________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 1036 ) भेंट को स्वीकार करने वाला,-कम् श्राड के अवसर / बसना 5. सम्मान करना, सेवा करना, पूजा करना पर दिया गया उपहार / 6. सेवन करना काम पर लगाना, 7. संलग्न करना, भासीय (वि.) [श्राद्ध+छ। श्राद्ध सम्बन्धी। अनुषक्त होना / अधि-, 1. निवास करना 2. सवारी धान्त (भू० क० कृ०) [श्रम्+क्त] 1. थका हुआ, थका- करना, चढ़ना, आ---, 1. सहारा लेना, आश्रय लेना, मांदा, क्लान्त, परिश्रांत 2. शान्त, सौम्य,-तः अवलम्ब होना, विक्रम० 5 / 17, भट्टि. 14 // 111 संन्यासी। 2. अनुगमन करना-रघु० 4 / 35 3. शरण लेना, भान्तिः (स्त्री०) [ श्रम् --क्तिन् ] क्लान्ति, परिश्रान्ति, निवास करना, बसना-रघु०१३।७, पंच० 1151 थकावट / 4. आश्रित होना,-मनु० 377 5. पार जाना, भामः [श्राम्+अच् ] 1. मास 2. समय 3. अस्थायी अनुभव प्राप्त करना, भुगतना, धारण करना - एको छाजन / रसः करुण एव निमित्तभेदाद्भिन्नः पृथक् पृथगिवा. भायः [श्रि+घञ्] आश्रय, बचाव, शरण, सहारा। श्रयते विवन्-िउत्तर० 3 / 47 6. जमे रहना, डटे भावः श्रु+घा] सुनना, कान देना। रहना 7. चुनना, छांटना, पसन्द करना 8. सहायता श्रावकः [श्रु+ज्वल] 1. श्रोता 2. छात्र, शिष्य-श्रावकाव- करना, मदद करना, उद्-, ऊपर उठाना, उन्नत स्थायाम् --मा० 10, अर्थात् छात्रावस्था में 3. बौद्ध- करना, ऊंचा करना, उपा-, पढेंच या अवलम्ब भिक्षु, बौद्ध सन्त, महात्मा 4. बौद्ध भक्त 5. पाखण्डी, होना,-भग० 142, उत्तर०११३७, सम्-, 1. पहुंच 6. कौवा। होना, सहारा होना, शरण में जाना, सहायता के धावण (वि.) (स्त्री०-णी) | श्रवण+अण् ] 1. कान लिए पहुंचना 2. अवलम्बित होना, आश्रित होना सम्बन्धी 2. श्रवण नक्षत्र में उत्पन्न,--णः सावन का -उत्तर०६।१२, मा० 124 3. हासिल करना, प्राप्त महीना, (जुलाई-अगस्त में आने वाला) 2. पाखण्डी करना 4. अभिगमन करना, संभोग के लिए पहुंचना 3. छपवेशी 4. एक वैश्य संन्यासी जिसको दशरथ 5. सेवा करना। ने अन जाने मार डाला, बाद में उसके माता-पिता धित (भू० क. कृ०) [श्रि-+क्त] 1. गया हुआ, पहुंचा ने दशरथ को शाप दिया कि वह अपने पुत्रों के हुआ, शरण में पहुंचा हुआ 2. चिपका हुआ, सहारा वियोग से दुःखी हृदय होकर मरेगा। लिया हुआ, बैठा हुआ 3. संयुक्त, सम्मिलित, संबद्ध भावणिक (वि.) [श्रावण+ठक ] श्रावण मास सम्बन्धी, 4. बचाया हुआ 5. सम्मानित, सेवित 6, अनुसेवी, -क: सावन का महीना। सहकारी 7 आच्छादित, बिछाया हुआ 8. युक्त, बावणी [श्रवणेन नक्षत्रेण युक्ता पौर्णमासी पूरित 9. समवेत, एकत्रित 10. सहित, संपन्न / -श्रवण+अण् +डी ] 1. श्रावण मास की पूर्णिमा थितिः (स्त्री०) [श्रि+क्तिन् ] अवलम्ब, सहारा, 2' एक वार्षिक पर्व जिस दिन यज्ञोपवीत वदले पहुँच / जायें, सलोनों, रक्षाबन्धन / श्रियंमन्य (वि०) 1. अपने आप को योग्य मानने वाला भावस्तिः ,--स्ती (स्त्री०) गंगा नदी के उत्तर में राजा 2. घमंडी। थावस्त द्वारा स्थापित एक नगर / भियापतिः (पुं०) शिव का विशेषण / भावित (वि०) [श्रु+णिच्+क्त] कहा हुआ, सुनाया श्रिष् (भ्वा० पर० श्रपति) जलाना / गया, वर्णन किया गया। थी (क्रया० उभ० श्रीणाति, श्रीणीते) पकाना, भोजन भाव्य (वि.) [श्र+णिच+यत] 1. सूने जाने के बनाना, उबालना, तैयार करना। योग्य (विप० दृश्य) 2. जो सुना जा सके, स्पष्ट / श्री (स्त्री०) [धि+फ्विप, नि.] 1. धन, दौलत, भि (भ्वा० उम० श्रयति--ते, श्रितः, प्रेर० श्राययति प्राचुर्य, समृद्धि, पुष्कलता अनिर्वेदः श्रियो मूलम् -ते, इच्छा० शिश्रीपति-ते, शिश्रयिषति-ते) -रामा०, साहसे श्रीः प्रतिवसति-मन्छ० 4, जाना, पहुंचना, सहारा लेना, दौड़ होना, बचाव के 'सौभाग्य वीरों पर अनुग्रह करता है'-मनु० 9 / 300 लिए पहुँच होना,-यं देशं श्रयते तमेव कुरुते बाहुप्रता- | 2. राजसप्ता, ऐश्वर्य, राजकीय धनदौलत-कि० 111 पार्जितम्-हि० 11171, रघु० 370, 1961 3. गौरव महिमा, प्रतिष्ठा--श्रीलक्षण-- कु० 7.46, 2. जाना, पहुँचना, भुगतना, (अवस्था) धारण अर्थात् महिमा या गौरव का चिह्न 4. सौन्दर्य, चारुता, करना-परीता रक्षोभिः श्रयति विवशा कामपि लालित्य, कान्ति - (मखं) कमलधियं दधौ-- कू० दशाम - भामि० 1183, दिपेन्द्रभावं कलभः श्रयन्निव / 5 / 21, 7132, रघु० 38, कि० 175 5. रंग, -रघु० 3132 3. चिपकना, झुकना, आश्रित होना, रूप, कु०१२ 6. विष्णु की पत्नी लक्ष्मी जो धन निर्भर रहना-उत्तर. 232 4. निवास करना, | की देवी है,-आसीदियं दशरथस्य गहे यथा थी:-उत्तर० For Private and Personal Use Only