विद्वन् गुरवे प्रदेयम् - 5 / 18, 315, वस्नसा [वस्नं चर्म सीगति-सिब्-ड+टाप् कण्डरा, वस्तुनीष्टेप्यनादरः-सा० द.. धनदौलत, सम्पत्ति, स्नायु। वैभव 4. सत, प्रकृति, नैसर्गिक या प्रधान गुण | वंह (चुरा० उभ० वंहयति-ते) उज्ज्वल करना, चम5 सामान (जिससे कोई वस्तु बन सके), सामग्री, काना, रोशनी करना / मलपदार्थ (आलं० से भी) आकृतिप्रत्ययादेवनामनून (भ्वा० उभ० वहति- ते, ऊद, कर्म० उह्यते) 1. ले वस्तुका संभाक्यामि। -मालवि०१ 6. (नाटक की) जाना, नेतृत्व करना, धारण करना, वहन करना, कथावस्तु, किसी काव्यकृति की विषयवस्तु, कालि परिवहन करना, (प्रायः दो कर्म के साथ)...अजां दासप्रथितवस्तुना नवेनाभिज्ञानशकुंतलास्येन नाटके ग्रामं वहति, वहति विधिहतं या हवि:- श०१११, न नोपस्थातव्यमस्माभिः -- श० 1, अथवा सद्वस्तु पुरुष च हव्यं वहत्यग्निः -मनु० 4 / 240 2. ढोना, आगे बहुमानात् - विक्रम० 112, शीनमस्क्रिया वस्तु चलाना, बहा कर ले जाना, धकेलना--जलानि या निर्देशो वापि तन्मुखम्--सा० द० 6, वेणी० 1 तीरनिखातरूपा वहत्ययोध्यामनु राजधानीम् - रघु० 7. किसी वस्तु का गूदा 6 योजना, रूपरेखा / सम० 13261, निस्रोतसं वहति यो गगनप्रतिष्ठाम्--. श० ---.अभावः 1. वास्तविकता की कमी 2. सम्पत्ति की 77, रघु० 11 / 10 3. जाकर लाना, ले आना हानि, उत्थापनम् ओझाई या झाड़फंक अथवा अभि -वहति जलमियम्- मुद्रा० 114 4. धारण करना, चार के द्वारा (नाटकों में) किसी उपख्यान की रचना सहारा देना, थाम लेना, जीवित रहना-न गर्दभा -सा०द० 420, उपमा, दण्डी के अनुसार उपमा वाजिधुरं वहति मुच्छ० 4 / 17, ताते चापद्वितीये वहति का एक भेद, दण्डी द्वारा निरूपित लक्षण.. राजीवमिव रणधुरां को भयस्यावकाश:वेणी० 35, 'जब मेरे ते वक्त्रं नेत्रे नीलोत्पले इव, इयं प्रतीरमानकधर्मा पिता हरावल का नेतृत्व कर रहे हैं, वहति भुवनवस्तूपमैव सा -- काव्या० 2 / 16, (यह एक ऐसी मेथी शेष: फणाफलकस्थिताम् -- भर्तृ० 2 / 35, श० उपमा की बात है जहाँ साधारण धर्म का लोप हो 7.17, मेघ० 17 5. उठाकर ले जाना, अपहरण गया है),-- उपहित (वि.) उपयुक्त पदार्थ के साथ करना-अद्रेः शृंगं बहति (पाठांतर-'हरति') पवनः व्यवहृत, उपयुक्त सामग्री पर अर्पित-रघु० 3129, कि स्विद्--मेघ० 14 6. विवाह करना- यदूढया - मात्रम् किसी विषय की केवल रूपरेखा या ढांचा वारणराजहार्यया-कुं० 5 / 70, मनु० 3138 7. रखना, (जिसे बाद में विकसित किया जा सके)। अधिकार में करना, भारवहन करना---वहसि हि वस्तृतम् (अव्य०) [वस्तु तस्] 1. दरअसल, वास्तव धनहाय पण्यभूतं शरीरम-मृच्छ० 1131, वहति में, सचमुच, वाकई 2. अनिवार्यतः, यथार्थतः, तत्त्वतः विषधरान् पटौरजन्मा - भामि० 1174 8. धारण 3. इसका स्वाभाविक फल यह है कि सच बात तो करना, प्रदर्शित करना, दिखाना-लक्ष्मीमवाह सकलस्य यह है कि, निस्सन्देह / / शशांकमूर्तेः---कि० 5 / 92, 9 / 2 9. मुंह ताकना, वस्त्यम् वस्तियत् घर, आवासस्थान, निवासस्थान ... सेवा करना, देखभाल करना--मुग्धाया मे जनन्या शि०१३।६३ / योगक्षेमं वहस्व-मालवि० 4, तेषां नित्याभियुक्तानां वस्त्रम विस्+ष्ट्रन्] 1. परिधान, कपड़ा, कपड़े, पहनावा योगक्षेमं वहाम्यहम् --ग. 9 / 22 10. भुगतना, 2. वेशभूषा, पोशाक। सम०.- अगार:-रम्,-गहम्, टटोलना, अनुभव करना, भामि० 1294, इसी प्रकार तम्ब,-अंचल:,-अंतः कपड़े को किनारी या वस्त्र --दुःखं, हर्प, शोकं तोषं आदि 11. (इस अर्थ में तथा की झालर,---कुट्टिमम् . तम्बू 2. छतरी,-पंधिः निम्नांकित अर्थों में अकर्मक) धारण किया जाना, ले धोती या साड़ी की गांठ (जो नाभि के निकट कपड़े जाया जाना, चलते रहना, वहतं बलीवो वहतम् में लगाई जाती ह), तु० नीवि,--निर्णेजकः धोबी, -मृच्छ० 6, उत्थाय पुनरवहत्-का०, पंच० 1143, --परिधानम् कपड़े पहनना, वस्त्रधारण करना, 291 12. (नदी आदि का) बहना-प्रत्यगू हुर्महानद्यः -पुत्रिका गुडिया, पुत्तलिका, * पूत (वि.) कपड़े -----महा०, परोपकाराय वहति नद्यः-सुभा० 13. (हवा में छाना हुआ-वस्त्रपूतं पिबेज्जलम्-मनु० 6 / 46, का) चलना,... मंदं वहति मारुत:--राम०, वहति --भेदकः,-भेदिन् (पुं०) दर्जी,-योनिः कपड़े का मलयसमीरे मदनमुपनिघाय गीत० 5, प्रेर० (वाहयति उपादान (कपास आदि),--रंजनम् कुसुंभ / --ते) 1. धारण कराना, भिजवाना, मंगवाना, ले बस्नम् विस्+न] 1. भाड़ा, मजदूरी (इस अर्थ में पं० जाया जाना 2. हाँकना, ठेलना, निदेश देना 3. आर भी) 2. निवासस्थान, आवासस्थान 3. दौलत, द्रव्य पार जाना, पारगमन करना -- सवाह्यते राजपथः 4. वस्त्र, कपड़े 5. चमड़ा 6. मूस्य 7. मृत्यु / * शिवाभिः- रघु. 16612, भवान् वाहयेदवशेषम् मा For Private and Personal Use Only