________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 982 ) बवाहिक (वि.) (स्त्री०- की) [विवाह+ठ | णस्य लक्ष्मीः -- भामि० 2010 2. रावण का नाम / विवाहसंबंधी, विवाहविषयक, विवाह के कारण होने / सम.-..आलयः,- आवास: 1. कुबेर का आवासस्थल वाला-- कु०७।२,--कः,-कम् विवाह, शादी,-कः 2. बड का वृक्ष,-उबयः बड़ का पेड़ / पुत्र वधू का श्वसुर, या दामाद का श्वसुर / वैश्वदेव (वि.) (स्त्री०-वी) [विश्वदेव+अण] विश्वेवंशवम् [विशद+व्य] 1. स्वच्छता, निर्मलता (आलं.)। देवों से सम्बन्ध रखने वाला,-वम् 1. विश्वेदेवों को 2. स्पष्टता 3. सफेदी 4. शान्ति, ( मन की) प्रस्तुत किया गया उपहार 2. सभी देवताओं को भेंट स्वस्थता / ( भोजन करने से पूर्व विश्वदेव यज्ञ में आहुति बैशसम् [विशस+अण्] 1. विनाश, हत्या, वध-कु. देकर ) / 4 / 31, उत्तर. 4 / 24, 6 / 40 2. दुःख, सन्ताप, | वैश्वानरः [विश्वानर+अण्] 1. अग्नि का विशेषण, त्वत्तः पीना, कष्ट, कठिनाई-उपरोधवेशसम्—मुद्रा० 2, खाण्डवरङ्गताण्डवनटो दूरेऽस्तु वैश्वानरः--भामि० मा० 9 / 35 / 1157 2. जठराग्नि,---अहं वैश्वानरो भूत्वा प्राणिनां शस्त्रम् [ विशस्त्र+अण् ] 1, असुरक्षा 2. राजकीय | देहमाश्रितः। प्राणापानसमायुक्तः पचाम्यन्नं चतुशासन / विधम् (वेदान्त०) 3. परमात्मा। शायः [विशाख+अण्] 1. चान्द्रवर्ष का दूसरा महीना | वैश्वासिक (वि.) (स्त्री०-को) [विश्वास+ठक्] विश्व ( अप्रैल-मई ) 2. रई का डण्डा - द्रुततरकरदक्षाः सनीय, गोपनीय। भिप्तवैशाखशले कलशिमुदधिगुर्वी वल्लवा लोडयन्ति | वैषम्यम [विषम-व्यञ] 1. असमता 2. खुरदरापना, -शि० 1138,- सम बाण चलाते समय की एक | कठोरता 3. असमानता 4. अन्याय 5.कठिनाई.विपत्ति. मटा. विशाख'-खी वंशाख मास की पूणिमा / | संकट 6. एकाकीपन / शिक (वि.) [वेशेन जीवति–वेश+ठक्] वेश्याओं वषयिक (वि०) (स्त्री-की) [विषय+ठक] 1. किसी द्वारा अभ्यस्त–वैशिकी कलाम् --मच्छ० 113, पदार्य-सम्बन्धी 2. विषयों से सम्बन्ध रखने वाला, वेश्याओं द्वारा अभ्यस्त कलाएं,-कः जो वेश्यामों वासनात्मक, शारीरिक,-क: कामी, लम्पट / के साहचर्य में रहता है, शृङ्गार-साहित्य में पाया बष्टुसम् [विष्टत्या निर्वत्तम्-विष्टुति+अण] भस्मीकृत जाने वाला एक नायक, -कम् वेश्यावृत्ति, वेश्यामों बाइतियों की राख / की कलाएँ। वेष्ट्रः विश+ष्ट्रन्, वृद्धि] 1. अन्तरिक्ष, आकाश 2. हवा, वैशिष्टपम् / विशिष्ट व्यञ] 1. भेद, अन्तर 2. विशि- वायु 3. लोक, विश्व का एक प्रभाग / ष्टता, विशेषता, अनूठापन-वैशिष्टपादन्यमथं या | वैष्णव (वि.) (स्त्री०-ची) विष्णु+अण] 1. विष्णु बोधयेत्सार्थसम्भवा-सा० द० 27 3. श्रेष्ठता-सा० ___ सम्बन्धी, रघु० 11385 2. विष्णु की पूजा करने द०७८4. विशिष्टलक्षणसम्पन्नता। वाला,--वः तीन महत्त्वपूर्ण आधुनिक हिन्दू-संप्रदायों वैशेषिक (वि.) (स्त्री०-को) [विशेष पदार्थभेदमधि में से एक, दूसरे दो हैं शैव और शाक्त, .. वम् भस्मीकृत्य कृतो ग्रन्थ:-विशेष+ठक] 1. विशेषता युक्त कृत आहुतियों की राख / सम० पुराणम् अठारह 2. वैशेषिक दर्शन के सिद्धान्तों से संबंध रखने वाला, पुराणों में से एक पुराण / -कम् छः हिन्दूदर्शनशास्त्रों में से एक दर्शन जिसके बैसारिणः [विशेषेण सरति विसारी मत्स्यः स एवं-विसा प्रणेता कणाद थे, गौतम के न्यायदर्शन से इसकी | रिन्+अण्] मछली / भिन्नता इस बात में है कि इसमें सोलह के बजाय | वहायस (वि.) (स्त्री०-सी) [विहायस-+-अण] हवा केवल सात तत्वों का विवेचन है तथा 'विशेष' पर | में विटामा / विशेष बल दिया गया है। | बहार्य (वि.) [विशेषेण ह्रियते-वि+ह ण्यत्-+-अण्] वशेष्यम् विशेष+ष्यश] श्रेष्ठता, प्रमुखता, सर्वोत्तमता। जिससे हंसी दिल्लगी की जाय, जिसे उपहास का बंश्यः [विश+प्या] तृतीय वर्ण का पुरुष, इसका व्यव- विषय बनाया जाय (जैसे पत्नी का भाई, या ससुराल साय व्यापार और कृषि है-विशत्याशु पशभ्यश्च ___ का कोई रिस्तेदार)। कृष्यादावरुचिः शुचि, वेदाध्ययनसम्पन्नः स वैश्य | हासिकः [विहासं करोति-विहास+ठक] हंसोकड़ा, इति संशित: पधः। सम... कर्मन् (नपुं०) विदूषक / वृत्तिः (स्त्री०) वैश्य का व्यवसाय या पेशा, वोड: [वा+उड़] 1. एक प्रकार का सांप 2. एक तरह की व्यापार, खेती आदि। | मछली। बंभवणः [विश्रवणस्यापत्यम्--अण] 1. धन का स्वामी | बोडी वोड़+हीष] पण का चौथा भाग। कुबेर,-विभाति यस्यां ललितालकायां मनोहरा वैश्रव- / वोद (पुं०) [वह +तृच्] 1. ढोने वाला, कुली 2. नेता For Private and Personal Use Only