________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सौदायिक (वि.) (स्त्री०-की। [सुदाय+ठा] स्त्रीधन, | सौभद्रः, सौभद्रेयः [सुभद्रा+अण, ढक वा] सुभद्रा के पुत्र कन्या के विवाह के अवसर पर जो धन उसके माता अभिमन्यु का विशेषण। पिता या संबंधियों द्वारा उसे दिया जाता है, और सौभागिनेयः [सुभगा+ढ़क, इनङ, द्विपदवृद्धि] सबसे प्रिय जो उसकी निजी संपत्ति हो जाता है, कम् दाज | पत्नी का पुत्र / या दहेजसम्बन्धी। सौभाग्यम् [सुभगायाः सुभगस्य वा भावः-व्यय, द्विपदसौष (वि०) (स्त्री०-धी} [सुघया निर्मितं रक्तं वा अण्] वृद्धिः] 1. अच्छा भाग्य, अच्छी किस्मत, सौभाग्य 1. अमृतमय, अमृतसम्बन्धी 2. पलस्तर से युक्त, या शालिता (मुख्यतः इसमें पति-पत्नी का पारस्परिक चूने से पुता हुआ,-धम् 1. वह भवन जिसमें सफ़ेदी अनुग्रह प्राप्त करना, तथा एक दूसरे के प्रति दृढ़ की हुई है, सुधालिप्त, पलस्तरदार 2. विशालभवन, भक्ति का होना पाया जाता है)-प्रियेषु सौभाग्यफला महल, बड़ी हवेली सौधवासमटजेन विस्मत: संचि- हि चारुता - कु. 5 / 1, सौभाग्यं ते सुभग विरहाकाय फलनिःस्पृहस्तपः--रघु० 19 / 2, 7 / 5, 1340 वस्थया व्यञ्जयन्ती-मेष. 29, (दोनों स्थानों में 3. चाँदी 4. दूधिया पत्थर। सम०-कार: 1. पलस्तर ! 'सौभाग्य' शब्द पर मल्लि. के टिप्पण देखें) 2. स्वर्गीय करने वाला 2. मकान बनाने वाला,- वासः महल सुख, माङ्गलिकता 3. सौन्दर्य लावण्य, लालित्य; जैसा भवन / -(यस्य) हिमं न सौभाग्यविलोपि जातम्--कु० 113, सौन (वि०) (स्त्री०-नी) सूिना+अण] कसाईपने या 2 / 53, 5 / 49, रघु० 18 / 19, उत्तर० 627 कसाईखाने से सम्बन्ध रखने वाला,--नम् कसाई के 4. शोभा, उदात्तता 5. अहिवात (विप० वैधव्य) घर का मांस / सम० धर्म्यम् घोर शत्रुता की 6. बधाई, मंगलकामना 7. सिंदूर 8. सुहागा। सम० अवस्था। --चिह्नम् 1. अच्छे भाग्य का चिह्न, अच्छी किस्मत सौनन्दम् [सुनन्द+अण्] बलराम का मूसल। का चिह्न 2. अहिवात का चिह्न (जैसे कि मस्तक सौनन्दिन् (पुं० [सौनन्द+इनि बलराम का विशेषण / पर सिंदूर का तिलक),-सन्तुः (वह सूत्र जो सौनिकः [सूना-ठण्] कसाई, तु० 'शोनिकः / विवाह में वर द्वारा कन्या के गले में बांधा जाता है सौन्दर्यम् [सुन्दर+व्या] सुन्दरता, मनोहरता, लावण्य, / और जिसे स्त्री विधवा होने तक पहनती है) विवाहलालित्य-सौन्दर्यसारसमुदायनिकेतनं वा-मा० 1121, सूत्र, मंगलसूत्र,-तृतीया भाद्रशुक्ल-तृतीया, हरिकु० 1342, 5 / 41 / तालिका, तीज,-देवता शुभदेवता, या अभिभावक सौपर्णम् [सुपर्ण+अण्] 1. सूखा अदरक, सौंठ 2. मरकत / ! देवता,--बायनम् मिष्टान्न का शुभ उपहार या चढ़ावा। सौपर्णेयः [सुपाः विनतायाः अपत्यम् -- सुपर्णी+ढक] सौभाग्यवत् (वि.) [सौभाग्य+मतप] भाग्यशाली, शुभ, गरुड का विशेषण। -ती विवाहित स्त्री जिसका पति जीवित है, विवाहित सौप्तिक (वि.) (स्त्री० की) [सुप्ति+ठक्] 1. निद्रा- सघवा स्त्री। सम्बन्धी 2. निद्राजनक, कम रात का आक्रमण, सोते सौभिकः [सौभं कामचारिपुरं तन्निर्माणं शीलमस्य-शोभ हए पर हमला। सम-पर्वन् (नपुं०) महाभारत +ठक्] जादूगर, ऐन्द्रजालिक / का दसवाँ पर्व जिसमें वर्णन किया गया है कि अश्व- सौभ्रात्रम् [सुभ्रातृ+ अण्] अच्छा भ्रातृभाव, भाईचारा, त्थामा, कृतवर्मा, कृप और कौरवसेना के बचे हुए। बंधुता-सौभ्रात्रमेषां हि कुलानुसारि - धु० 1611, योद्धाओं ने रात को पांडवशिविर पर आक्रमण 1081 / कर हजारों सोते हुए सैनिकों को मौत के घाट उतार सौमनस (वि.) (स्त्री० सा, सी) [सुमनस्+अण] दिया,-वधः (उपर्यक्त) पांडवशिविर के सैनिकों 1. भावनानुकूल, सुखद 2. फूलसंबंधी, पुष्पीय, सम् का रात में संहार मार्गो ह्येष नरेन्द्रसौप्तिकवधे पूर्व ___1. कृपालुता, उदारता, कृपा 2. आनन्द, सन्तोष / कृतो द्रौणिना - मृच्छ० 3 / 11 / सौमनसा [सौमनस+टाप्] जायफल का छिल्का / सौबलः [सुबल+अण] शकुनि का नामान्तर / सौमनस्यम् [सुमनस्-+-व्यञ] 1. मन का संतोष, आनन्द, सौबली, सौबलेयी [सौबल / डीप, सुबला-1-ढक्-+डीप्] ! प्रसन्नता-रघु० 15 / 14, 17140 2. श्राद्ध के अवधृतराष्ट्र की पत्नी गान्धारी। सर पर ब्राह्मण को दिया गया फूलों का उपहार / सौभम् [सुष्ठु सर्वत्र लोके भाति--सु+भा+क+अण्] : सौमनस्यायनी [सौमनस्य+अय+ल्युट्+कीप्] मालती हरिश्चन्द्र का नगर (कहते हैं कि यह नगर अन्तरिक्ष लता की मंजरी। में लटक रहा है)। सोमायनः [सोम+फक्] बुद्ध का पितृपरक नाम / सौभगम् [सुभग+अण् ] 1. अच्छा भाग्य, सौभाग्य सौमिक (वि०) (स्त्री०-को) [सोम+ठक्] 1. सोमरस2. समृद्धि, धन, दौलत / ___ संबंधी, सोमरस से अनुष्ठित यज्ञ 2. चन्द्रमासम्बन्धी / For Private and Personal Use Only