________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 1074 ) भीषण 2. मद के कारण मस्त 3. प्रणयोन्मत्त,-उत्तर कु० 3 / 25 4. करार, समझौता, संविदा, पहले से 2 / 20 / ‘किया गया ठहराव मिथः समयात्-श० 5 समषिक (वि.) [सम्यक् अधिक:-प्रा० स०] 1. अतिशय 5. रूढ़ि, प्रथा 6, चालचलन का संस्थापित नियम, 2. अत्यंत अधिक, पुष्कल, बहुत अधिक ---उत्तर० संस्कार, लोकप्रचलन कि० 1128, उत्तर० 1 4, कम् (अव्य०) अत्यंत, अधिकता के साथ / 7. कवियों का अभिसमय (उदा० बादलों के दर्शन समधिगमनम् [सम् + अधि+गम् + ल्युट] आगे बढ़ जाना, से प्रेमी और प्रेमिका का वियोग हो जाता है) पार कर लेना, जीत लेना / 8. नियक्ति, स्थिरीकरण 9. अनबंध, शर्त--विक्रम०५ समध्य (वि.) [समानः अध्वा यस्य-ब० स०] साथ 10. कानून, नियम, विनियम याज्ञ० 3.19 यात्रा करने वाला। 11. निदेश, आदेश, निर्देश, विधि 12. आपत्काल, समनज्ञानम् [सम+अनु+ज्ञा+ल्यट] 1. हामी भरना, संकटकाल 13. शपथ 14. संकेत, इंगित, इशारा स्वीकृति देना 2. पूर्ण अनुमति, पूरी सहमति / 15. सीमा, हद 16. प्रदर्शित उपसंहार, सिद्धांत, समन्त (वि.) (सम्यक अन्तो यत्र ब० स०] 1. हर दिशा मतवाद-बौद्ध, वैशेषिक° 17. अन्त, उपसंहार, में मौजूद, विश्वव्यापी 2. पूर्ण, समस्त, तः सीमा, समाप्ति 18. सफलता, समृद्धि 19. कष्ट का अन्त / हद, मर्यादा (समन्तम्, समन्ततः, समन्तात् क्रिया सम-अध्युषितम् ऐसा समय जब कि न सूर्य दिखाई विशेषण के रूप में प्रयुक्त होकर निम्नांकित अर्थ देता है न तारे अनुवतिन् (वि०) मानी हुई प्रथा प्रकट करते हैं 'सब ओर से' 'चहँओर' 'सब ओर' का पालन करने वाला,--अनुसारेण, उचितम् पूर्णरूप से, 'पूरी तरह से। सम० दुग्धा थूहर, स्नुही, (अव्य०) अवसर के अनकल जैसा मौक़ा हो,-आचारः ---पञ्चकम् कुरुक्षेत्र या उसके निकट का प्रदेश-वेणी० लोकप्रचलित चलन, मानो हुई प्रथा, क्रिया करार 6, भद्रः बुद्ध भगवान्,-- भुज (पुं०) आग / करना,-परिरक्षणम् किसी समझौते का पालन करना, समस्यु (वि.) [सह मन्युना ब० स०] 1. शोकाकुल सन्धि या करार-न समयपरिरक्षणं क्षमते-कि० 2. रोषपूर्ण, रुष्ट / 1145,--- व्यभिचारः प्रतिज्ञा तोड़ना, ठेके का उल्लघंन समन्वयः [सम्+अनु-+इ+अच] 1. नियमित परंपरा या भंग,- व्यभिचारिन् (वि०) प्रतिज्ञा या वचन या क्रम 2. संबद्ध अनुक्रम, पारस्परिक सम्बन्ध, भंग करने वाला। तात्पर्य, तत्तु समन्वयात्- ब्रह्म० 1 / 114, न च समया (अव्य.) [सम् + इ ! आ ] 1. ठीक, ऋतु के तद्गतानां पदानां ब्रह्मस्वरूपविषये निश्चिते समन्वये। अनुकूल, ठीक समय पर 2. निश्चित समय पर 3. बीच ऽर्थान्तरकल्पना युक्ता शारी० 3. संयोग / में, के अन्दर, (दो के) बीच में 4. निकट (कर्म के समन्वित (भू० क. कृ०) [सम्+अभि-प्लु+क्त] साथ) समया सौधभित्तिम्-दश०, शि०६।७३, 1. संबद्ध, प्राकृतिक क्रम में आबद्ध 2. अनुगत 1519, नल० 4 / 8 / 3. सहित, युक्त, भरा हुआ . ग्रस्त / समरः, रम् [ सम् - ऋ+अप् ] संग्राम, युद्ध, लड़ाई, समभिप्लुत (भू० क० कृ०) सिम् + अभि+प्लु+क्त] --कर्णादयोऽपि समरात्पराङमुखीभवन्ति वेणी०३ / 1. बाढ़ग्रस्त 2. ग्रहण ग्रस्त / सम० उद्देशः,-भूमिः रणक्षेत्र, मूर्धन् (पुं०) समभिव्याहारः [सम्+अभि+वि+आ+ह+घा] ---शिरस् (नपुं०) युद्ध का अग्रभाग / 1. मिलाकर उल्लेख करना 2. साहचर्य, साथ 3. शब्द समर्चनम् [ सम् +अर्च+ल्युट ] पूजा, अर्चना, आराधना। का साहचर्य या सामीप्य, जब कि उस (शब्द) का समर्ण (वि.) [सम् + अ +क्त ] 1. कष्टग्रस्त, पीडित, अर्थ स्पष्ट रूप से निश्चित कर लिया गया हो। घायल 2. पृष्ट, निवेदित। समभिसरणम् सिम+अभि+स+ल्युट्] 1. पहुँचना | समर्थ (वि.) [सम् +अर्थ+अच् ] 1. मजबुत, शक्ति2. खोज करना, कामना करना। शाली 2. सक्षम, अभ्यनुज्ञात, पात्र, योग्यताप्राप्त समभिहारः सिम+अभि+ह+घा] 1. साथ-साथ प्रतिग्रहसमर्थोऽपि-मनु० 4 / 186, याज्ञ० 11213 ले जाना 2. आवृत्ति 3. अतिरिक्त, फालतू / 3. योग्य, उपयुक्त, उचित-तद्धनुर्ग्रहणमेव राघवः समभ्यर्चनम् [ सम् +अभि+अर्च,+ल्युट् ] पूजा करना, प्रत्यपद्यत समर्थमुत्तरम् .- रघु० 11179 4. योग्य या अर्चना करना। समुचित बनाया हुआ, तैयार किया हुआ 5. समासमस्याहारः [सम्+अभि+आ ह+धश ] साथ नार्थी 6. सार्थक 7. समचित उद्देश्य या बल रखने रहना, साहचर्य। वाला, अतिबलशाली 8. पास-पास विद्यमान 9. अर्थतः समयः सम्+ +अच् ] 1. काल 2. अवसर, मौका संबद्ध,-र्यः 1, (व्या० में) सार्थक शब्द 2. सार्थक 3. योग्य काल, उपयुक्त काल, या ऋतु, ठीक वक्त वाक्य में मिला कर रक्ख हए शब्दों की संसक्ति / For Private and Personal Use Only