________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 1007 ) शललम् / शल+अलच ] साहो का कांटा, ली 1. साही / ओर कर लिया, अन्ततः वह कौरवों की ओर से का काटां 2. छोटी साही। लड़ा। कर्ण के सेनापति बनने पर वह उसका सारथि शलाका [ शल्+आकः, टाप् | 1. छोटी छड़ी, खूटी, बना, और कर्ण की मृत्यु हो जाने पर उसे कौरव डण्डा, कील, टुकड़ा, पतला सीखचा--अयस्कान्तमणि- सेना का सेनापतित्व मिला। एक दिन तक उसने शलाका- मा० 1 2. पेन्सिल (आँख में सुर्मा आंजने सेनापतित्व का भार संभाला, परन्तु दूसरे दिन युधिकी)सलाई-अज्ञानान्धस्य लोकस्य ज्ञानाञ्जनशलाकया। ष्टिर ने उसे मौत के घाट उतार दिया)। सम० चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मै पाणिनये नमः / / शिक्षा०५८, -- अरिः युधिष्ठिर का विशेषण, .. आहरणम्, उद्धकु० 1147, रघु० 78 3. बाण.. साँग, नेजा रणम्, उद्धारः, क्रिया,-- शास्त्रम् कांटा या फांस 5. एक नोकदार शल्योपकरण (धाव की गहराई आदि निकालना, शल्यशास्त्र का वह भाग जो शरीर नापने के लिए) 6. छतरी की तीली 7. (हाथ पैर से असंगत सामग्री को उखाड़ फेंकने से संबंध रखता की अंगुलियों की जड़ की) हड्डी-याज्ञ० 3385 है,--कण्ठः झाऊ चहा, - लोमन् (नपुं०) साही का 8. अंकुर, फुनगी, कोंपल--कु० 1124 1. रंग भरने कांटा, हर्त (पुं०) निरैया, निराने वाला। की कूत्री 10. दांत साफ करने को कूची, दाँत-कुरेदनी / शल्यकः [ शल्य-कन् ] 1. सांग, नेजा, सलाख 2. खपची, 11. साही 12. हाथी दांत या हड्डी का बना जूआ फांस, कांटा 3. झाऊ चूहा, साही।। खेलने का आयताकार (पासा) टुकड़ा / सम-घूर्तः | शल्ल: [शल्ल | अच् ] मेंढक,-ल्लम् बक्कल, छाल / (शलाकाधूर्तः) उचक्का, ठग, परि (अव्य०) जूए | शल्लकः [ शल्ल+कन् ] बृक्ष, शोण वृक्ष,—कम् बक्कल, में मनहस पासा पड़ना, तु० परि, अक्षपरि / छाल। शलाटु (वि.) [ शल+आटु ] अनपका, टुः कन्द- शल्लकी [ शल्लक+डी ] 1. साही 2. एक वृक्ष विशेष विशेष। जो हाथियों को बहुत प्रिय है तु० उत्तर० 2 / 21, शलाभोलि: (पुं०) ऊँट / 316, मा० 9 / 6, विक्रम० 4 / 23 / सम० -द्रव: शल्कम्, शल्कलम् [शल-कन्, कलच् वा ] 1. मछली धूप, लोबान / का वल्कल या छिलका मनु० 5 / 15, याज्ञ० १।शल्वः / शल् / बन् ] एक देश का नाम, दे० 'शाल्व' / 178 2. वल्कल, छाल (वृक्षों की) 3. भाग, | शव् (म्वा० पर० शवति) 1. जाना, पहुँचना 2. बदलना, अंश, खण्ड। परिवर्तन करना, रूपान्तर करना। शल्कलिन, शल्किन् (पुं०) [शल्कल (शल्क)- इनि] शवः, वम् [शब्+अच् ] लाश, मुर्दा शरीर मनु० मछली। 10 / 55, वम् जल, - आच्छादनम् मृतक शरीर शल्म (भ्वा० आ० शल्भते) प्रशंसा करना / का आवरण, दफन,--आश (वि०) मुर्दा खाकर शल्मलि:, ली (स्त्री०) [शल+मलच् + इन् पक्षे डीप्] :: जीने वाला-भट्टि० 12175, --काम्यः कुत्ता यानम्, रेशमी रूई का वृक्ष, सेमल / ...- रयः मुर्दा ढोने की गाड़ी, अरथी, एक प्रकार की शल्यम् [ शल् +-यत् ] 1. बर्डी, नेजा, सांग 2. बाण, तीर, पालकी जिसमें मृतक शरीर रख कर श्मशान भूमि में शल्यं निखातमुदहारयतामरस्त:--- रघु० 9178, शल्य ले जाते हैं। प्रोतम् --- 9975, श०६।९ 3. काँटा, खपची 4. मेख, शवर, शवल दे० शबर शबल / खूटी, थूणी (उपर्युक्त चारों अर्थों में पु० भी होता | शवसान: [ शव+असानच् ] 1. यात्री 2. मार्ग, सड़क, है) 5. शरीर में घुसा हुआ कोई पीड़ा कारक काँटा ..नम् कवरिस्तान, शवाधिस्थान / आदि - अलातशल्यम्-उत्तर० 3 / 35 6. (अलं०) | शशः [ शश्+अच् ] 1. खरगोश, खरहा-मनु० 3 / 270, हृदयविदारक शोक या किसी तीक्ष्ण पीड़ा का कारण 5 / 18 2. चन्द्रमा का कलंक (जो खरगोश की --उद्धृतविषादशल्यः कथयिष्यामि ---श०७ 7. हड्डी आकृति का समझा जाता है) 3. कामशास्त्र में वर्णित 8. कठिनाई, कष्ट 9. पाप, जुर्म 16. विष, ल्यः चार प्रकार के पुरुषों में से एक भेद / ऐसे मनुष्य के 1. साही, झाऊ चूहा 2. काँटेदार झाड़ी 3. (आय. लक्षण ये हैं मधुवचनसुशील: कोमलांगः सुकेशः, में) शल्यचिकित्सा में खपचियों का उग्वेड़ना 4. बाड़, सकलगुणनिधानं सत्यवादी शशोऽयम्-शब्द०, दे० रति० सीमा 5. एक प्रकार की मछली 6. मद्रदेश का राजा, 35 भी 4. लोध्र वृक्ष 5. बोल नामक खुशबूदार गोंद / पांड की द्वितीय पत्नी माद्री का भाई, नकुल और सम.--अङ्कः 1. चाँद 2. कपूर- अर्घमुख (वि०) सहदेव का मामा (महाभारत के युद्ध में उसने पांडवों अर्धचन्द्राकार सिर वाला (वाण आदि)- मतिः की ओर से लड़ने का विचार किया परन्तु दुर्योधन चन्द्रमा का विशेषण लेखा चाँद की कला, चन्द्रकला, ने चालाकी से उस पर प्रभाव डाल कर उसे अपनी -अदः 1. बाज, श्येन 2. पुरंजय के पिता इक्ष्वाकुका एक For Private and Personal Use Only