________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पानी, प्रभा लाभा में से विशेषण, --कालः बसन्त की लहर, बसन्त ऋतु,-घोषिन् मग्नमापत्ययोधौ--कि० 1146, (दोनों अवस्थाओं में (पुं०) कोयल, जा 1. वासन्ती या माधवी लता 'वसु' शब्द का अर्थ धन दौलत भी है). 12. सूर्य 2. वासन्ती चहल-पहल, दे० वसन्तोत्सव,--तिलकः --स्त्री. प्रकाश, किरण / सम.--.ओ (औ) कसारा ---कम् वसन्त ऋतु का अलंकार-फुल्लं बसन्ततिलक 1. इन्द्र की नगरी अमरावती 2. कुबेर की नगरी तिलक वनाल्याः -छंद० 5, ( कः का, कम्) एक अलका 3. एक नदी का नाम जो अलका या अमराछंद का नाम, दे० परिशिष्ट १,-द्वतः 1. कोयल वती से संबद्ध है,--कीट:- कृमिः भिक्षुक, दा 2. चैत्र का महीना 3. हिंदोल राग 4. आम का पृथ्वी,----देवः कृष्ण के पिता और सूर के पुत्र का नाम वृक्ष,-"दूती शृंगबल्ली का फूल,---द्रुः, नुमः आम का एक वदुवंशी, भूः,- सुतः कृष्ण के विशेषण वृक्ष, - पंचमी माघ शुक्ला पंचमी, बंधुः, सखः देवता,-देव्या धनिष्ठा नाम का नक्षत्र, धमिका कामदेव के विशेषण। स्फटिक,---धा 1. पृथ्वी वसुधेयमवेक्ष्यतां त्वया-रधु० वसा [वस्-+अच्+टाप्] 1.मेद, चरबी, मज्जा , पशुमज्जा , 8 / 83 2. भूमि--कु० 4 / 4, °अधिपः राजा धरः पशुओं के गुर्दे की चर्बी-मुद्रा० 3128, रधु०१५।१५ पहाड़ विक्रम० 117 नगरम् वरुण की राजधानी 2. कोई तेल या चर्बीवाला स्राव 3. मस्तिष्क। सम० --. धारा,-भारा कुबेर की राजधानी,-प्रभा आग -आढघः,---आढचकः सुंस, छटा भेजा-पायिन् की सात जिह्नाओं में से एक,-प्राणः अग्नि का (पुं०) कुत्ता। विशेषण,-रेतस् (पुं०) अग्नि, .. श्रेष्ठम् 1. तपाया वसिः [वस्+इन्] 1. कपड़े 2. निवास, आवास / हुआ सोना 2. चाँदी,बेणः कर्ण का नाम, स्थली बसित (भू० क० कृ०) वस्-णिच-त] 1. पहना कुबेर की नगरी का विशेषण। हुआ, धारण किया हुआ 2. निवास 3. (अनाज | वसु (सू) कः [वसु-कै+क] आक का पौधा,-कम् आदि) संगृहीत / 1. समुद्री नमक 2. शिलीभूत लवण / वशिरम् [वस्+किरच्] समुद्री नमक / वसुन्धरा [वसूनि चारयति-वसु++-णिच्+खच् वसिष्ठः ('वशिष्ठ' भी लिखा जाता है] 1. एक विख्यात +टाप, मुम्] पृथ्वी, नानारत्ना वसुन्धरा -रघु० मुनि का नाम, सूर्यवंशी राजाओं का कुल पुरोहित, | 47 / कई वैदिक सूक्तों के ऋषि, विशेष कर ऋग्वेद के वसुमत् (वि.) [वसु-+-मतप] दौलतमंद, धनवान,-ती सातवें मंडल के; ब्राह्मणोचित प्रतिष्ठा तथा शक्ति पृथ्वी-वसुमत्या हि नृपाः कलत्रिण:-रघु० 882, के आदर्श प्रतिनिधि, विश्वामित्र ने उनकी समानता श० 1125 / करने का बहुत प्रयत्न किया, और इसी कारण वसुलः [वसु+ला+क] सुर, देवता / तत्संबन्धी अनेक उपाख्यान प्रचलित हो गये---तु. वसूरा वस् / ऊरच्+टाप] वेश्या, रंडी गणिका / विश्वामित्र 2. स्मृति के प्रणेता का नाम (कभी-कभी वस्क (म्वा० आ० वस्फते) जाना, हिलना-जुलना। ऋषि के नाम पर ही इसका नाम 'वसिष्ठ स्मति' वस्कय दे० 'वष्कय। लिया जाता है)। वस्कयणी दे० 'वष्कयणी'। वसु (नपुं०) [वस्+उन्] 1. दौलत, धन स्वयं प्रदुग्धे- वस्कराटिका (स्त्री०) विच्छू / ऽस्य गुणरुपस्नुता वसूपमानस्य वसूनि मेदिनी-कि० वस्तु (चुरा० उभ० वस्तयति-ते) 1. क्षति पहुँचाना, 1218, रधु० 8 / 31, 96 2. मणि, रत्न 3. सोना हत्या करना 2. मांगना, निवेदन करना, याचना +. पानी 5. वस्तु. द्रव्य 6. एक प्रकार का नमक करना 3. जाना, हिलना-जुलना / 7. एक जड़ी-विशेष, वृद्धि (पुं०) 1. एक देव समूह वस्म वस्तु+अच आवासस्थान--स्तः बकरा दे० 'बस्त'। (इस अर्थ में ब०व०) जो गिनेती में आठ हैं-1. | वस्तकम् विस्त-कै+-क] कृत्रिम लवण / आप 2. ध्रुव 3. सोम 4. घर या घव 5. अनिल बस्तिः (0, स्त्री०) वस+ति:] 1. निवास, आवास, 6. अनल7. प्रत्यूष और 8. प्रभास, कभी-कभी 'आप' टिकना 2. उदर, पेट का नाभि से नीचे का भाग के स्थान में 'अहं' को गिनते हैं-धरो ध्रुवश्च सोमश्च 3. पेड़ 4. मूत्राशय 5. पिचकारी, एनीमा। सम० अहश्चवानिलोऽनलः, प्रत्यूषश्च प्रभासश्च वसवो- सलन् मूत्र, शिरस् (नपुं०) 1. एनीमा की नली, ऽष्टाविति स्मृताः 2. आठ की संख्या 3. कुबेर -शोधनम् (मूत्राशय साफ करने की) मूत्र बढ़ाने 4. शिव . अग्नि 6. वृक्ष 7. सरोवर, तालाब 8. वाली दवा। रास 1. जुवा बांधने की रस्सी 10 बागडोर 11. ! वस्तु (नपुं०) [वस्+तुन्] 1. वस्तुतः विद्यमान चीज, प्रकाश की किरण---निरकाश यद्रविमपेतवस वियदा- वास्तविक, वास्तविकता-वस्तुन्यवस्त्वारोपोऽज्ञानम् लयादपरदिग्गणिका-शि० 9:10, शिथिलवसुमगाधे 2. चीज, पदार्थ, सामग्री, द्रव्य, मामला-अथवा For Private and Personal Use Only