________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जात वृक्ष लाकर उसके उद्यान में लगाया), युगम् / मणि के साथ सत्यभामा अपने पिता के घर विद्यमान स्वर्णयुग, दे० ऊ० सत्य (6)-- वचस् (वि.) सत्य- थी तो अक्रूर नामक यादव के भड़काने पर, जो स्वयं वादी, सत्यनिष्ठ, (पुं०) 1. सन्त, ऋषि 2. महात्मा इस मणि को लेना चाहता था, शतधन्वा ने सत्राजित् (नपुं०) सचाई, ईमानदारी, वद्य (वि०) सत्यभाषी को मार डाला और वह मणि लेकर अऋर को दे दी। (थम्) सचाई, ईमानदारी,-वाच (वि) सत्यवादी, उसके बाद कृष्ण ने शतधन्वा को मार डाला। परन्तु सत्यनिष्ठ, खरा (पुं०) 1. सन्त, महात्मा, ऋषि, जब उन्हें पता लगा कि वह मणि तो अक्रर के पास कौवा,---वाक्यम् सत्यभाषण, खरापन,-वाबिन (वि०) है तो उन्होंने कहा कि एक बार वह मणि सब लोगों 1. सत्यभाषी 2. निष्कपट, स्पष्टभाषी, खस,-बता को दिखा दी जाय तथा फिर अक्रूर भले ही उस मणि .....संगर,-संघ (वि०) 1. वादे का पक्का, अपनी को अपने पास रक्खें)। प्रतिज्ञा का पालन करने वाला, सत्यनिष्ठ, ईमानदार, सत्वर (वि.) [सह त्वरया-ब० स०] फुर्तीला, द्रुतनिष्कपट,- श्रावणम् शपथग्रहण, संकाश (वि०) गामी, चुस्त,-रम् (अव्य०) शीघ्र, जल्दी से / प्रशस्त, गुंजाइश वाला, देखने में ठीक जंचता हुआ, सत्कार (वि.) [संह थूत्कारेण ] वह मनुष्य जिसके सत्याभ। मह से बोलते समय थुक निकले. --रः बात के साथ सत्यङ्कारः [सत्य-++घञ, मुम्] सत्य करना, वादा मुंह से थूक निकलना। पूरा करना, सोदे या संविदा की शर्त पूरी करना 2. बयाने की रकम, अगाऊ दिया गया धन, ठेके का (भ्वा० पर०-कुछ के अनुसार तुदा० पर०-सीदति, सन्न, 'प्रति' को छोड़कर अन्य इकारान्त तथा उकाकाम पूरा करने के लिए ज़मानत के रूप में दी गई अग्रिम राशि -कि० 1150 / रान्त उपसर्ग के लगने पर सद् के स् को प हो जाता है) 1. बैठना, बैठ जाना, आराम करना, लेटना, लेट सत्यवत् (वि०) [ सत्य+मतु] सत्यभाषी, सत्यनिष्ठ, जाना, विश्राम करना, बस जाना,—अमदा: सेदुरेकपुं० एक राजा का नाम, सावित्री का पति,ती एक स्मिन् नितम्बे निखिला गिरेः-भट्टि० 9 / 58 2. डबना, मछुए की लड़की जो पराशर मुनि के सहवास से व्यास गोते लगाना----तेन त्वं विदुषां मध्ये पडू गौरिव की माता बनी, सुतः व्यास / सीदसि--हिः प्र. 24 (यहाँ इस शब्द का अर्थ सत्या [सत्यमस्ति अस्याः -सत्य+ अच्+टाप्] 1. सचाई, -४-भी है) 3. जीना, रहना, बसना, वास करना ईमानदारी 2. सीता का नाम 3. द्रौपदी का नाम, 4. खिन्न होना, हतोत्साह होना, निराश होना, हताश ----कि० 11150 4. व्यास की माता सत्यवती का नाम होना, भग्नाशा में डूब जाना - नाथ हरे जय नाथ 5. दुर्गा का नाम 6. कृष्ण की पत्नी सत्यभामा का हरे सीदति राधा वासगृहे - गीत० 6 5. म्लान नाम। होना, नष्ट होना, बर्बाद होना, छीजना, नष्ट होना सत्यापनम् [सत्य+णि+ल्युट, पुकागमः] 1. सत्यभाषण --विपन्नायां नीती सकलमवशं सीदति जगत्-हि. करना, सत्य का पालन करना 2. (किसी संविदा या 2177, रघु० 7 / 64, हि० 2 / 130 6. दुःखी होना, सौदे आदि की) शर्ते पूरी करना / पीडित होना, कष्टग्रस्त होना, असहाय होना-कि० सत्र दे० 'सत्त्र'। 13 // 60, मनु० 821 7. बाधित होना, विघ्न युक्त सत्रप (वि.) [सह त्रपया-ब० स०] लज्जाशील, विनयी। होना,-मनु० 9 / 94 8. म्लान होना, क्लान्त होना, सत्राजित् (पुं०) निघ्न का पुत्र तथा सत्यभामा का पिता थका हुआ होना, निहाल होना, अवसन्न होना (सत्राजित् को सूर्य से स्यमन्तक नाम की मणि प्राप्त -सीदति मे हृदयं का०, सीदन्ति मम गात्राणि हुई थी, और उसने उसको अपने कण्ठ में पहन लिया -भग० श२८ 1. जाना, ....प्रेर० (सादयति था। बाद में सत्राजित् ने इस मणि को अपने भाई –ते) 1. बिठाना, आराम कराना इच्छा० (सिषप्रसेन को दे दिया प्रसेन से यह मणि वानरराज त्सति) बैठने की इच्छा करना, अव-, 1. निढाल जांबवान् के हाथ लगी, जब कि उसने प्रसेन का वध होना, मुछित होना, विफल होना, रास्ते से हट जाना किया। फिर कृष्ण ने जांबवान् से युद्ध किया और "-करिणी पङ्कमिवावसीदति कि० 2 / 6, 4 / 20, उसे परास्त कर दिया। अतः जांबवान् ने अपनी पुत्री भट्टि० 6 / 24 2. भुगतना, उपेक्षित होना 3. हतोके साथ यह मणि कृष्ण को दे दी। दे० जाम्बवत् / त्साह होना, श्रान्त होना 4. नष्ट होना, क्षीण होना, कृष्ण ने इस मणि को इसके मूल अधिकारी सत्राजित् समाप्त होना-नास्त्युद्यमसमो बन्धुः कृत्वायं नावसीको दे दिया। सत्राजित् ने भी कृतज्ञता के कारण यह दति,-(प्रेर०) 1. अवसन्न करना, हतोत्साह करना, मणि, अपनी पुत्री सत्यभामा समेत कृष्ण को ही बर्बाद करना-भग० 65 2. दूर करना, हटाना अर्पित कर दी। उसके पश्चात् एक बार जब इस -औत्सुक्यमात्रमवसादयति प्रतिष्ठा ---श० 5 / 6 3. नष्ट For Private and Personal Use Only