________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 1117 ) प्रकार, कर्तृ, -कार, --कृत् (पुं०) सुनार,-गणितम् साथ, सुन्दरता से 2. अत्यंत, बहुत ज्यादह ---सुष्टु गणित में हिसाब लगाने की एक विशेष रीति, शोभसे आर्यपुत्र एतेन विनयमाहात्म्येन ... उत्तर०१ --पुष्पित (वि०) सोने से भरा-पूरा . उदा० सुवर्ण- 3. सचमुच, ठीक,-शब्दः सुष्ठ प्रयक्तः ....सर्व०, पुष्पिता पृथ्वीं विचिन्वन्ति त्रयो जनाः। शूरश्च कृत-1 अथवा सुष्ठु खल्विदमुच्यते। विद्यश्च यश्च जानाति सेवितुम पंच० ११४५,-पृष्ठ | सुध्मम् [सु-+-मक, सुक् ] रस्सी, डोरी, रज्ज। (वि०) सोना चढा हुआ, सोने का मुलम्मा चढ़ा | सुझाः (पुं०, ब० व०) एक राष्ट्र का नाम-- आत्मा हुआ, माक्षिकम खनिज पदार्थ विशेष, सोनामाखी, संरक्षितः सुार्वत्तिमाश्रित्य वैतसीम-रघु० 4135 / -युथी पीली जही,--रूप्यक (वि०) सोने और सूi (अदा० दिवा० आ०-सूते, सूयते, सूत) उत्पन्न करना, चाँदी से भरपूर, - रेतस (पं०) शिव का विशेषण, पैदा करना, जन्म देना (आलं० से भी)--असूत सा --वर्णा हल्दी, - सिद्धः जिसने जादू से सोना प्राप्त नागवधूपभोग्यम् कु० 1120, कीति सूते दुष्कृतं कर लिया है,-स्तेयम् सोने की चोरी (पाँच महापातकों या हिनस्ति ... उत्तर० 5 / 31, प्र, उत्पन्न करना में से एक)। पैदा करना, जन्म देना। सवर्णकम | सवर्ण-+-कन 1 1. पीतल, कांसा 2. सीसा। (तुदा० पर० सूवति) 1. उत्तेजित करना, उकसाना, सुवर्णवत् (वि.) [सुवर्ण+मतुप् ] 1. सुनहरा 2. सुनहरे | प्रेरित करना 2. (ऋण का) परिशोध करना / रंग का, सुन्दर, मनोहर / सू (वि.) [सू-- क्विप् ] (समास के अन्त में प्रयुक्त) सुषम (वि.) [सुष्ठ समं सर्व यस्मात् प्रा० ब०] उत्पन्न करने वाला, पैदा करने वाला, फल देने वाला अत्यंत प्रिय या सुन्दर, बहुत सुखकर,—मा परम -- (स्त्री०) 1. जन्म 2. माता। सौन्दर्य, अत्यधिक आभा या कान्ति-- कुरबककुसुम सूकः [सू-कन् ] 1. बाण 2. हवा, वाय 3. कमल / चपलासुषमं--गीत० 7, सुषमाविषये परीक्षणे निखिलं सूकरः [सू+करन्, कित् ] 1. वराह, सूअर-दे० शुकर पद्ममभाजि तन्मुखात्-नै० 2 / 37, भामि० 11 2. एक प्रकार का हरिण 3. कुम्हार,-री 1. सूअरी 26, 2 / 12 / 2. एक प्रकार की काई, शैवाल / सुषवी [ सु+सु-अच+ङीष 11. एक प्रकार की लौकी सूक्ष्म [ सूक्+मन्, सुक् च नेट् ] 1. बारीक, महीन, 2. काला जीरा 3. जीरा / आणविक-जालांतरस्थसूर्यांशो यत् सूक्ष्म दृश्यते रजः सुषावः (पुं०) शिव का विशेषण / 2. थोड़ा, छीटा-इदमुपहितसूक्ष्मग्रन्थिना स्कन्धदेशे सुषिः (स्त्री०) [शुष् +इन्, पृषो० शस्य सः ] छिद्र, श० 1118, रघु० 18149 3. बारीक, पतला, सूराख, तु० 'शुषिः / / कोमल, बढ़िया 4. उत्तम 5. तेज, तीक्षण, बेधी सुषि (षी) म (वि.) [सुश्य +मक, सम्प्रसारण, 6. कलाभिज्ञ, चालबाज, धूर्त, प्रवीण 7. यथार्थ, यथापुषो०] 1. शीतल, ठंडा 2. सुखकर, रुचिकर, मः तथ्य, बिल्कुल सही, ठीक,-क्ष्मः 1. अण, 2. केतक 1. शीतलता 2. एक प्रकार का साँप 3. चन्द्रकान्त का पौधा 3. शिव का विशेषण,-क्ष्मम 1. सर्वव्यापक मणि। सूक्ष्म तत्त्व, परमात्मा 2. बारीकी 3. संन्यासियों द्वारा सुषिर (वि०) [ शुष --किरच, पृषो० शस्य सः ] 1. छिद्रों प्राप्य तीन प्रकार की शक्तियों में से एक, तु० सावध से पूर्ण, खोखला, सरन्ध्र 2. उच्चारण में मन्द, -रम् 4. कलाभिज्ञता, प्रवीणता 5. जालसाजी, धोखा 1. छिद्र, रन्ध्र, सूराख 2. कोई भी बाजा जो हवा 6. बारीक धागा 7. एक अलंकार का नाम जिसकी से बजे। परिभाषा मम्मट ने इस प्रकार दी है कुतोऽपि सुषुप्तिः (स्त्री०) [सु+स्वप्+क्तिन् ] 1. गहरी या लक्षितः सूक्ष्मोऽप्यर्थोऽन्यस्मै प्रकाश्यते / धर्मेण केनचिप्रगाढ़ निद्रा, प्रगाढ़ विश्राम 2. भारी बेहोशी, आत्मिक द्यत्र तत्सूक्ष्म परिचक्षते // काव्य० 10 / सम० अज्ञान - अविद्यात्मिका हिं बीजशक्तिरव्यक्तशब्द -एला छोटी इलायची, तण्डल: पोस्त, तण्डला निर्देश्या परमेश्वराश्रया मायामयी महासुषुप्तिर्यस्यां 1. पीपल, पीपली 2. एक प्रकार का पास,-दर्शिता स्वरूपप्रतिबोधरहिताः शेरते संसारिणो जीवा:-ब्रह्मसूत्र सूक्ष्मदष्टि होने का भाव, तीक्ष्णता, अग्रदृष्टि, बद्धिपर शारी० भाष्य -114 / 3 / मानी,----शिन्, दृष्टि (वि०) 1. तेज नज़र वाला सुषुम्णः [सुष ।-म्ना+क] सूर्य की प्रधान किरणों में से श्येन जैसी दृष्टि वाला 2. बारीक विवेचनकर्ता एक, म्णा शरीर की एक विशेष नाड़ी जो इडा 3. तीक्ष्ण, तेज मन वाला,--दारु (नपुं०) लकड़ी का तथा पिंगला नाम की वाहिकाओं के मध्य में पतला तख्ता, फलक,-देहः, -शरीरम् लिंग शरीर स्थित है। जो सूक्ष्म पंच महाभूतों से युक्त है,-पत्रः 1. धनिया सुष्ठ (अव्य०) [सु+स्था+कु] 1. अच्छा, उत्तमता के / 2. एक प्रकार का जंगली जीरा 3. एक प्रकार का For Private and Personal Use Only