________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तो सुग्रीव को भाग कर ऋष्यमूक पर्वत पर शरण / त्याग कर दिया तो इस ऋषि ने सीता को अपने लेनी पड़ी। सुग्रीव की पत्नी तारा को वालि ने आश्रम में शरण दी, उसके दोनों पुत्रों का पालन छीन लिया, परन्तु राम के द्वारा वालि का वध होने पोषण किया, उन्हें शिक्षा दी। बाद में इसने पर वह फिर सुग्रीव को मिल गई। इनको राम के सुपुर्द कर दिया / वालुका [वल +उण्+कन्+टाप्] 1. रेत, बजरी-अकृ- | वाल्लभ्यम् [ वल्लभ+ष्या ] प्रिय होने का भाव, तज्ञस्योपकृतं वालुकास्विव मूत्रितम् 2. चुर्ण 3. कपूर, वल्लभता / -का,-को एक प्रकार की ककड़ी। सम०--आस्मिका | वावदूक (वि.) [पुनः पुनरतिशयेन वा वदति-वद्+य, शर्करा। लुक्, द्वित्वम् =वावद्+ऊक] 1. बातूनी, मुखर वालेय दे० बालेय। 2. वाक्पटु / वाल्क (वि.) (स्त्री०-की) [वल्क+अण्] वृक्षों की | वावयः [वय् + यङ्, लुक्, दित्वम्, अच्] एक प्रकार की छाल से बना हुआ। तुलसी। वाल्कल (वि.) (स्त्री-ली) [वल्कल+अण्] वृक्षों की वावुट: (पुं०) नाव, डोंगी। छाल से बना हुआ,-लम् बक्कल की पोशाक,-ली वावत् (दिवा० आ० वावृत्यते) 1. छांटना, पसन्द करना, मदिरा, शराब / चुनना, प्रेम करना-ततो वावृत्यमानासी रामशालां वाल्मीकः, वाल्मीकिः विल्मीके भवः अण इश वा] एक न्यविक्षत भट्टि० 4 / 28 2. सेवा करना / विख्यात मुनि तथा रामायण के प्रणेता का नाम वावृत्त (वि.) [ वावृत्+क्त ] छांटा गया, चुना गया, (जन्म से यह ब्राह्मण था, परन्तु बचपन में मातापिता पसंद किया गया। द्वारा परित्यक्त होने पर यह कुछ बर्वर पहाड़ियों को | वा i (दिवा० आ० वाश्यते, वाशित) 1. दहाड़ना, मिल गया जिन्होंने इसे चोरी करना सिखलाया। क्रंदन करना, चीत्कार करना, चिल्लाना, ह ह करना, यह शीघ्र ही चौर्य कला में प्रवीण हो गया और कुछ (पक्षियों का) गुनगुनाना, ध्वनि करना-(शिवाः) वर्षों तक बटोहियों को मारने और लूटने का कार्य तां श्रिताः प्रतिभयं ववाशिरे-रषु० 1261, शि० करता रहा। एक दिन उसे एक महामुनि मिला 18175, 76, भट्टि० 14114, 76 2. बुलाना। जिसको इसने मार डालने का भय दिखा कर कहा, वाशक [ वाश्+ण्वुल ] दहाड़ने वाला, मुखर, निनादी। कि जो कुछ पास है सब निकाल कर रख दो। वाशकम् [ वा+ल्युट ] 1. दहाड़ना, चिंघाड़ना, गुर्राना, परन्तु मुनि ने इसे कहा कि पहले घर जाकर अपनी ___ आक्रोश करना 2. पक्षियों का चहचहाना, कूकना, पत्नी और बच्चों को पूछो कि क्या वह लोग तुम्हारे / (मक्खियों का) भिनभिनाना। इस अनन्त अत्याचार व लूटमार के जो तुम अब तक | वाशिः[ वाश+इन ] अग्नि देवता, आग। करते रहे हो. साझीदार है। वह तुरन्त घर गया | वाशितम् [ वाश्+क्त ] पक्षियों का कलरव / परन्तु उनकी अनिच्छा को जानकर बड़ा उद्विग्न | वाशिता वासिता [वाशित+टाप, वस्+णिच+क्त+ हुआ। तब मुनि ने उसे 'मरा' 'मरा' (जो 'राम' टाप्] 1. हथिनी-अभ्यपद्यत स वाशितासखः प्रतीप है) उच्चारण करने के लिए कहा और अन्त पुष्पिताः कमलिनीरिव द्विपः--रघु० 19:11 2. (न हो गया। यह लुटेरा इस शब्द का वर्षों जप स्त्री / करता रहा, यहां तक कि उसका शरीर दीमको द्वारा वाभः [ वाश्+रक् ] दिन-श्रम् 1. आवास स्थान, घर लाई गई मिट्टी से ढक गया। वही मनि फिर आया 2. चौराहा 3. गोबर। और उसने इसे बांबी से निकाला, वल्मीक (बांबी) वाष्पः, - पम् दे० 'बाष्प' / से निकलने के कारण इसका नाम वाल्मीकि पड़ वास् / (चुरा० उभ० वासयति-ते) 1. सुगंधित करना, गया। यही बाद में बड़ा प्रसिद्ध मुनि हुआ। एक सुवासित करना, धूप देना, धूनी देना, खूशबूदार दिन जब कि वह स्नान कर रहा था, उसने क्रौंच करना वासिताननविशेषितगंधा कि० 980, पक्षी के जोड़े में से एक को बहेलिये द्वारा मरते हुए प्रकटित पटवाससियन काननानि-गीत० 1, उत्तर. देख, इस पर इस ऋषि के मुख से उस दुष्ट बहे 3 / 16, रघु० 4174, मेघ. 20 ऋतु० 5 / 5 2. लिये के लिए अनजान में कुछ अभिशाप के शब्द सिक्त करना, भिगोना 3. मसाला डालना, मसालेनिकल गये जिन्होंने अनुष्टुप छन्द में श्लोक का रूप दार बनाना। धारण किया। रचना की यह नई शैली थी। ii (दिवा० आ०) दे० 'वार'। ब्रह्मा के आदेश से इसने 'रामायण' नामक प्रथम बासः [ वास्+घा ] 1. सुगंध 2. निवास, आवासकाव्य की रचना की। जब राम ने सीता का परि- वासो यस्य हरेः करे-भामि० 263, रधु० 19 / 2, For Private and Personal Use Only