________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 992 ) जन्म हुआ था) और जन्म होते ही यह बन में चला / -रघु० 10133 3. सन्ध्या करते समय प्रतिदिन गया। जहां यह वानप्रस्थ होकर घोर तपस्साधना में प्रत्येक ब्राह्मण द्वारा उच्चारित ईश्वर परक शब्द लीन रहा जब तक कि इसकी माता सत्यवती ने अपने विशेष (यह व्याहृतियाँ तीन है=भूर्, भुवस, तथा पूत्र विचित्रवीर्य की विधवा पत्नियों में सन्तान उत्पन्न स्वर् जिनका 'ओ३म्' के पश्चात् उच्चारण किया करने के लिए इसे नहीं बुलाया। इस प्रकार यह जाता है, कुछ अन्य विद्वानों के मतानुसार व्याहृतियाँ पाण्डु, घृतराष्ट्र और विदुर का पिता था। पहले गिनती में सात है)। पहले यह रंग का काला होने तथा एक द्वीप पर | ब्युच्छित्तिः (स्त्री०), व्युच्छेदः [बि+उत् +छिद्+क्तिन्, सत्यवती से जन्म लेने के कारण 'कृष्णद्वैपायन' कहलाया, घा वा ] काट डालना, उन्मूलन, पूर्ण विनाश / परन्तु बाद में इसका नाम व्यास पड़ा क्यों कि इसने | व्युत्क्रमः [वि+उत्+क्रम ।-घा 1 1. अतिक्रमण, ही वेदों के मन्त्रों को क्रमबद्ध कर वर्तमान रूप दिया। विचलन 2. उलटा क्रम, वैपरीत्य 3. अव्यवस्था, "विव्यास वेदान्यस्मात्स तस्माद्व्यास इतिस्मृतः" / गड़बड़ी। ऐसा विश्वास किया जाता है कि इसी ने महाभारत | व्यत्कान्त (भ० क० कृ०) [वि+उत-क्रम + क्त ] की रचना कर उसे गणपति द्वारा लेखबद्ध करवाया। 1. अतिक्रान्त, उल्लंघन किया गया 2. जो बिदा हा अठारह पुराणों तथा ब्रह्मसत्रों का रचयिता भी इसी गया हो, छोड़कर चला गया हो, बीत गया हो। को माना जाता है, यह सात चिरजीवियों में से एक व्यस्थानम व्यथितिः ( स्त्रीवि ++स्था--ल्यट. है तु० 'चिरजीविन्) 11. वह ब्राह्मण जो सार्वजनिक क्तिनबा| 1. महान् क्रियाकलाप 2. किसी के विरुद्ध रूप से पुराणों की कथा करता है। खड़े होना, विरोध, रुकावट 3.स्वतन्त्र कर्म, मनोऽनुव्यासक्त (भ० क. कृ०) [ वि+आ+सञ्+क्त ] कूल कार्य 4. (योग० में) धार्मिक मनोयोग की पूर्ति 1. जो दृढ़ता पूर्वक डटा रहे 2. जुड़ा हुआ, लगा या भावात्मक मनन 5. एक प्रकार का नृत्य 6. (हाथी हुआ, तुला हुआ व्यस्त, (अधि० के साथ) 3. नियुक्त, को) उठाना --शि०१८।२६ पथक किया हुआ, अलग किया हुआ 4. परेशान, व्युत्पत्तिः (स्त्री०) [वि+उत्+पद् + क्तिन् ] 1. मूल, व्याकुल, घबड़ाया हुआ। उत्पत्ति 2. व्युत्पादन, निर्वचन 3. पूरी प्रवीणता, व्यासङ्गः [वि+आ+सञ्-घा ] 1. सटा होना, पूरी जानकारी 4. विद्वत्ता, ज्ञान--व्युत्पत्तिरावजित डटे रहना, तुला रहना 2. एकनिष्ठता, भक्ति-भामि० कोविदापि न रञ्जनाय क्रमते जडानाम् विक्रम 1179 3. सपरिश्रम अध्ययन 4. ध्यान 5. पृथक्ता, 1115, 28 / 108 / संयोग। व्युत्पन्न (भू. क. कृ०) [वि+उत्+पद्+क्त ] व्यासिद्ध (भू० क. कृ०) [ वि+आ+सिध्+क्त ] 1. उत्पादित, पैदा किया गया 2. निर्वचन द्वारा 1. प्रतिषिद्ध, वजित 2. निषिद्धपण्य, चोरी का निर्मित 3. व्याकरण द्वारा निष्पन्न, निरुक्त, (शब्द) माल / जिसके निर्वचन का पता लग गया हो (विप० अव्य व्याहत (भृ० क. कृ०) [वि+आ+हन्+क्त ] 1. त्पन्न या मूल) 4. पूरा किया गया, सम्पन्न किया अवरुद्ध, रोका हुआ 2. हटाया हुआ, पीछे ढकेला हुआ गया * महावी० 4157 5. पूरी तरह प्रवीण, विद्वान्, 3. विफल किया हुआ, निराश- शि० 3 / 40 4. पण्डित / व्याकुल, घबड़ाया हुआ, आतंकित / सम० अर्थता | | व्युत्त (भू० क० कृ०) [वि+उन्द्+क्त ] क्लिन्न, आर्द्र, रचना का एक दोष --दे० काव्य०७ / भिगोया हुआ। ध्याहरणम् वि+आ+ह+ल्यूट ] 1. बोलना, उच्चा-व्युवस्त (भू० क० कृ०) [वि+उ+अस्+क्त ] एक रण करना 2. भाषण, वर्णन / / ओर फेंका हुआ, अस्वीकृत, दूर किया हुआ। व्याहारः [वि+आ+ह+घञ ] 1. भाषण, बोलना, | व्युदासः [वि+उद् + अस्+घञ्] 1. एक ओर फेंकना, वचन - उत्तर० 4118, 5 / 29 2. आवाज, स्वर, अस्वीकृति 2. (व्या० में) निकाल देना 3. प्रतिषेध ध्वनि -मालवि० 5.1 / 4. उपेक्षा, उदासीनता 5. हत्या, विनाश शि. ध्याहृत (भू. क. कृ०) [वि+आ+ह+क्त ] क 15/37 हुआ, बोला हुआ, उच्चारण किया हुआ। व्युपदेशः [वि-|-उप+दिश+घ 1 व्याज, बहाना / व्याहृतिः (स्त्री० [वि+आ+ह-|-क्तिन् ] 1. उच्चा- व्युपरमः [वि-उप+रम्+अप] बिराम, यति, समाप्ति / रण, भाषण, वचन न हीश्वरव्याहृतयः कदाचित्पु- व्युपशमः [वि+उप+शम्+अच्] 1. विराम का ब्णन्ति लोके विपरीतमर्थम्--कु० 360 2. वक्तव्य, अभाव 2. अशान्ति 3. पूर्ण विराम (यहाँ 'वि' का अभिव्यक्ति-भूतार्थव्याहृतिः सा हिन स्तुति परमेष्ठिनः / अर्थ 'तीव्रता' है। For Private and Personal Use Only