________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir --मनु० 8 / 245, याज्ञ० 2 / 152 3. चिह्न, सीमान्त / iii (स्वा० उभ० सुनोति, सुनुते, सुत, इकारान्त या उका4. किनारा, तीर, सभद्रतट 5. क्षितिज 6. सीवनी, रान्त उपसर्गों के पश्चात् धातु के स को मुर्धन्य ष हो मांग (जैसे खोपड़ी की) 7. शिष्टाचार या नीति की जाता है) 1. भींचना, दबा कर रस निकालना सीमा, औचित्य की मर्यादा 8. उच्चतम या अधिकतम 2. अर्क खींचना 3. उडेलना, छिड़कना, तर्पण करना सीमा, उच्चतम बिन्दु, चरमसीमा-सीमेव पनासन 4. यज्ञानुष्ठान करना, सोमयज्ञ करना 5. स्नान कौशलस्य भट्रि० 106 1. खेत 10. ग्रीवा का पृष्ठ करना, इच्छा० (सुषसति-ते) / अभि-, 1. सोमरस भाग 11. अण्डकोष / सम० अधिप: पड़ोसी राजा, निकालना 2. मिलाना, मिश्रण करना, गड्डमड्ड —अन्तः 1. सीमारेखा, छोर, सरहद 2. अधिकतम करना-यानि चवाभिषयन्ते पुष्पमूलफलेः शुभैः-मनु० सीमा, पूजनम् 1. गाँव की सीमा का पूजन 2. बरात 5 / 10 3. छिड़कना--भट्टि० 9 / 90, उद्-उत्तेजित के आने पर गांव की सीमा पर दूल्हे का सत्कार, करना, विक्षुब्ध करना, प्र-, पैदा करना, जन्म देना / --उल्लङ्घनम् अतिक्रमण करना, सीमा पार करना, सु (अव्य.) [सु+] एक निपात जो कर्मधारय और सरहद लांघना, निश्चयः सीमान्त या सीमारेखाओं बहुव्रीहि समास बनाने के लिए संज्ञा शब्दों से पूर्व के विषय में कानूनी निर्णय,-लिङ्गम् सीमा चिह्न, भू जोड़ा जाता है, विशेषण और क्रियाविशेषणों में भी चिह्न,-वादः सीमा संबंधी झगड़ा,-विनिर्णयः सीमा जड़ता है। निम्नांकित इसके अर्थ है- 1. अच्छा, रेखाओं के झगड़ों का फैसला, - विवाद: सीमासंबंधी भला, श्रेष्ठ यथा 'सुगन्धिः ' में 2. सुन्दर, मनोहर-यथा झगड़ा या मुकदमेबाजी, धर्मः सीमाविषयक झगड़ों से 'सुमध्यमा, सुकेशी' आदि में 3. खूब, सर्वथा, पूरी संबंध रखने वाला कानून,...--वृक्षः वह पेड़ जो सीमा तरह, ठीक प्रकार से --सुजीर्णमन्नं सुविचक्षणः रेखा का काम दे रहा है, -सन्धिः दो सीमाओं का सुतः सुशासिता स्त्री नृपतिः सुसेवितः। सुदीर्घकालेमिलन। ऽपि न याति विक्रियाम्-हि० 1 / 22 4. आसानी सीमिकः [ स्यम +किनन्, सम्प्रसारणं, दीर्घश्च ] 1. एंक से, तुरन्त - यथा 'सुकर और सुलभ' में 5, अधिक, वृक्षविशेष 2. बामी 3. चिऊँटी या ऐसा ही छोटा अत्यधिक, बहुत अधिक--यथा 'सुदारुण और कोई जन्तु / सुदीर्घ' आदि / सम० अक्ष (वि.) 1. अच्छी सीरः| सि+रक, पृषो०] 1. हल सद्यः सीरोत्कषण- आँखों वाला 2. उन और तेज अंगों वाला, -अङ्ग सुरभि क्षेत्रमारुह्य मालम् --मेघ० 2. सूर्य 3. आक या (वि.) सुडौल, मनोहर, प्रिय,-अच्छ (वि०) दे. मदार का पौधा। सम० –ध्वजः जनक का विशेषण, शब्द के नीचे,- अन्त (वि०) जिसका अंत भला हो, -पाणिः,-भूत पुं०) बलराम के विशेषण, योग: अच्छी समाप्ति वाला, -- अल्प, अल्पक (वि०) दे० हल में पशु को जोतना, या हल में जुती पशु की शब्द के नीचे,-- अस्ति,-अस्तिक दे० शब्द के नीचे, जोडी। ----आकार,--आकृति (वि०) सुनिर्मित, मनोहर, सीरकः [सीर+कन् दे० 'सीर'। सुन्दर, आगत दे० शब्द के नीचे,-आभास (वि०) सीरिन् (पुं०) [सोर-+-इनि] बलराम का विशेषण शि० बड़ा शानदार व प्रसिद्ध कि० 15 / 22, ष्ट / 2 / (वि.) भली भाँति किया गया यज्ञ, कृत् (पुं०) सीलन्दः घः (पुं०) एक प्रकार की मछली। अग्नि का एक रूप. उक्त (वि०) अच्छा बोला सीवनम् [सिब + ल्युट, नि० दीर्घः] 1. सीना, तुरपना, टांका हुआ, खूब कहा हुआ-अथवा सूक्तं खल केनापि-वेणी० लगाना 2. जोड़, सन्धिरेखा (जैसे खोपड़ी की)। 3, (–क्तम्) अच्छी या समझदारी की उक्ति सीवनी सीवन+ङीष्] 1. सुई 2. लिंगमणि का सन्धि -नेतुं वाञ्छति यः खलान् पथि सतां सूक्तैः सुधास्यशोथ / न्दिभिः ..भर्त० 216, रघु० 15 / 95 2. वैदिक भजन सीसम्, सीसकम्, सीसपत्रकम् [सि+क्विप, पूषो० दीर्घः या सूक्त यथा 'पुरुषसूक्त' आदि, वशिन् (पं.) =सी, सो-क-=स, सी+स कर्म० स०; सीस मंत्रद्रष्टा, वैदिक ऋषि, °पाच् (स्त्री०) 1. भजन +कन, सीस+पत्रक] सीसा, "-मालवि० 5 / 144, 2. स्तुति का शब्द, उक्तिः (स्त्री०) 1. अच्छा या याज्ञ० 11190 / सौहार्दपूर्ण भाषण 2. अच्छा या चातुर्यपूर्ण कथन सीहुण्डः =सिहुण्ड, पृषो० | सेंहुड (बाड़ लगाने का एक | 3. शुद्ध वाक्य, उत्तर (वि.) 1. अतिश्रेष्ठ 2. उत्तर कांटेदार पौधा)। दिशा की ओर, उस्थान (वि०) खूब प्रयत्न करने सु। (भ्वा० उभ० सुवति-ते) जाना, हिलना-जुलना। वाला, बलशाली, फुर्तीला, (-नम्) प्रबल प्रयत्न या ii (म्वा० अदा० पर० सवति, सौति) शक्ति या सर्वो- उद्योग,-उन्मद,-उन्माद (वि.) बिल्कुल पागल, परि सत्ता धारण करना। दीवाना,--उपसदन (वि.) जिसके पास पहुँचना For Private and Personal Use Only