________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कम्-मृच्छ० 3, मनु० 9 / 276 8. पार्थक्य, प्रभाग | सन्ध्या सिन्धियत् +टाप, सम् +ध्ये+अ+टाप् वा] 9. (व्या० में) संहिता, उच्चारण की सुगमता के 1. मिलाप 2. जोड़, प्रभाग 3. प्रातः याः सायंकाल का लिए ध्वनिपरिवर्तन की प्रवृत्ति, वर्णविकार संधिवेला, झुटपुटा-अनुरागवती सन्ध्या दिवसस्तत्पुर10. अन्तराल, विश्राम 11. संकट काल 12. उपयुक्त स्सरः। अहो देवगतिश्चित्रा तथापि न समागमः अवसर 13. युगांत-काल 14. (ना० से) प्रभाग या --- काव्य०७4. प्रभात काल 5. सायंकाल, सांझ का जोड़ (यह संधियां गिनती में पांच हैं—सा० द. समय 6. युग का पूर्ववर्ती समय, दो यगों का मध्यवर्ती 330-332) कू० 791 15. भग, स्त्री की जन- काल, मनु० 1 / 69 7. प्रातः काल, मध्याह्न काल नेन्द्रिय / सम०- अक्षरम संयक्त स्वर संधिस्वर, तथा सायंकाल की ब्राह्मण द्वारा प्रार्थना--मनु०२।६९, (ए, ऐ, ओ, औ), चोर घर में सेंध लगाने वाला, 4193 8. प्रतिज्ञा, वादा, 9. हद, सीमा 10 चिन्तन, वह चोर जो घर में पाड़ लगाता है,-छेदः (दीवार मनन 11. एक प्रकार का फूल 12. एक नदी का आदि में) छिद्र या सूराख करना,-- जम् मादक मदिरा, नाम 13 ब्रह्मा की पत्नी का नाम / सम... अभ्रम् -जीवकः जो अधर्म की कमाई से जीवन- निर्वाह 1. सायंकालीन बादल (सूर्य की सुनहली आभा से करता है (विशेषतया जैसे कि दलाल) अर्थात् स्त्रियों युक्त)-- सन्ध्याभ्ररेखेव मुहूर्तरागा पंच० 1 / 194 को पुरुषों से मिला कर जीविका अर्जन करने वाला, 2. एक प्रकार की लाल खड़िया, गेरु,-काल: 1. संध्या -दूषणम् संधि या सुलह का भंग कर देना अरिषु का समय 2. सांझ,-नाटिन (पं०) शिव का विशेषण, हि विजयार्थिनः क्षितीशा विदघति सोपधि सन्धि- .-पुष्पी 1. एक प्रकार की चमेली 2. जायफल,-बल: दूषणानि-कि० ११४५,-बन्धः जोड़ों का ऊतक राक्षस,- रागः सिंदूर, रामः (कई विद्वान् यहाँ -श०२,-बन्धनम् स्नाय, कण्डरा, शिरा,--भङ्गः,- 'आराम' शब्द को रखते हैं) ब्रह्मा का विशषण, मुक्तिः (स्त्री०) किसी जोड़ का संबंध टूट जाना, -वन्दनम् प्रातःकाल और संध्या काल की प्रार्थना। --विग्रह (पु०, द्वि० व०) शान्ति और युद्ध अधि सन्न (भू० क० कु.) [सद्+क्त] 1. बैठा हुआ, आसीन, कारः बिदेश विभाग का मन्त्रालय, -विचक्षणः संधि _लेटी हुआ 2. खिन्न, दुःखी, उदास 3. म्लान, विश्रान्त की बातचीच करने में निपुण,-विद (0) संधि की 4. दुर्बल, निश्शक्त, कमजोर 5. क्षीण, छीजा हुआ बातचीत करने वाला, वेला 1. संध्या काल 2. कोई 6. नष्ट, लुप्त 7. स्थिर, गतिहीन 8. सिकुड़ा हुआ भी संधिकाल,-हारक: घर में सेंध लगाने वाला। 9. सटा हुआ, निकटस्थ,-नः पियाल नामक वृक्ष, सन्धिकः [सन्धि+कन एक प्रकार का ज्वर / चिरौंजी का पेड़, म थोड़ा सा, अल्पयात्रा। सन्धिका सन्धिक+टाप्] (मदिरा का) आसवन / सन्नक (वि.) [सन्न+कन नाटा, छोटेक़द का। सम. सन्धित (वि.) [सन्धा- इतच] 1. मिलाया हआ, जोड़ा | -तुः पियालवृक्ष / हुआ 2. बद्ध, कसा हुआ 3. समाहित, पुनर्मिलित, | समत (भू० क० कृ०) [सम्+नम्+क्त] 1. झुका हुआ, मित्रता में आबद्ध 4. स्थिर किया हुआ, ठीक बैठाया नतांग या प्रवण 2. उदास 3. सिकुड़ा हुआ। हुआ 5. आपस में मिलाया हआ 6. अचार डाला | सनतर (वि.) [सन्न+तरप्] अपेक्षाकृत धीमा, विषण्ण हुआ, प्ररक्षित,- तम् 1. अचार 2. मदिरा। (जैसे कि स्वर)। सन्धिनी सिन्धा+इनि+डीप] / गर्माई हई गाय (या तो सन्नतिः (स्त्री०) [सम्+नम् -क्तिन्] 1. अभिवादन, सांड से संयुक्त, या उसके द्वारा गाभिन गाय) सादर प्रणाम, सम्मान 2. विनम्रता 3. एक प्रकार 2. असमय दुही जाने वाली गाय / / का यज्ञ 4. ध्वनि, कोलाहल / सन्धिला सन्धि ला+क+टाप] 1. भीत में किया हुआ | सन्नड (भू० क. कृ.) [सम् + नह+क्त] 1. एक साथ छिद्र, गड्ढा, विवर 2. नदी 3. मदिरा। मिलाकर कटिबद्ध 2. कवचित, सुसज्जित, वख्तरवंद सन्धुक्षणम् सम् +धुश् + ल्युट] 1. सुलगना,प्रज्वलित होना 3. व्यवस्थित, तैयार, युद्धके लिए उद्यत, शस्त्रास्त्र से 2. उत्तेजित करना, उद्दीपन / पूर्णतः सुसज्जित, नवजलघरः सन्नद्धोऽयं न दृप्तनिशासन्धुक्षित (भू.क.कृ.) [सम् Fधुश्+क्त] सुलगा हुआ, चरः .. विक्रम० 411, मेघ० 8 4. तत्पर, उद्यत, प्रज्वलित, भभकाया हुआ। निर्मित, सुव्यवस्थित-कूसममिव लोभनीयं यौवनसन्धेय (वि.) [सम+बा+यत] 1. मिलाये जाने या जोडे मङ्गेषु सन्नद्धम् -श० 1121 6. किसी भी वस्तु से जाने के योग्य 2. पूनर्मिलित होने के योग्य--सुजनस्तु युक्त 7. घातक 8. नितान्त संलग्न, सीमावर्ती, निककनकघटवद् दुर्भेद्यश्चाशुसन्धेय:--हि. 192 टस्थ / सन्नयः[सम्+नी+अच्] 1. संचय, समुच्चय, परिमाण, लगाया जा सके। संख्या 2. पृष्ठभाग, (किसी सेना का) पृष्ठभाग / For Private and Personal Use Only