________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 1097 ) सान्तपनम् [सम्+त+ल्यट-+अण ] एक कठोर व्रत 1. कवचधारी 2. शस्त्र उठाने के लिए कहने वाला, -तु० मनु० 111212 ! युद्ध के लिए तैयार होने को प्रोत्साहन देने वाला सान्तर (वि.) [सह अन्तरेण ब-स.] 1. अंतर या | -शि०१५।७२,-कः कवचधारी। अवकाशयुक्त 2. झोना। सानाय्यः [सम् +नी+ण्यत्, नि०] धीयुक्त कोई पदार्थ सान्तानिक (वि.) (स्त्री०--को) [सन्तान+ठक] जो आहति के रूप में अग्नि में डाला जाय-शि० 1. फैलने वाला, विस्तारय क्त (जैसे कि वृक्ष) 1241 / 2. संतानसंबंधी 3. सन्तान नामक वृक्षसंबंधी,-कः | सान्निध्यम् [सन्निधि+व्यञ्] 1. पड़ोस, सामीप्य- वदनावह ब्राह्मण जो संतान की इच्छा से विवाह करना मलेन्दुसान्निध्यतः मा० 35 2. उपस्थिति, हाजरी चाहता है। - रघु० 4 / 6, 7 / 3, कु० 7 / 33 / सान्त्व (चुरा० उभ० सान्त्वयति ते) शान्त करना, खुश | सान्निपातिक (वि.) (स्त्री०-की) [सन्निपात+ठक] करना, सुलह करना, ढाढ़स बंधाना, आराम पहुँचाना 1. विविध 2. जटिल 3. कफ, पित्त, वायु तीनों ही -भट्टि० 3 / 23 / दोष जिसके विकृत हो गये हों--कु० 248, पंच० सान्त्वः, सांत्वनम्,-ना [सान्त्व् +घञ, ल्युट् वा] 1. खुश 1 / 127 / करना, शान्त करना, ढाढस बंधाना 2. सुलह करना, | सान्यासिक सिंन्यासः प्रयोजनमस्य-ठक] 1. अपने धार्मिक मृदु या हलका उपाय 3. कृपापूर्ण या ढाढस बँधाने जीवन के चौथे आश्रम में विद्यमान ब्राह्मण देखो वाले शब्द 4. मृदुता 5. अभिवादन एवं कुशलक्षेम / / सन्यासिन 2. साधु / सान्दीपनिः [ सन्दीपन-+इ ] एक ऋषि का नाम | सान्वय (वि०) [सह अन्वयेन - ब० स०] आनुवंशिक / (विष्णुपुराण के अनुसार वह कृष्ण और बलराम के सापत्न (वि.) (स्त्री०-त्नी) [सपत्नी+अण] सौतेली आचार्य थे। गुरुदक्षिणा में उन्होंने अपने पुत्र को। पत्नी से उत्पन्न, स्नाः (पुं० ब० व०) एक ही पति जिसे पंचजन नामक राक्षस उठा कर पानी में धस | से भिन्न भिन्न पत्नियों के बच्चे। गया था, वापिस मांगा। श्रीकृष्ण ने पानी में गोता सापत्न्यम् सपत्नी+व्या] 1. सौतेली पत्नी की दशा लगाया। वहाँ उस राक्षस को मार डाला, और 2. प्रतिद्वन्द्विता, महत्त्वाकांक्षा, शत्रुता, न्यः 1. सौतेली गुरु के पुत्र को लाकर उनके सुपुर्द कर दिया)। पत्नी का पुत्र 2. शत्रु / सान्वृष्टिक (वि०) (स्त्री०-..-की) [ सन्दृष्टि +ठक] | सापराध (वि.) [सह अपराधेन-ब० स०] अपराधी, देखते ही देखते होने वाला, तात्कालिक,-कम् तात्का- | जुर्म करने वाला, मुजरिम / लिक परिणाम / सापिण्यम् [सपिण्ड-Fष्या] समान पितरों को पिंडदान सान्त (वि०)[सह अन्द्रेण-ब० स०] 1. पासपास, सटाहुआ, के संबंध, बंधुता, रक्तसम्बन्ध / अनन्तराल 2. मोटा, घन, ठोस, गाढ़ा -दुर्वर्णभि- सापेक्ष (वि.) [सह अपेक्षया-ब० स०] लिहाज करने तिरिह सान्द्र सुवासवर्गा --शि० 4 / 28, 64, 9 / 15, वाला, निर्भर। रघु०७।४१, ऋतु० 1120 3. गुच्छा बना हुआ, | साप्तपद (वि.) (स्त्री०-दी) साप्तपदीन (वि.) [सप्तसंगृहीत. हृष्टपुष्ट, मजबूत, हट्टाकट्टा 5. अत्यधिक, पद-अण खा वा] सात पग साथ-साथ चलने से विपुल, प्रचुर-सान्द्रानन्दक्षुभितहृदयप्रस्रवेणेव सिक्तः बनी हई (मैत्री)-यतः सतां सन्नतगात्रि सङ्गतं मनी___ उत्तर० 6 / 22 6. उग्र, प्रखर, प्रचण्ड-व्याप्तान्तराः षिभिः साप्तपदीनमुच्यते-कु० 5 / 39 यहाँ द्वितीयार्थ, सान्दकुतूहलानाम् - रघु० 7.11, शि० 9 / 37 अधिक अच्छा लगता है, पंच० 2 / 43, 41103, 7. चिकना, तैलाक्त, चिपचिपा 8. स्निग्ध, मद, दम, नम् 1. विवाह के अवसर पर दूल्हा व सौम्य 9. सुखकर, रुचिकर,-वः राशि, ढेर / दुल्हिन द्वारा यज्ञाग्नि की सात प्रदक्षिणाएँ करना सान्धिकः [सन्या सूराच्यावनं शिल्पं वेत्ति-ठक] कलाल, (यह विवाहसम्बन्ध को अटुट बना देती है) 2. मित्रता, शराब खींचने वाला। घनिष्ठता। सान्धिविग्रहिकः सन्धिविग्रह-ठका विदेश मंत्री (राज्य- साप्तपौरुष (वि० (स्त्री०-धी) [सप्तपुरुष+अण] सात सचिव) (जो संधि और विग्रह का निर्णय करे)। पीढ़ियों तक फैला हुआ-मनु० 33146 / / सान्ध्य (वि.) (स्त्री०-ध्यो सन्ध्या+अण सायंकालीन, | साफल्यम् [सफल---ष्य] 1. सफलता, उपयोगिता, साँझ-संबंधी सान्ध्यं तेजः प्रतिनवजवापुष्परक्तं दधानः उपजाऊपन 2. लाभ, फायदा 3. कामयाबी। -----मेघ० 36, कि० 5 / 8, रघु० 11160, शि० | साब्दी (स्त्री०) एक अकार का अंगूर / 9 / 15 / साभ्यसूप (वि.) [सह अभ्यसूयया----ब० स०] डाह करने सानहनिक ( वि० ) ( स्त्री०—की ) [सन्नहन+ठक्] | वाला, ईर्ष्यालु / 138 For Private and Personal Use Only