________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नांद,-यात्रा ज्येष्ठपूर्णिमा को मनाया जाने वाला मित्र---स्निग्धजनसंविभक्तं हि दुःख सह्यवेदन भवति पर्व,-वस्त्रम् स्नान का वस्त्र-सकृत कि पीडितं ...श. ३,.तण्डुलः एक प्रकार का चावल जो जल्दी स्नानवस्त्रं मुञ्चेत् द्रुतं पयः-हि. २११०६,-विधिः उगता है,---दृष्टि ( वि० ) टकटकी लगाकर देखने 1. स्नान करने की क्रिया 2. स्नान करने के उचित वाला। नियम या रीति / स्निग्धता,-स्वम् [स्निग्ध+तल्- टप्, त्व वा] 1. चिकनास्मानीय (वि.) [स्नानाय हितं छ] स्नान के लिए योग्य, पन 2. सौम्यता 3. सुकुमारता, स्नेह, प्रेम / मार्जन के लिए उपयुक्त, स्नान के समय पहना स्निग्धा [स्निग्ध+टाप् मज्जा, वसा / / हुआ वस्त्र,-स्नानीयवस्त्रक्रियया पत्रोणं योपयज्यते / स्निह. (दिवा० पर० स्निह्यति, स्निग्ध) 1. स्नेह रखना, -मालवि० 5 / 12, ·-यम् जल या और कोई पदार्थ स्नेहानुभूति होना, प्रेम करना, प्रिय होना (अधि० के (जैसे कि उबटना, या सुवासित चूर्ण आदि) जो। साथ-जिससे प्रेम किया जाय)-किन खल बालेऽरिमस्नान के उपयुक्त हो-रघु०१६।२१। नौरस इव पुत्रे स्निाति मे मनः-श०७, स च स्निह्यस्नापक: [स्ना+णिच्+ण्वुल, पुक्] अपने स्वामी को | त्यावयोः-उत्तर० 6 (यहाँ 'आवयोः 'सम्बन्ध कारक भी स्नान कराने वाला या स्नान के लिए सामग्री लाने हो सकता है) 2. अनायास ही अनरक्त होना 3. किसी वाला नोकर। पर प्रसन्न होना, कृपाल होना 4. चिपचिपा होना, स्नापनम् [स्ना+णिच+ल्युट, पुक] स्नान कराना, या लसलसा या लिबलिबा होना 5. चिकना या सौम्य स्नानकर्ता की टहल करना-मनु० 2 / 209 / होना, प्रेर० (स्नेहयति ते) 1. चिकनी-चुपड़ी बातें स्नायुः [स्नाति शुध्यति दोषोऽनया-स्ना+उण] 1. कंडरा, बनाना, चिकनाना, चिकने पदार्थ से लेप करना, पेशी, नस-स्वरूपं स्नायुवसावशेषमलिनं निर्मासमप्य चिकना करना, तेल लगाना 2. प्रेम कराना 3. विधस्थि गो:--भर्तृ० 2130 2. धनुष की डोरी। सम० टित करना, नष्ट करना, मार डालना / ---अर्मन् आँखों का एक विशेष रोग / स्नु (अदा० पर० स्नौति, स्नुत) 1. टपकना, स्रवण करना, स्नायुकः [स्नायु+कन्] दे० 'स्नायु' / बूंद-बूंद गिरना, सवित होना, पड़ना, रिसना, चूना स्माषः, स्नावन् (पुं०) [स्ना-+ वन्, वनिप् वा] कंडरा, 2. बहना, घार पड़ना, प्र--,बह निकलना, उडेल देना पेशी। -~-प्रस्नुतस्तनी उत्तर० 3 / स्निग्ध (वि.) स्निह+क्त] 1. प्रिय, स्नेही, हितैषी, स्नु (पुं०, नपुं०) [स्ना+कु] 1. पहाड़ का समतल अनुरक्त, प्रेमी --मा० 5 / 20 2. चिकना, तैलाक्त, भूखंड 2. चोटी, सतह (पहले पाँच वचनों में इस मसूण, तेल में भीगा हुआ---उत्पश्यामि त्वयि तटगते शब्द का कोई रूप नहीं होता, कर्म० द्वि०व० के स्निग्धभिन्नाञ्जनाभे-मेघ० 59 स्निग्धवेगीसवर्ण पश्चात् विकल्प से यह सान' शब्द के स्थान में -18, शि० 12663, मा० 1014 3. चिपचिपा, | प्रयुक्त होता है)। लसलसा, लेसदार, लिबलिबा 4. प्रभासित, चमकीला (स्त्री०) [स्नु+क्विप् ] स्नायु, कण्डरा, पेशी / उज्ज्वल, चमकदार---कनकनिकषस्निग्धा विद्यत प्रिया | स्नु (वि.) [स्नु + क्त ] रिसा हुआ. बूंद-बूंद करके न ममोर्वशी-विक्रम० 41, मेघ० 37, उत्तर० गिरा हुआ, बहा हुआ आदि / श३३, 6 / 21 5. चिकना, स्निग्धकारी 6. गीला, स्नुषा [ स्नु सक-- टाप् ] पुत्रवधू समुपास्यत पुत्रभोतर 7. शान्त 8. कृपाल, मद्र, सौम्य, मिलनसार ग्यया स्नुषयेवाविकृतेन्द्रियः श्रिया---रघु० 8 / 14, --प्रीतिस्निग्धर्जनपदवधूलोचनः पीयमानः मेघ० 15 / 72 / 16 9. प्रिय, रुचिकर, मोहक, रघु० 1136, उत्तर० स्नुह, ( दिवा० पर० स्नुह्यति, स्नग्ध या स्नूढ) उलटी 2 / 14, 3122 10. मोटा, सधन, सटा हुआ-स्निग्ध- करना, के करना। च्छायातरुषु वसति रामगिर्याश्रमेष (चक्रे)---मेघ०१ स्नेहः [ स्निह+घञ ] 1. अनुराग, प्रेम, कृपालता, 11. तुला हुआ, जमाया हुआ, (दृष्टि की भांति) सुकुमारता-स्नहदाक्षिण्ययोर्योगात कामीव प्रतिभाति टकटकी लगाये हए,.... उधः 1. मित्र, स्नेही, मित्र- में विक्रम० 2 / 4 (यहाँ इसमें छठा अर्थ भी घटता सदश, हितैषी--विजैः स्निग्धरुपकृतमपि द्वेष्यता है), अस्ति मे सोदरस्नेहोप्येतेषु श०१ 2. तलायाति किंचित् हि० 21160, या, स स्निग्धोऽकुशला- क्तता, मसणता, चिकनापन, चिकनाहट (वैशेषिक के निवारयति यः- सुभा०, पंच० 21166 2. लाल अनसार 24 गणों में से एक) 3. नमी 4. चर्बी, एरण्ड का पौधा 3. एक प्रकार का चीड़ का वृक्ष बसा, कोई भी चिकना पदार्थ 5. तेल निबिष्टविषय-ग्धम् 1. तेल 2. मोम 3. प्रकाश, आभा 4. मोटा- स्नेहः स दशान्तमुपेयिवान रध० 121 पंच० 11 पन, खुरदुरापन। सम-जनः स्नेही व्यक्ति, हितैषी 87, (यहाँ प्रथम अर्थ भी घटता है) रधु० 4 / 75 For Private and Personal Use Only