________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 1161 ) मालिक, 2. प्रभ, स्वत्वाधिकारी --रधुस्वामिनः सच्च- स्वाहा शब्द का उच्चारण करना--स्वाहास्वधाकाररित्र---विक्रमांक० 18 / 107 3. प्रभु, राजा, नरेश विजितानि श्मशानतुल्यानि गहाणि तानि,...पतिः, 4. पति 5. गुरु 6. विद्वान् ब्राह्मण, अत्यन्त ऊंचे दर्जे -- प्रियः आग,--भुज (पुं०) सुर, देव / का धार्मिक पुरुष या संन्यासी (इस अर्थ में यह शब्द | स्विद् (अव्य०) [ स्विद्+क्विप् ] प्रश्नवाचक या पृच्छाप्राय: नाम के साथ जुड़ता है) 7. कार्तिकेय का परक निपात, प्रायः 'सन्देह' 'आश्चर्य' को प्रकट करता विशेषण 8. विष्ण का विशेषण 9. शिव का विशेषण है, इसका अर्थ है 'क्या' 'हे' 'ए' 'हा, ओ, हो' की 10. वात्स्यायन मनि का विशेषण 11. गरुड़ का ध्वनि 'क्या ऐसा हो सकता है' आदि; इस अर्थ में विशेषण / सम० उपकारक: घोड़ा, कार्यम् किसी तथा अनिश्चयार्थ प्रकट करने के लिए इसे प्रश्नवाचक राजा या प्रभु का कार्य, पाल (पुं०, द्वि० व०) सर्वनाम के साथ जोड़ दिया जाता है कास्विदव(पशुओं का) मालिक और रखवाला-मनु० 85, गण्ठनवती नातिपरिस्फुटशरीरलावण्या श० 5.13, -भावः मालिक या प्रभु की अवस्था, मालिकपना, मेघ० 14, कभी कभी यह पृथक रूप से 'या' और --वात्सल्यम् पति या स्वामी के लिए स्नेह, सद्धाव: 'अथवा' अर्थ को प्रकट करता है। कभी कभी 'न' 'उत' 1. मालिक या प्रभु की सत्ता 2. मालिक या प्रभु और 'वा' के साथ जुड़कर; दे०कि० 835, 12 / की अच्छाई,-सेवा 1. स्वामी या मालिक की सेवा, 15, 1338, 14 / 60, 'आहो' के साथ भी। टहल 2. पति का आदर, सम्मान / स्विद् (दिवा० पर० स्विद्यति, स्विदित या स्विन्न) स्वाम्यम् [स्वामिन् +ष्य.] 1. स्वामित्व, प्रभुता, मालिक- स्वेद आना, पसीना आना-स्विद्यति कणति वेल्लति पना 2. संपत्ति का अधिकार या हक़ 3. राज्य, सर्वो- -काव्य०१०, उत्तर० 3141, कु० 7177, मा० परिता, शासन / 1135, स त्वां पश्यति कंपते पुलकयत्यानन्दति स्विद्यति स्वायंभव (वि०) (स्त्री०-वी) [स्वयंभू+अण] 1. ब्रह्मा - गीत०११।। से सम्बन्ध रखने वाला-- कु० 21 2. ब्रह्मा से in (भ्वा० आ० स्वेदते, स्विन्न या स्वेदित) 1. मालिश उत्पन्न, वः प्रथम मनु का विशेषण (क्योंकि वह किया जाना 2. चिकनाया जाना 3. विक्षुब्ध होना ब्रह्मा का पुत्र था)। --प्रेर० (स्वेदयति-- ते) 1. पसीना लाना 3. गरम स्वारसिक (वि०) (स्त्री०-की) [स्वरस-+-ठक्] अन्तर्वर्ती करना। रस या माधुर्य से ओतप्रोत (काव्यरस)। स्वीकरणम्, स्वीकारः, स्वीकृतिः [स्व+च्चि-+-+ ल्युत् स्वारस्यम् [स्वरस+प्या ] 1. स्वाभाविक रस या श्रेष्ठता (घा , क्तिन् वा) ] 1. लेना, ग्रहण करना 2. हामी का रखने वाला 2. लालित्य, योग्यता / भरना, सहमत होना, प्रतिज्ञा करना, हामी, प्रतिज्ञा स्वाराज् (पुं० [स्व+राज्+क्विप] इन्द्र का विशेषण / 1. वाग्दान, पाणिग्रहण, विवाह / स्वाराज्यम् स्वराज-व्या] 1. स्वर्ग का राज्य, इन्द्र | स्वीय (वि० [स्व+छ] अपना, अपना निजी-लोकालोकका स्वर्ग 2. स्वप्रकाशमान ब्रह्मा से तादात्म्य / / विसारितेन विहितं स्वीयं विशुद्धम् यश:-सा०द० 97 / स्वारोचिषः, स्वारोचिस् (पुं०)[स्वरोचिषः अपत्यम् -अण्] | स्व (भ्वा० पर० स्वरति, इच्छा० सिष्वरति, सुस्वर्षति) द्वितीय मन का नाम-दे० 'मनु' के अन्तर्गत। 1. शब्द करना, सस्वर पाठ करना 2. प्रशंसा करना स्वालक्षण्यम् स्वलक्षण ष्यत्र] विशेष लक्षण, स्वाभा- 3. पीडा देना या पीडित होना 4. जाना, अभि--, विक अवस्था, खासियत, मनु 9 / 19 / प्र-, शब्द करना. सम् , पीड़ा देना (आ०) स्वाल्प (वि०) (स्त्री०-ल्पी) [स्वल्प+अण्] 1. थोड़ा, भट्टि० 9 / 28 / लोटा 2. कुछ, कम, -- ल्पम् 1. थोड़ापन, छुटपन | स्व (क्रया०प० स्वृणाति) चोट पहुँचाना, मार डालना / 2. संख्या का छोटापन / स्वेक् (भ्वा० आ० स्वेकते) जाना। स्वास्थ्यम् स्वस्थ-व्यञ] 1. आत्मनिर्भरता, स्वाश्रयता | स्वेदः [ स्विद् भावे घा / पसीना, पसेउ, श्रमबिंदु 2. साहस, कृतसंकल्पता, दिलेरी, दृढ़ता 3. तन्दुरुस्ती, -अङ्गलिस्वेदेन दृष्येरन्नक्षराणि-विक्रम० 2 / सम० नीरोगता 4. समृद्धि, कुशलक्षेम, सुखचैन 5. आराम, उवम्, उदकम, जलम् पसीना, श्रमकण,-चूषकः संतोष, हिम्मत-लब्धं मया स्वास्थ्यम् श० 4 / / शीतल मंद पवन, ठंडी हवा (पसीना सूखाना),-ज स्वाहा [सु--आ+हे+डा] 1. सभी देवताओं को बिना (वि०) ताप या भाप से उत्पन्न होने वाला, पसीने किसी विचार के दी जाने वाली आहुति 2. अग्नि से उत्पन्न होने वाला (जें, खटमल आदि जीव) / की पत्नी का नाम ( अव्य० ) देवताओं के उद्देश्य | स्वर (वि०) [ स्वस्य ईरम् ईर् | अच् वृद्धिः ] 1. मनमाना से आहुति देते समय उच्चारण किया जाने वाला आचरण करने वाला, स्वच्छंद, स्वेच्छाचारी, अनिशब्द-इन्द्राय स्वाहा अग्नये स्वाहा। सम०-कारः / यंत्रित, निरंकुश-बद्धमिव स्वरगतिर्जनमिह सुखसंगि 146 For Private and Personal Use Only