________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 1165 ) जैसा कि वृत्रहन्, पितहुन्, मातृहन्, ब्रह्महन् आदि। / हयः हिय् (हि)+अच्] 1. घोड़ा, भग०१।१४, मनु० हनः [हन् + अच् वध, हत्या / 81226 रघु० 9.10 2. एक विशेष श्रेणी का मनुष्य हननम् हन् + ल्युट्] 1. वध करना, हत्या करना, आघात -दे० 'अश्व' के अन्तर्गत 3. 'सात' की संख्या 4. इन्द्र करना 2. चोट पहुँचाना, क्षतिग्रस्त करना 3. गुणा / का नाम / सम०---अध्यक्षः घोड़ों का अधीक्षक हनुः-नू (पु०, स्त्री०) [हन्-+-उन्, स्त्रीत्वे वा ऊन .......आयुर्वेदः अश्वचिकित्साविज्ञान, शालिहोत्रविद्या, ठोडी, नु (स्त्री०) 1. जीवन पर आघात करने ___ आरूढः अश्वारोही, घुड़सवार,-आरोह 1. घुड़वाली चीज 2. शस्त्र 3. रोग, बीमारी 4. मृत्यु सवार 2. धुड़सवारी, इष्ट: जौ,-उत्तमः बढ़िया 5. एक प्रकार को औषधि 6. स्वेच्छाचारिणी स्त्री, घोड़ा, कोविदः घोड़ों के प्रबन्ध, प्रशिक्षण तथा वेश्या / सम० प्रहः बन्द जबड़ा, मूलम् मबड़े चिकित्साविज्ञान से परिचित, ज्ञः घोड़ों का व्यापारी, की जड़ / साइस, पेशेवर घड़सवार,---द्विषत् (पुं० ) भैसा हनु (नू) मत् (पु०) [हनु (नू)+मतु] एक अत्यंत प्रियः जौ,---प्रिया खजूर का वृक्ष,-- मारः,-मारकः शक्तिशाली वानर का नाम (यह अंजना का पुत्र था, गंधयुक्त करवीर, कनेर,--मारणः पावन कनेर,-मेधः इसके पिता पवन या मरुत् थे, इसी कारण इसे अश्वमेध यज्ञ-याज्ञ० १।१८१,-वाहनः कुबेर का मारुति कहते है। ऐसा वर्णन मिलता है कि उसमें विशेषण,- शाला अस्तबल,-शास्त्रम घोड़ों को असाधारण शक्ति और पराक्रम था जो उसने अपने सधान या उनका प्रबन्ध करने की कला, संग्रहणम हृदयाराध्य राम की ओर से कई अवसरों पर प्रकट घोड़ों का लगाम खींच कर रोकना। किया। जब रावण सीता को अपहरण करके लंका हयषः [ हय ---कष् +खच्+मुम् ] चालक, रथवान् / में ले गया तो हनमान ने समद्र पार करके उसका | योदय। डीपी घोडी। पता लगाया तथा अपने स्वामी राम को सूचित किया। हर (वि.) (स्त्री० रा,--री) [ह-|-अच् ] 1. ले जाने लंका के महायुद्ध में उसने महत्त्वपूर्ण कार्य किया)। वाला, हटाने वाला, वञ्चित करने वाला खेदहर, हन्त (अव्य०) [हन् -त] प्रसन्नता, हर्ष, और आकस्मिक शोकहर 2. लाने वाला, ले जाने वाला, ग्रहण करने हलचल को प्रकट करने वाला अव्यय, हन्त भो लब्धं वाला अपथहरा:-कि० 5 / 50, रघु०. 12151 मया स्वास्थ्यम् श० 4, हन्त प्रवृत्तं संगीतकम् 3. पकड़ने वाला, ग्रहण करने वाला 4. आकर्षक, -मालवि० 1, 2. करुणा, दया--पुत्रक हन्त ते मनोहर 5. अध्यर्थी, दावेदार, अधिकारी---मु० धानाकाः --गण. 3. शोक, अफसोस हन्त घि 2019 6. अधिकार करने वाला,--कु० 1150, मामधन्यम् - उत्तर० 1143, स्मरामि हन्त स्मरामि 7. बाँटने वाला,र: 1. शिव, कु० 1150, 3 / 40, --उत्तर० 1, काचमूल्येन विक्रीतो हन्त चिन्तामणि- 67, मेघ० 7 2. अग्नि 3. गधा भाजक 5. भिन्न र्मया-शा० 1112, मेघ० 104 4. सौभाग्य, आशी- की नीचे की संख्या / सम० गौरी शिव और दि 5. यह बहुधा आरम्भसूचक अव्यय के रूप में पार्वती का एक संयुक्त रूप (अर्धनारीनटेश्वर), भी प्रयुक्त है-हन्त ते कथयिष्यामि-राम / सम० चडामणिः शिव की शिखामणि, चन्द्रमा, तेजस __ उक्तिः (स्त्री०, करुणा, मृदुता आदि द्योतक (नपुं०) पारा, नेत्रम् 1. शिव की आँख 2. तीन की शोक, खेद आदि शब्दों का कथन,---कार: 1. 'हन्त' संख्या, बीजम् शिव का बीज, पारा, -शेखरा शिव विस्मयादिबोधक अव्य० 2. किसी अतिथि को दी | की शिखा, गंगा, सूनुः स्कन्द रघु० 11283 / जाने वाली भेंट-निवीती हन्तकारेण मनुष्यांस्तर्पयेदथ / हरकः [ हर-कन् ] 1 चोरी करने वाला, चोर 2. दुष्ट, हन्त (वि.) (स्त्री० त्री) [हत् -तच। 1. प्रहारकर्ता, 3. भाजक / वधकर्ता, मनु० 5 / 34, कु० 2 / 20 2. जो हटाता हरणम् [ह+ ल्युट ] 1. पकड़ना, ग्रहण करना 2. ले है, नष्ट करता है, प्रतीकार करता है,-पुं० 1. हत्यारा जाना, दूर करना, हटाना, चुराना कन्याहरणम् क़ातिल 2. चोर, लुटेरा।। -मनु० 3 / 33, रघ० 11174 3. वञ्चित करना, हम (अव्य०) हा+डम] 1. क्रोध तथा 2. शिष्टाचार नष्ट करना, जैसा कि 'प्राणहरणम' में 4. भाग देना या आदर को प्रकट करने वाला उद्गार / 5. विद्यार्थी को उपहार 6. भुजा 7. वीर्य, शुक्र हम्बा (भा) [हम् +भा-अङ्कटाप, पक्षे पृषो०] गाय, 8. सोना / बैल आदि पशुओं के बोलने का शब्द, रांभना। सम० हरि (वि.) [ह+इन् ] 1. हरा, हरा-पीला 2. खाकी, --रवः रांभना। लाख के रंग का, लालीयुक्त भूरा, कपिल हरियग्यं हर (म्वा० पर० यति, हयित) 1. जाना 2. पूजा करना रथं तस्मै प्राजिघाय पुरन्दरः रघु० 12114, 343 3. शब्द करना 4. थक जाना / 3. पीला,-रि: 1. विष्णु का नाम-हरियथैक: पुरु For Private and Personal Use Only