________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ठेलना 2. शातयति-ते (क) गिराना, नीचे फेंक देना, / सीताय स्मरमोहितः - भट्टि० 8174, 33, कभी कभी काट डालना शि० 14180,. 15 / 24 (ख) वध 'शप' का सजातीय कर्म के अनुसार प्रयोग होता करना, नष्ट करना / है -सहस्रशोऽसौ शपथानशप्यत्-भट्टि० 3 / 32 3. ii (भ्वा० पर० शदति) जाना (प्रायः 'आ' पूर्वक) / कलंकित करना, धमकाना, बुरा-भला कहना, गाली शवः [शद् +अच् खाद्य, शाकभाजी (फल मूल आदि)। देना (संप्र० के साथ या स्वतंत्ररूप से)-द्विषम्यश्चाशविः शिद्+क्रिन] 1. हाथी 2. बादल 3. अर्जुन,-विः / शपस्तथा-भटि१७१४, प्रतिवाचमदत्त केशवः (स्त्री०) बिजली। शपमानाय न चेदिभूभुजे - शि० 4 / 25, -प्रेर० शवः ( वि०) [शद्+रु] 1. जाने वाला, गतिशील (शापयति ते) शपथद्वारा बाँध लेना, शपथपूर्वक प्रतिज्ञा 2. पतनशील, नश्वर, क्षय होने वाला। करना-शापितोऽसि गोब्राह्मणकाम्यया - मृच्छ०३, शनकैः (अव्य०) [शनैः + अकच्] शनैः शनैः दे० शनैः।। मा०८। शनिः [शो+अनि किच्च] 1. शनिग्रह (सूर्य का पुत्र, जो शपः [शप्+अच् ] 1. अभिशाप, सरापना, कोसना काले रंग का या काले वस्त्रों से सज्जित बतलाया 2. शपथ, सौगन्ध / गया है) 2. शनिवार 3. शिव / सम-जम् काली शपथः [ शप्+अथन् ] 1. कोसना 2. अभिशाप, आक्रोश, मिर्च,--प्रदोषः शिव की (सांध्यकालीन) पूजा जो फटकारा 3. सौगन्ध, कसम खाना, शपथ लेना या शुक्लपक्ष की त्रयोदशी को शनिवार आ पड़ने पर दिलवाना, शपथोक्ति-आमोदो न हि कस्तूर्याः की जाती है,--प्रियम् नीलमणि,--वारः,-वासरः शपथेनानभाव्यते-भामि० 1120, मनु० 8 / 109 शनिवार का दिन / 4. शपथपूर्वक अनुरोध, सौगन्ध से बांधना-मा० 312 / शनस् (अव्य०) [ शण+ईस्, पृषो० नुक्] 1. आहिस्ता शपनम् [शप् + ल्युट् ] दे० 'शपथ'। से, धीमे, चुपचाप 2. यथाक्रम क्रमशः, थोड़ा थोड़ा | शप्त (भू० क० कृ०) [शप्+क्त] 1. अभिशप्त 2. करके धर्म-सञ्चिनुयाच्छन:-कु०३।५९, मनु०३।२१७ जिसने सौगन्ध खाली है 3. बुरा भला कहा गया, 3. उत्तरोत्तर, उपयुक्त क्रम में मनु० 1115, | दुर्वचन कहा गया (दे० शा ) / 4. मदुता से, ‘नरमी से 5. सूस्ती के साथ, आलस्य- शफः, -फम् [शप्+अच, पृषो० पस्य फ:] 1. सुम पूर्वक शनैः शनैः आहिस्ता से, आहिस्ता आहिस्ता। 2. वृक्ष की जड़। सम०-चर (वि.) शनैः शनैः घूमने वाला या शफरः (स्त्री० --री) [शफ राति-रा+क] एक चलने वाला--शनैश्चराभ्यां पादाभ्यां रेजे ग्रहमयीव प्रकार की छोटी चमकीली मछली-मोघीकर्त सा-भर्तृ० 1 / 17, (यहाँ इसका अर्थ 'शनि' भी चटुलशफरोद्वर्तनप्रेक्षितानि-मेघ० 40, शि० 8 // 24 // है) (----रः) शनिग्रह / / कु० 4 / 39 / सम०-अधिपः 'इलीश' नामक मछली। शन्तनुः [ शं मंगलात्मका तनुर्यस्य-ब० स०] एक शब (व) रः [शव्+अरन् ] 1. पहाड़ी, असभ्य, भील, चन्द्रबंशी राजा जिसने गंगा व सत्यवती से विवाह जंगली---राजन् गुंजाफलानां सज इति शबरा नैव किया। गंगा का पुत्र भीष्म था, तथा सत्यवती हारं हरन्ति -काव्य०१० 2. शिव 3. हाथ 4. जल के चित्रांगद और विचित्रवीर्य नामक दो पुत्र हुए। 5. एक शास्त्र विशेष या धार्मिक पुस्तक 6. मीमांसा भीष्म आजन्म ब्रह्मचारी रहा, तथा इसके छोटे भाई के प्रसिद्ध भाष्यकार, -री 1. भीलनी 2. राम की निस्सन्तान स्वर्ग सिधारे, तु० 'भीष्म'।. अनन्य भवत एक भीलनी। सम० आलयःजंगली, शप (भ्वा०, दिवा० उभ० शपति ते, शप्यति ते / पहाड़ियों और भीलों का निवासस्थान,--लोध्र जंगली शप्त) 1. अभिशाप देना, कोसना अशपद्भव लोघ्र का वृक्ष। . मानुषीति ताम्-रघु० 8 / 80, सोऽभूत् परासुरथ शब (व) ल (वि०) [शप+अल, बश्च | 1. धब्वेदार, भूमिपति शशाप (वृद्धः) 9 / 78, 1177 2. शपथ रंग-बिरंगा, चितकबरा-रघु० 5 / 44, 13 / 56, लेना, कसम उठाना, शपथपूर्वक प्रतिज्ञा करना, सौ- महावीर० 7 / 26 2. नानारूप, अनेक भागों में गंध खाना (प्रायः प्रतिज्ञात मे संप्र० तथा प्रतिज्ञाता विभक्त, -- लः नानाप्रकार का रंग,-ला,-ली के लिए करण० प्रयक्त होता है)-भरतेनात्मना चाहं 1. धब्बेदार या चितकबरी गाय 2. कामधेनु,-लम् शपे ते मनुजाधिप। यथा नान्येन तुष्येयमते राम पानी। विवासनात् राम०, कर्मरहित प्रयोग होने पर | शब्द (चरा० उभ० शब्दयति-ते, शब्दित) 1. ध्वनि करना, शपथवस्तु में करण तथा जिसके द्वारा शपथ की शोर मचाना 2. बोलना, बुलाना, आवाज़ देना जाय उशमें संप्र. प्रयुक्त होता है - सत्यं शपामि ते --विततमदूकरायः शब्दयन्त्या वयोभिः परिपतति पादपकजस्पर्शन-का०, घट० 22, अशप्त निहवानोसो | दिवोऽङ्के हेलया बालसूर्यः-शि०१११४७ 3. नाम For Private and Personal Use Only