________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 1145 ) 4. बेडौल, भद्दा 5. सम्पूर्ण, साधारण, अनाड़ी। स्थष्ठ (वि०) [ स्थिर+इष्ठन्, स्थादेशः, उ० अ० (आलं० से भी) जैसा कि 'स्थूलमानम्' में 6. मूर्ख, 'स्थिर की' ] अत्यन्त दृढ़, बलबत्तर। मुढ़, बुद्ध, नासमझ 7. आलसी, सुस्त, ठग. | स्थैर्यम् [ स्थिर--ष्या ] 1. दृढ़ता, स्थिरता, अचलता, 8. अयथार्थ, ल: कटहल,-लम् 1. ढेर, राशि 2. तंबू निश्चलता 2. निरन्तरता 3. मन की दृढ़ता, संकल्प, 3. पहाड़ की चोटी। सम०-अन्त्रम् बड़ी आंत जो स्थायित्व - भग० 1317 4. सहनशीलता 5. कड़ागुदा के पास तक जाती है,-आस्यः साँप, - उच्चयः | पन, ठोसपना। 1. पर्वत खंड जो गिर कर ऊबड़-खाबड़ टीले जैसा | स्थौणेयः, स्थौणेयकः [ स्थूणा+ठक, ढकम वा ] एक बन गया हो 2. अपूर्णता, कमी, त्रुटि 3. हाथी की | प्रकार का गंधद्रव्य / मध्यम गति 4. मुंहासा 5. हाथी के दांत का रंध्र, | स्थौरम् [ स्थर-अण ] 1. दढ़ता, सामर्थ्य, शक्ति 2. गधे -काय (वि०) मोटा, मांसल,--क्षेडः, ----श्वेत: बाण, या घोड़े पर लादने का पूरा बोझ। -- चाप: घुनकी,-तालः हिताल,-धी,-मति | स्यौरिन् (नपुं०) [ स्थौर इनि ] 1. पीठ पर बोसा (वि०) मूर्ख, बुद्ध,--नाल लम्बी जाति का सरकंडा | ढोने वाला घोड़ा, लद् घोड़ा 2. मजबूत घोड़ा। -नास,- नासिक (वि०) मोटी नाक वाला, स्थौल्यम् [ स्थूल+ष्यच ] बड़प्पन, बिशालता, हृष्ट(-सः,-क:) सूअर, वराह, - पट:-पटम् मोटा पुष्टता। कपड़ा,--पट्टः कपास, -- पाद (वि०) मोटे पैर र | स्नपनम् [ स्ना+णिच् + ल्युट्, पुक् ] 1. छिड़कना, नहवाला, सूजे पर वाला, (--दः) 1. हाथी 2. श्लीपद लांना 2. स्नान करना, पानी में डुबकी लगाना - रेजे रोग से ग्रस्त व्यक्ति, फलः सेमल (शाल्मली) का जनः स्नपनसांद्रतरार्द्रमूर्ति:--शि० 5 / 57 / वृक्ष, -- मानम् मोटा हिसाब, मोटा अन्दाज, ---लक्ष, स्नवः[स्न+अप] चूना, रिसना, टपकना / -~-क्ष्य (वि.) 1. दानशील, वदान्य, उदार 2. सम स्नस (भ्वा० दिवा० पर० स्नसति स्नस्यति) 1. बसना झदार, विद्वान् 3. लाभ-हानि दोनों का ध्यान रखने 2. उगलना (जैसे मुंह से), परित्याग करना / वाला,... शला बड़ी योनि वाली स्त्री-शरीरम भौतिक स्ना (अदा० पर० स्नाति, स्नात) 1. स्नान करना, और नश्वर शरीर (विप० सूक्ष्म (लिंग) शरीर), नहाना, पानी में डुबकी लगाना -- मृगतृष्णाम्भसि ---शाटक:, शादिः मोटा कपड़ा,--शोषिका क्षुद्र स्नात: 2. गुरुकुल छोड़ते समय स्नान करने के पिपीलिका, छोटी चिऊंटी जिसका सिर, शरीर के अनुपात संस्कार का अनुष्ठान करना, प्रेर० (स्नापयति-ते, से बड़ा हो, षट्पदः 1. भौंरा 2. भिड़,-स्कन्धः लकूच स्नपयति-ते) नहलाना, गीला करना, तर करमा, वृक्ष, बड़हल का पेड़-हस्तम् हाथी की सूई। छिड़कना -(तोयः) सतूर्यमेनां स्नपयांबभूवुः कु० 7 // स्थूलक (वि० ) [ स्थूल-कन् ] विस्तृत, बड़ा, महान्, 10, स्मितस्नपिताधरा--गीत० 12, उत्तर० 3123, विशाल, .क: एक प्रकार की घास या नरकुल कि० 5 / 44, 47, शि० 217, 83, मेघ० 43, इच्छा (सरकंडा)। (सिस्नासति)स्नान करने की इच्छा करना, अप, मृत्यु स्थलता, - त्वम् [स्थूल+तल+टाप, त्व वा] 1. विस्तार, के कारण शोक मनाने के पश्चात स्नान करना,नि,-गहरी विशालता, बड़प्पन 2. सुस्ती, जडता / डुबकी लगाना अर्थात् पारंगत होना, दे० 'निष्णात' / स्थलयति (ना० धा० पर०) बड़ा होना, हृष्ट-पुष्ट है स्नातकः [स्ना+क्त+क] 1. ब्रह्मचर्य आश्रम में अध्ययन ___मोटा होना। समाप्त कर अनुष्ठेय स्नान की विधि पूरा करने वाला स्थूलिन् (पुं०) [ स्थूल+इनि ] ऊँट / ब्राह्मण 2. वह ब्राह्मण जो वेदाध्ययन समाप्त कर स्थैमन् (पु.) [स्था+ इमनिच् ] दृढ़ता, स्थिरता, अभी गुरुकुल से लौटा है और गहस्थ धर्म में दीक्षित अचलता, अडिगपनद्राधीयांसः संहताः स्थेमभाजः हुआ है 3. वह ब्राह्मण जो किसी धार्मिक विधि को --शि० 18133, न यत्र स्थेमानं दधुरतिभयभ्रान्त पूरा करने के लिए भिक्षु बना हो- मनु. 1101 नयना:-भामि // 32 / 4. पहले तीन वर्णों का कोई पुरुष जो गृहस्थधर्म में स्थय (वि.) [ स्था+-यत् ] जमाये जाने योग्य, रक्खे दीक्षित हो चुका है। जाने योग्य, निश्चित या निर्धारित किये जाने योग्य, स्नानम् [स्ना भावे ल्यट] 1. धोना, मार्जन करना, पानी यः (दो दलों के बीच वर्तमान) 1. झगड़े का फैसला में डुबकी लगाना- ततः प्रविशति स्नानोत्तीर्ण: करने के लिए छांटा गया व्यकि विवाचक, पंच, निर्णा- काश्यपः श० 4 2. स्नान द्वारा शुद्धि, कोई धार्मिक यक 2. पुरोहित / या सांस्कारिक मार्जन 3. मूर्ति का स्नान कराना स्थेयस् (वि.) (स्त्री० सी) [स्थिर--- ईयसुन्, स्थादेश: 4. कोई, वस्तु जो स्नान या मार्जन में काम आवे / म० अ० 'स्थिर' की दृढ़तर, अपेक्षाकृत बलवान् / सम० अगारम् स्नानगृह,--द्रोणी स्नान करने की For Private and Personal Use Only