________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 1015 ) व्यत्पत्तिः (स्त्री०) धर्मशास्त्रों का , अन्तरंग ज्ञान, / भ्यासः काव्य० 1, अभूच्च नम्रः प्रणिपातशिक्षया शास्त्रों में प्रवीणता, शिल्पिन (पु.) काश्मीरदेश, ---रघु० 3 / 25, मालवि० 4 / 9, रणशिक्षा 'युद्ध---सिस (वि०) धर्मशास्त्रों के प्रमाणानुसार विज्ञान' 4. छ: वेदांगों में से एक जिसके द्वारा शब्दों स्थापित / का सही उच्चारण तथा सन्धि के नियम सिखाये शास्त्रिन् (वि.) (स्त्री०-णी) [ शास्त्र - इनि ] शास्त्रों जाते हैं 5. विनय, विनम्रता / सम० --करः में अभिज्ञ, कुशल (पुं०) शास्त्रों में पारंगत, विद्वान् 1. अध्यापक, शिक्षक 2. व्यास, नरः इन्द्र का विशेपुरुष, महान पंडित। षण, शक्तिः (स्त्री०) कुशलता / शास्त्रीय (वि.) [ शास्त्रेण विहितः छ | 1. वेदविहित, शिक्षित (भू० क० कृ०) [शिक्ष-+क्त, शिक्षा जाताऽस्य शास्त्रानुमोदित 2. वैज्ञानिक / -तार० इतन् ] 1. अधिगत, अधीत 2. अध्यापित, शास्य (वि.) [ शास-+ ण्यत् ] 1. सिखलाये जाने योग्य. सिखाया गया-अशिक्षितपटुत्वम् श० 5 / 21 उपदेश दिये जाने योग्य 2. विनियमित या शासित 3. प्रशिक्षित, अनुशासित 4. सघाया हुआ, विनयकिये जाने के योग्य 3. दण्डनीय, दण्डाह।। शील 5. कुशल, चतुर 6. विनीत, लज्जाशील / शि (स्वा० उभ० शिनोति, शिनुते) 1. तेज़ करना, पैनाना / सम०-- अक्षरः शिष्य, - आयुध (वि०) हथियारों 2. कृश करना, पतला करना 3. उत्तेजित करना के संचालन में अभिज्ञ / 4. सावधान होना 5. तीक्ष्ण होना। शिखण्डः [शिखाममति-अम-|-ड, शक० पररूपम्] 1. शिः [शि-+-क्विप् ] 1. माङ्गलिकता, स्वरसाम्यता | मुंडन - संस्कार के अवसर पर रखी गई शिखा, चोटी, 2. स्वस्थता, सौम्यता, शान्ति, अमन-चैन 3. शिव या दोनों पार्श्व में छोड़े गये बाल, काकपक्ष 2. मोर का विशेषण। की पूछ। शिशपा [ शिवं पाति-शिव+पा+क, पृषो० साधु: ] शिलण्डकः [शिखण्ड इव+-कन्] 1. चूडाकर्म सस्कार के 1. शीशम का पेड़ 2. अशोक वृक्ष / अवसर पर सिर पर रक्खी गई चोटी 2. सिर के शिक्कु (वि.) [ सिच्+कु, पृषो ] सुस्त, आलसी, पार्श्वभागों में छोड़े गये बाल (क्षत्रियों के लिए यह अकर्मण्य / चोटी तीन या पाँच होती हैं) उत्तर० 4 / 19 3. शिक्थम् [ सिन्+थक्, पृषो०] मोम, तु० सिक्थ' / कलंगी, बालों का गुच्छा, चूडा या शेखर 4. मयूर शिक्यम्, शिक्या [ संस्+-यत्, कुगागमः, शि आदेशः पुच्छ। -शिक्य+टाप् ] 1. (रस्सी से बुना हुआ) छींका, | शिखण्डिकः [शिखण्डिन्+के+क:] मुर्गा / झोला 2. बहंगी पर लटका कर ले जाये जाने वाला | शिखण्डिका दे० शिखण्ड (1) / बोझ / शिखण्डिन् (वि.) [शिखण्डोऽस्त्यस्य इनि] कलगीदार, शिवियत (वि०) [ शिक्य+णिच् + क्त ] छींके में लट शिखाधारी. (पुं०) 1. मोर-नदति स एष वधूसखः काया हुआ। शिखण्डी-उत्तर० 3 / 18, रघु० 1139, कु० 215 शिश् (म्वा० आ० शिक्षते शिक्षित) सीखना, अध्ययन 2. मुर्गा 3. बाण 4. मोर की पूंछ 5. एक प्रकार करना, ज्ञानार्जन करना अशिक्षतानं पितुरेव मन्त्र- की चमेली 6. विष्णु 7. द्रुपद के एक पुत्र का नाम वत्--रघु० 3 / 311 (शिखण्डी मूलरूप से स्त्री था, क्योंकि अंबा ने भीष्म शिक्षकः (स्त्री० शिक्षका, शिक्षिका) [ शिक्ष+णिच से बदला चुकाने के लिए द्रुपद के घर जन्म लिया +ण्वल ] 1. सीखने वाला 2. अध्यापक, सिखाने (दे० अंबा)। परन्तु जन्म से ही उस कन्या की वाला,-यस्योभयं (अर्थात क्रिया और संक्रान्ति) साघु पुत्ररूप में घोषणा की गई और पुत्र की भांति ही स शिक्षकाणां धुरि प्रतिष्ठापयितव्य एव-मालवि. उसकी शिक्षा-दीक्षा हई। समय पाकर उसका 216 / विवाह हिरण्यवर्मा की पुत्री से हुआ, परन्तु जब शिक्षणम् [शिक्ष् + ल्युट ] 1. सीखना, अधिगम, ज्ञानार्जन हिरण्यवर्मा को ज्ञात हुआ कि मेरा जामाता तो 2. अध्यापन, सिखाना। सचमुच स्त्री है तो उसे बड़ा दुःख हुआ, इसलिए शिक्षमाणः [ शिक्ष-+-शानच् ] शिष्य, विद्यार्थी, विद्या- उसने इस धोखा दिये जाने के कारण द्रपद की राजभ्यासी। घानी पर चढ़ाई करने की सोची। परन्तु शिखंडी ने शिक्षा [शिक्षु भाव अ+टाप् ] 1. अधिगम, अध्ययन, एक जंगल में रह कर घोर तपस्या की, और किसी ज्ञानाभिग्रहण-रघु० 2 / 63 2. किसी कार्य को करने उपाय से उसने अपना स्त्रीत्व यक्ष को देकर उसका के योग्य होने की इच्छा, निष्णात होने की इच्छा पुरुषत्व बदले में प्राप्त किया और इस प्रकार दुपद 3. अध्यापन, शिक्षण, प्रशिक्षण-काव्यशशिक्षया- | के ऊपर बाए हुए संकट को टाला। बाद में महा For Private and Personal Use Only