________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 1055 ) सखी [ सखि + ङीष् ] सहेली, सहचरी, नायिका की। 1. संकरा, सिकुड़ा हुआ, भीड़ा, सकीर्ण 2. अभेद्य, सहेली, ... नृत्यति युवति-जनेन समं सखि विरहिजनस्य अगम्य 3. पूर्ण, भरा हुआ, जड़ा हुआ, झालरदार दुरन्ते -गीत०.१ / -----संकटा ह्याहिताग्नीनां प्रत्यवायर्गहस्थता-महावीर० सख्यम् [ सख्युर्भावः यत् ] 1. मित्रता, घनिष्ठता, मैत्री, 4133, उत्तर० 116, टम 1. भीड़ा रास्ता, संकीर्ण -ममूर्छ सख्यं रामस्य समानव्यसने हरौ . रघु०१२। घाटी, तंग दर्रा 2. कठिनाई, दुर्दशा, जोखिम, डर, 57, समानणीलव्यसनेषु सख्यम् ... सुभा० 2. समानता, खतरा संकटेष्वविषण्णधी:-का०, संकटे हि परीक्ष्यन्ते -- ख्यः मित्र। प्राज्ञाः शूराश्च संगरे कथा० 31493 / सगण (वि.) [गणेन सह-ब० स०] दल बल सहित | सङ्कथा [सम्+कथ् +अ+टाप् | समालाप, बातचीत / उपस्थित, -णः शिव का विशेषण। सङ्करः [सम् ++अप] 1. सम्मिश्रण, मिलावट, सगर (वि०) [गरेण सह-ब० स०] विषैला, जहरीला,-र: अन्तमिश्रण श०२ 2. साथ मिलानः, मेल एक सूर्यवंशी राजा / (यह बाहुराजा का पुत्र था, गर 3. (जातियों का) मिश्रण या अव्यवस्था, अन्तर्जातीय सहित पैदा होने के कारण इसका सगर पड़ा क्योंकि अवैध विवाह जिसका परिणाम मिश्रजातियां हैं इसकी माता को इसके पिता को दूसरी पत्नी ने विष चित्रेषु वर्णसंकरः का०, भग, श४२, मनु० दे दिया था। सुमति नाम की इसको पत्नी से इसके 10 // 40 4. (अलं०) दो या दो से अधिक आश्रित साठ हजार पुत्र हुए। इसने 99 यज्ञ सफलता पूर्वक अलंकारों का एक ही सन्दर्भ में मिश्रण (विप० सम्पन्न किये, परन्तु जब सौवा यज्ञ होने लगा तो इन्द्र संसृष्टि जिसमें अलंकार स्वतन्त्र होते हैं अविश्रान्तिने इसका घोड़ा उड़ा लिया और पाताल लोक ले गया! जुषामात्मन्यङ्गाङ्गित्वं तु संकरः-काव्य० 10, या इस बात पर सगर ने अपने साठ हजार पुत्रों को -अङ्गाङ्गित्वेऽलङ्कृतीनां तद्वदेकाश्रयस्थितौ / संदिग्धत्वे घोड़ा ढूंढने का आदेश दिया, जब इस पृथ्वी पर घोड़े च भवति संकरस्त्रिविधः पुनः - सा० द० 757 का पता न लगा तो वह पाताल में जाने के लिए इस 5. धूल, बुहारन, कूड़ाकरकट, -री दे० नी. पृथ्वी को खोदने लगे, ऐसा करने पर समद्र की सीमाएँ संकारी। बढ़ गई और इसी लिए वह 'सागर' के नाम से | सङ्कर्षणम् [सम्+कृष् + ल्युट] 1. मिलकर खींचने को विख्यात हुआ-तु० रघु० 13 / 3, जब उन्हें कपिल क्रिया, सिकुड़न 2. आकर्षण 3. हल चलाना, खूड ऋषि के दर्शन हुए तो उन्होंने उस पर घोड़ा चुराने निकालना-णः बलराम का नाम--संकर्षणात्तु गर्भस्य का आरोप लगाकर बुरा भला कहा। ऋषि के शाप स हि संकर्षणो युवा.. हरि०। से वे साठ हजार पुत्र तुरन्त भस्म हो गए। फिर सङ्कलः [सम्+कल् + अच् (भावे)] 1. संग्रह, संचय कई हजार वर्ष के पश्चात् उन्हीं का वंशज भगीरथ गंगा | 2. जोड़। को पाताल लोक ले जाने में सफल हआ, वहां उसने | सङ्कलनम्-ना [सम् +कल+ल्यूट] 1. ढेर लगाने की उनकी भस्म को गंगा जल से सींच कर पवित्र किया | क्रिया, 2. संपर्क, संगम 3. टक्कर 4. मरोड़ना, ऐंठना तथा इस प्रकार उनकी आत्माओं को स्वर्ग में। 5. (गणि. में) योग, जोड़। भिजवाया)। सङ्कलित (भू० क. कृ०) [सम् +कल्+क्त] 1. ढर सगर्भः,-Hः [सह समानो गौं यस्य-ब० स०, समाने गर्भ लगाया गया, चट्टा लगाया गया, संचित किया गया भवः यत् वा] सहोदर भाई-महावीर० 6 / 27 / / 2. साथ-साथ मिलाया गया, अमिश्रित 3. पकड़ा सगुण (वि०) [गुणेन सह-ब० स०] 1. गुणवान् गुणों से गया, हाथ में लिया गया 4: जोड़ा गया / .युक्त 2. अच्छे गुणों से युक्त, सद्गुणी 3. भौतिक | सङ्कल्पः [ सम्+कृप्+घञ , गुणः, रस्य लः ] 1. इच्छा 4. (धनुष की भांति) डोरी से सुसज्जित, ज्यायुक्त शक्ति, कामनाशक्ति, मानसिक दृढ़ता,-क: कामः 5. साहित्यिक गुणों से युक्त / संकल्प:-दश 2. प्रयोजन, उद्देश्य, इरादा, विचार सगोत्र (वि.) [सह समान गोत्रमस्य-ब० स०] एक ही 3. कामना, इच्छा सङ्कल्पमात्रोदितसिद्धयस्ते-रघु० कुल में उत्पन्न, बन्धु, रिश्तेदार, त्रः 1. एक ही पूर्वज 14 / 17 4. चिन्तन, विचार, विमर्श, उत्प्रेक्षा, की सन्तान, श०७ 2. एक हो कुल का, श्राद्ध, पिण्ड, कल्पना तत्संकल्पोपहितजडिमस्तम्भमभ्येति गात्रम् तर्पण साथ करने वाला व्यक्ति 3. दूर का रिश्तेदार -मा० 1135, वृथैव सङ्कल्पशतैरजस्रमनङ्ग नीतोऽसि 4. परिवार, कुल, वंश। मया विवृद्धिम्-श०३१४ 5. मन, हृदय,-मा० सन्धिः (स्त्री०) [अद् +क्तिन् नि० ग्धि, सहस्य सः] साथ- 72 6. कोई धार्मिक कृत्य करने की प्रतिज्ञा खाना, मिलकर भोजन करना। 7. किसी ऐच्छिक पुण्यकार्य से फल की आशा / सम० सट (वि.) [सम्+कटच्, सम् +कट् +अच् वा] / -ज, जन्मन् (पुं०)- योनिः कामदेव के विशेषण For Private and Personal Use Only