________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir का विशेषण-तस्यात्मा शितिकण्ठस्य सैनापत्यमपेत्य / का (स्त्री०) 1. रेशेदार जड़ 2. कमल की जड़ 3. जड़ वः-कु० 2 / 61, 6 / 81 2. मोर-अवनतशितिकण्ठ 4. कोड़े की मार 5. माँ 6. एक नदी। सम... धरः कण्ठलक्ष्मीमिह दधति स्फुरिताणुरेणुजाला:-शि० / शाखा, कहः वटवृक्ष। 4156 3. जलकुक्कुट,--छवः,-पक्षः हंस,-रत्नम् शिफाक: [ शिफा+कन् ] कमल की जड़ / नीलम,-बासस् (पुं०)बलराम का विशेषण---विडम्ब- शिविः (वि) [ शि+वि ] 1. शिकारी जानवर 2. भूर्जयन्तं शितिवासस्तनुम् - शि. 116 / वृक्ष 3. एक देश का नाम (ब० व०) 4. एक राजा का शिथिल (वि.) [श्लथ+किलच, पुषो०] 1. ढीला, धीमा, नाम (कहते हैं कि कबूतरी के रूप में इसने बाज़ सुस्त, विश्रान्त 2. विनबंधा, खुला हुआ श० 216 रूपधारी इन्द्र से अग्नि की रक्षा की थी, और तोल में 3. वियुक्त, डाल से टूटा हुआ-श० 218, 4. निढाल, कबूतर के बराबर अपना मांस इन्द्र के सामने प्रस्तुत निश्शक्त, असमर्थ 5. दुर्बल, कमजोर--अशिथिल- किया था) तु० मुद्रा०६।१७। परिरम्भ -- उत्तर० 1 / 34, 27, गाढ या दृढालिंगन | शिबि (वि) का [ शिवं करोति--शिव-+-णि+दुल] 6. पिलपिला, ढीलाढाला 7. घुला हुआ 8. मुआया 1. पालकी, डोली 2. अरथी। हुआ 9. निष्क्रिय, निरर्थक , व्यर्थ 10. असावधान शिवि (वि) रम [ शेरते राजबलानि अत्र-शी+किरच, 11. ढीलेढाले ढंग से किया हुआ, परी पावन्दी के साथ बुकागमः, ह्रस्व: 11. तंबू-धृष्टद्युम्नः स्वशिबिरमयं जिसको सम्पन्न न किया गया हो 12. फेंका हआ, याति सर्वे सहध्वम्-वेणी० 3 / 18, शि० 5 / 68 परित्यक्त, ...लम् 1. ढीलापन, शिथिलता 2. सुस्ती 2. राजकीय तंबू, या ख मा 3. सेना की रक्षा के लिए (शिथिली कृ 1. ढीला करना, खोलना, खुला छोड़ना, अकाट्य निवेश 4. एक प्रकार का अन्न। 2. छूट देना, ढील डालना 3. दुर्बल करना, निर्बल शिवि (वि) रथः [ शिवेः भूर्जवृक्षस्य ई: शोभा यत्र करना, कमजोर बनाना 4. छोड़ देना, परित्यक्त करना | तादृशो रथः ] पालकी, डोली। . रघु० 2141. शिथिली भू 1. ढीला होना, सुस्त होना शिम्बा | शम्+इम्बच्, पृषो०] फली, छीमी, सेम / 2. गिर पड़ना-मृच्छ० 1113) / शिम्बिका [ शिम्बा+कन्+टाप, इत्वम् ] 1. फली, सेम शिथिलयति (ना० घा० पर०) 1. विश्राम करना, घोमा | 2. एक प्रकार के काले उड़द (कुछ के अनुसार पुं० करना, ढीला करना 2. छोड़ देना, परित्याग करना भी)। ...वेणी० 5 / 6 3. कम करना, शान्त होने देना | शिम्बी (स्त्री०) 1. फली, सेम 2. एक प्रकार का पौधा। ---विक्रम०२। | शिरम् [श+क] 1. सिर 2. पिप्परामल (इन अयों में शिथिलित (वि०) [ शिथिल+इतच ] 1. ढीला किया कुछ के अनुसार पुं० भी),--र: 1. शय्या 2. अज हुआ 2. विधान्त, खोला हुआ 3. घुला हुआ, गर। सम -ज बास। प्रविलीन। शिरस् (नपुं०) [शृ+असुन्, निपातः] 1. सिर - शिरसाशिनिः [ शी+निः ह्रस्वश्च ] यादवों के पक्ष का एक इलाघते पूर्व (गुणं) परं (दोष) कण्ठे नियच्छति योद्धा (शिनेनंप्त (पुं०) सात्यकि)। . -सुभा० 2. खोपड़ी 3. शृङ्ग, चोटी, शिखर (पहाड़ शिपिः [शी+क्विप्, शी+पा+क, पूषो. ह्रस्व: इत्वं आदि का)-हिमगौररचलाधिप: शिरोभिः-कि०५। च] प्रकाश की एक किरण--(स्त्री०) त्वचा, चमड़ा 11, शि. 4154 4, वृक्ष की चोटी 5. किसी चीज़ ..(नपुं०) जल शैत्याच्छयनयोगाच्च शिपिबारि का सिर या शिरोबिन्दु-शिरसि मसीपटलं वषाति प्रचक्षते-व्यास / सम-विष्ट (वि.) (शिपविष्ट, दीपः---भामि० 1174 6. कंगरा, कलश, उच्चतम तथा शिविपिष्ट भी लिखा जाता है) 1. किरणों से बिन्दु 7. अग्रभाग, अगला भाग, सेना का अगला भाग व्याप्त 2. गंजा, गंजेसिर वाला 3. कोढ़ी (ष्टः) -श० 7 / 26, उत्तर० 35 8. मुख्य, प्रधान, 1. विष्णु 2. शिव 3. गंजी खोपड़ी वाला 4. शिश्ना मुखिया (बहुधा समास के अन्त में) (सघोष व्यंजनों प्रच्छदविहीन 5. कोढ़ी। के पूर्व 'शिरस्' बदल कर समास में "शिरों हो जाता शिप्रः [ शिरक, पुक] हिमालय पर्वत पर स्थित एक है)। सम० - अस्थि (शिरोऽस्थि) खोपड़ी, कपालिन् सरोवर। (पुं०) मनुष्य-खोपड़ी रखने वाला संन्यासी, शिप्रा [ शिप्र+टाप् ] शिप्र सरोवर से निकली एक नदी ----गहम् सबसे ऊपर का घर, चन्द्रशाला, अट्टालिका, का नाम जिसके तट पर उज्जयिनी नगर बसा हुआ .-प्रहः सिर पीड़ा, सिर दर्द, - छेदः - छेदनम् है-शिप्रावातः प्रियतम इव प्रार्थनाचाटुकार: (शिरच्छेवः आदि) सिर काट देना, सिर कलम --मेघ० 31 / कर देना,-तापिन् (पुं०) हाथी,--त्रम्, प्राणम् शिफ: वे० 'शिफा'। 1. लोहे को टोप -च्यतः शिरस्त्रश्चषकोत्तरेव 128 For Private and Personal Use Only