________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 1140 // मभिभवितुमिच्छति-मुद्रा० 1 12. साथ देना, | सष्टिहि लोकानां रक्षा यष्मास्ववस्थिता-कु० 2 / 28 सहायता करना,-उत्सवे व्यसने चैव दुर्भिक्षे शत्रुसंकटे / 7. अलग खड़े होना, अलग रखना 8. निश्चित या राजद्वारे श्मशाने च यस्तिष्ठति स बान्धवः-हि. निर्णीत होना (प्रेर०) 10 खड़ा करना, रोकना, 173 13. आश्रित होना, निर्भर होना 14. करना, पड़ाव डालना 2. प्रस्थापित करना, नींव डालना अनुष्ठान करना, अपने बापको पस्त करना | 3. स्वस्थ होना, सचेत होना, आ-, 1. अधिकार 15. (मा०) सहारा लेना, (मध्यस्थ मान कर उसके करना 2. चढ़ना, सवार होना-यथा 'एकस्यन्दनपास) जाना, मार्गदर्शन पाना-संशय्य कर्णादिषु तिष्ठते मास्थितो-रघु० 1136 में 3. उपयोग करना, अबय:-कि० 3313 16. (आ.) (सुरतालिगन के लंब लेना, सहारा लेना, अनुसरण करना, अभ्यास लिए) प्रस्तुत करना, वेश्या के रूप में उपस्थित होना करना, लेना, धारण करना -- यथाहि सद्वत्तमातिष्ठत्य(सम्प्रे के साथ)-गोपी स्मरात् कृष्णाय तिष्ठते नुसूयकः- मनु० 10 // 128, 21133, 10 / 101 (यह -पा० 13134 पर सिद्धा०,-प्रेर० (स्थापयति अर्थ नाना प्रकार से-संज्ञा शब्दों के अनुसार जिनके -ते) 1. खड़ा करना 2. जमाना, जड़ना, स्थापित साथ कि शब्द का प्रयोग होता है, बदलता रहता है करना, रखना, प्रस्थापित करना 4. रोकना 5. पकड़ना ---दे० कु. 5 / 2, 84, मुद्रा० 7 / 19, रघु० 672, रोकना-इच्छा० (तिष्ठासति) खड़े होने की इच्छा 15 / 79, कु. 672, 7 / 29, पंच० 3 / 21 आदि) करना। अति-, अधिक होना, बढ़ जाना—अत्य 4. करना, सम्पादन करना, पालन करना 5. अपनाना' तिष्ठद् दशाङ्गुलम्-अधि-, 1. स्थिर होना, अधिकार 6. लक्ष्य बांधना 7. दायित्व लेना 8. विशिष्ट ढंग से करना (कर्म के साथ)-अर्धासनं गोत्रभिदोऽधितस्थी आचरण करना, व्यवहार करना 9. निकट खड़े होना, --रघु० 673, भट्टि० 15 / 31 2. अभ्यास करना उद्,-- 1. खड़े होना, उठना, उठ कर खड़े होना (साधना का)-कि० 1016 3. अन्दर होना, ---उत्तिष्ठेत् प्रथमं चास्य --- मनु० 2 / 194, वचो रहना, बसना निवास करना,-पातालमधितिष्ठति निशम्योत्थितमुत्थितः सन्– रघु०२।६१ 2. त्याग ---रघु० 180, श्रीजयदेवभणितमधितिष्ठतु कण्ठ- देना, छोड़ना 3. पलट कर आना-रघु० 16183 तटीमविरतम्-गीत० 11 4. अधिकार करना, 4. आगे आना, उदय होना, आगे बढ़ना, फूटना, जीनना, परास्त करना, पछाड़ना-संग्रामे तान- निकलना-यत्तिष्ठति वर्णम्यो नपाणां क्षयि तत्फलम् धिष्ठास्यन्---भट्टि० 972, 16140 5. प्राप्त करना --श० 2 / 13 5. उदय होना, उगना, शक्ति में -कि० 2 / 31 6. नेतृत्व करना, संवहन करना, बढ़ना-शि० श६ 6. सक्रिय होना, उठना, गतिशील शासन करना, निदेश देना, प्रधानता करना दशरथ- होना---क्षुद्रं हृदयदौर्बल्यं त्यक्त्वोत्तिष्ठ परंतप-भग. दारानषिष्ठाय .. उत्तर० 4 7. राज्य करना, शासन 213, 37 7. चेष्टा करना, कोशिश करना, (आ.) करना, नियंत्रण करना -भग० 4 / 6 8. उपयोग कि० 11013, शि० 14117 (प्रेर०) 1. उठाना, करना, काम में लगाना 9. चढ़ना, स्थापित होना, उन्नत करना 2. काम करने के लिए उकसाना, उत्तेगद्दी पर बैठना-अचिराधिष्ठितराज्यः शत्रु:-मालवि० जित करना, उप-, 1. निकट खड़े होना, हिस्से में 18, अनु-, 1. करना, संपन्न करना, कार्यान्वित मिलना, नादत्तमपतिष्ठति --पंच० 21123 2. निकट करना, ध्यान देना- अनुतिष्ठस्वात्मनो नियोगम् आना, पहुंचना-कु० 2064, रघु०१५७६ 3. प्रतीक्षा -मालवि०१ 2. पीछा करना, अभ्यास करना, करना, सेवा में उपस्थित रहना, सेवा करना --मनु० पालन करना-भग० 3 / 31 3. देना, अनुदान देना, 2148 4. पूजा करना, प्रार्थना के साथ उपस्थित किसी के लिए कुछ करना-(यस्य) शैलाधिपत्य होना, सेवा करना, प्रणाम करना (आ०)-न त्र्यम्बस्वयमन्वतिष्ठत्--कु०१।१७ 4. निकट खड़े होना, कादन्यमुपस्थितासौ-भट्टि० 113, उदितभूयिष्ठ एष ---मनु० 111112 5. राज्य करना, शासन करना भगवांस्तपनस्तमुपतिष्ठे-मा०१, रघु० 416, 10 // 6. नकल करना 7. अपने आपको प्रस्तुत करना, 63, 17 / 10, 18 / 22 5. निकट खड़े होना 6. मथुन अव-, (प्रायः आ०) 1. रहना, टिकना, डटे रहना के लिए पहुंचना 7. मिलना, संयुक्त होना-गङ्गा --जोषं जोषं जोषमेवावतस्थे-भामि० 2017 यमुनामुपतिष्ठते--सिद्धा० 8. नेतृत्व करना (आ०) अनीत्वा पकृतां धूलिमुदकं नावतिष्ठते-शि० 2 / 34, 9. मित्र बनाना (आ०) 10 पहुँचना, निकट रघु० 2 / 31 2. ठहरना, प्रतीक्षा करना-भट्रि० 8 / 11 खिंचना, आसन्नवर्ती होना 11. द्वेषभावना से पहुँचना 3. डटे रहना, अनुरूप रहना-भट्रि० 3.14 4. जीवित 12. उपस्थित होना (आ.) 13. घटित होना, उत्पन्न हना-रघु०८८७ 5.निश्चेष्ट रहना, रुकना, ठहरना होना, परि-, घेरना, चारों ओर खड़े होना, पर्यव-, --भग०१३..आ पडना, मिलना, निर्भर होना-मयि (प्रेर०) स्वस्थचित होना, सचेत होना-पर्यवस्था For Private and Personal Use Only