________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir व्याधूत (भू० क० कृ०) [वि-|-आ+धू+क्त] झंझोड़ा | -जैसा कि 'अव्यापारेषु व्यापार यो नरः कर्तुमिच्छति हुआ, काँपता हुआ, थरथराता हुआ। पंच० 1021) / व्यानः व्यानिति सर्वशरीरं व्याप्नोति ---वि+आ+अन् | व्यापारित (भू. क. कृ.) [वि+आ++णिच्+क्त] +अच्] शरीरस्थ पाँच प्राणों में से एक जो समस्त 1. काम पर लगाया हुआ, स्थापित, नियोजित, नियुक्त शरीर म व्याप्त है। --रघु० 2 / 38 2. रक्खा हुआ, निश्चित, जमाया व्यानतम् [ वि +आ+नम्+क्त ] मैथुन का एक विशेष हुआ वेणी० 3 / 19 / प्रकार, रतिबन्ध / व्यापारिन् (पुं०) [व्यापार+इनि] 1. विक्रेता, व्यापार व्यापक (वि.) (स्त्री०-पिका) [विशेषेण आप्नोति वि करने वाला 2. व्यवसायी। +आप--वल] 1. फैला हुआ, बहुग्राही, प्रसारी, | व्यापिन (वि.) [ वि+आप+णिनि 1 1 व्याप्त होने विस्तृत रूप से फैलने वाला, सर्वतोमखी-तिर्यगर्ध्व- वाला, अपूर्ण करने वाला, अधिकार करने वाला मधस्ताच्च व्यापको महिमा हरे:-कु. 671 (समास के अन्त में) 2. सर्वव्यापक, सहविस्तृत, 2. नितान्त सहवर्ती,-क: नितान्त सहवर्ती या अन्तहित नितान्त सहवर्ती 3. आवरक (पुं०) विष्णु का विशेषण, कम् नितान्त सहवर्ती या अन्तहित गुण / विशेषण। व्यापत्तिः (स्त्री०) [वि+आ+पद्+क्तिन्] 1. बर्बादी, | व्यापत (भू० क० कृ०) [वि-+आप+क्त] 1. काम में संकट, दुर्भाग्य-मनु० 6 / 20 2. स्थानापन्नता 3. मृत्यु लगा हुआ, व्यस्त, नियोजित (अधि० के साथ) -- रघु० 12 / 56 / 2. स्थापित, स्थिर किया हुआ-(पुं०) कर्मचारी, व्यापद् (स्त्री०) [ वि+आ+पद्+क्विप् ] 1. संङ्कट, मन्त्री / दुर्भाग्य, भत० 33105 2. रोग विशृङ्गलता, | व्यापतिः (स्त्री०) व्याप+क्तिन] 1. काम में लगाना चित्तविक्षेप 4. मृत्यु, निधन / व्यस्त करना, व्यवसाय -स्वस्वव्यापतिमग्नमानसतया व्यापनम् [ वि+आप+ ल्युट् ] फैलना, पैठना, सर्वत्र फैल | - भामि० 1157 2. प्रकार्य, कर्म 3. चेष्टा 4. पेशा, जाना। व्यवसाय दे० 'व्यापार। व्यापन्न (भू० क० कृ०)[वि+आ+पद्+क्त] 1. दुर्भाग्य- | व्याप्त (भू० क. कृ०) [वि+आप+क्त) 1. चारों ओर ग्रस्त, बर्बाद 2. विफल, उलट गया (गर्भस्राव हो फैला हुआ, पंठा हुआ, व्यापक, विस्तार किया हुआ, गया) 3. चोट लगा हुआ, घायल 4. मृत, उपरत, आच्छादित, ढका हुआ 2. व्यापक, सर्वत्र फैला हुआ मरा हुआ जैसा कि 'अव्यापन' में 5. विक्षिप्त, 3. भरा हुआ, पूर्ण 4. चारों ओर से लपेटा हुआ, विकृत 6. स्थानापन्न, परिवर्तित / घिरा हुआ 5. स्थापित, जमाया हुआ 6. प्राप्त किया ध्यापावः, व्यापावनम् [वि+आ+पद+णिच्+घा, हुआ, अधिकृत 7. समझा हुआ, सम्मिलित 8. नितांत ल्युट वा ] 1. हत्या, वध 2. बर्बादी, विनाश 3. दुर्भा- संसक्त (तक में) 9. प्रसिद्ध, विख्यात 10. फुलाया वना, द्वेष / हुआ, बिछाया हुआ। व्यापावित (भू.क. कृ०)[वि+आ--पद्+णिच+क्त व्याप्तिः (स्त्री०) [वि+आप+क्तिन] 1. प्रसार, फैलाव 1. वध किया हुआ, कतल किया हुआ, विनष्ट किया 2. (तर्क० में) विश्वतः फैलाव, नितांत सहवर्तिता, हुआ 2. बर्बाद, घायल, चोटिल / किसी एक पदार्थ में दूसरे पदार्थ का पूर्ण रूप से व्यापार: [वि+आ++घञ्] 1. नियोजन, संलग्नता, मिला होना-पत्र-यत्र धूमस्तत्र तत्राग्निरिति साहचर्य व्यवसाय, धन्धा - ततः प्रविशति यथोक्तव्यापारा नियमो व्याप्तिः-तर्क० 3. सार्वजनिक नियम, शकुन्तला श० 1, कु० 2 / 54 2. प्रयोग, काम विश्वव्यापकता 4. पूर्णता 5. प्राप्ति / सम० ग्रहः मु० 2 / 4 3. पेशा, वाणिज्य, व्यवसाय, कार्य सार्वजनिक सहवतिता का बोध, ज्ञानम् सार्वजनिक ....यथा 'शस्त्रव्यापार में 4. कर्म, क्रिया, निष्पादन सहवर्तिता की जानकारी। E. कार्यपद्धति, प्रक्रिया, कृत्य, प्रभाव-(व्रतं) व्यापार-व्याप्य (वि.) [वि+आप्-- ण्यत्] व्यापकता के योग्य रोधि मदनस्य निषेवितव्यम्-श० 1127, तस्यानुमेने भरे जाने के योग्य, प्यम् (तर्क० में) अनुमान भगवान् विमन्युयापारमात्मन्यपि सायकानाम् कु. प्रक्रिया का चिह्न (=हेतु, साधन)। 7193, विक्रम०३।१७ 6. ऊपर रक्खा जाने वाला, व्याप्यत्वम् [व्याप्य+-त्व] नित्यता। सम० असिद्धिः ... मालवि० 4, 14 7. उद्योग, प्रयत्न-आर्याप्य- (स्त्रो०) अधूरी अटकल, अपूर्ण अनुमान / रुन्धती तत्र व्यापारं कर्तुमर्हति कु. 6 / 32, 'उस व्याभ्युक्षी-व्यात्युक्षी (दे०)। दिशा में कार्य करने के लिए प्रसन्न होंगी' (व्यापार व्यामः-व्यामनम् [वि+आ+अम्+घन, ल्युट वा एक तु 1. भाग लेना 2. प्रभाव डालना 3. हाथ डालना ! माप विशेष, जब दोनों हाथ पूर्ण रूप से दोनों ओर For Private and Personal Use Only