________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पांछनम् [ वांछ+ ल्युट् ] कामना, इच्छा करना। वाणी [वण् + इण्+डीप्] 1. भाषण, वचन, भाषा वांछा [ वांछ+अ+टाप् ] कामना, इच्छा, अभिलाषा, .-बाण्येका समलंकरोति पुरुष या संस्कृता धार्यते --वांछा सज्जनसंगमे --- भर्तृ० 2 / 62 / --भर्तृ० 2 / 19 2. बोलने की शक्ति 3. ध्वनि, वांछित (भू० क० कृ०) [वांछ्+क्त ] अभीष्ट, इच्छित, आवाज-केका वाणी मयूरस्य-अमर०, इसी प्रकार -तम अभिलाष, इच्छा। आकाशवाणी 4. साहित्यिक कृति या रचना-मद्वाणि वाछिन् (वि०) [ वांछ--णिनि ] 1. अभिलाषी 2. मा कुरु विषादमनादरेण मात्सर्यमग्नमनसां सहसा विलासी। खलानाम - भामि० 4 / 41, उत्तर० 7 / 21 5, बाटः,----टम् [ वट+घा ] 1. बाड़ा, घिरा हुआ भूभाग, प्रशंसा 6. विद्या की देवी सरस्वती। अहाता-स्ववाटकुक्कुट विजयहृष्ट:-दश०, इसी वात् (चुरा० उभ० वातयति-ते) 1. हवा का चलना 2. प्रकार देश', श्मशान आदि 2. उद्यान, उपवन, पंखा करना, हवादार करना 3. सेवा करना 4. फलोद्यान 3. सड़क 4. तट पर लगाया गया लकड़ी के प्रसन्न करना 5. जाना। तख्तों का बांध 5. अन्न विशेष / सम०--धानः बात (भू० क० कृ०) [वा-+क्त] 1. बही हुई 2. इच्छित ब्राह्मण स्त्री में पतित ब्राह्मण द्वारा उत्पन्न सन्तान या अभीष्ट, प्रथित,-तः 1. हवा, बाय 2. वायु का -दे० मनु० 1021 / देवता, वायु की अधिष्ठात्री देवता 3. शरीर के तीन वाटिका [ वट् +ण्वुल -+-टाप, इत्वम् ] 1. वह भूखण्ड दोषों में से एक 4. गठिया, सन्धिवात / सम-अट जहाँ पर कोई भवन बनाना हो 2. फलोद्यान, बगीचा 1. बातमृग, बारहसिंगा 2. सूर्य का घोड़ा,-अंड: --अये दक्षिणेन वृक्षवाटिकामालाप इव श्रूयते-श० फोतों का रोग, अंडकोषवृद्धि,- अतिसारः शरीरगत 1, इसी प्रकार पुष्प, अशोक आदि / वाय के विकृत होने से उत्पन्न पेचिश,-अयम् पत्ता, पाटीवाट+डी ] 1. वह भूखण्ड जहाँ पर कोई भवन --- अयन: घोड़ा, (नम्) 1. खिड़की, झरोखा-मा० बनाया है 2. घर, आवास स्थान 3. अहाता, बाड़ा रा११, कु० 759, रघु०६।२४,१३२२१ 2. अलिन्द, 4. उद्यान, उपवन, फलोद्यान -- वाटीभुवि क्षिति- द्वारमण्डप 3. मंडवा मंडप, - अयुः बारहसिंगा,-अरिः भुजाम् -आश्व० 5 5. सड़क 6, पानी रोकने के एरण्ड का वृक्ष, - अश्वः बहुत तेज चलने वाला घोड़ा, लिए लकड़ी के तहतों का बांध 7. एक प्रकार का -आमोवा कस्तूरी,-आलिः (स्त्री०) भंवर,-- आहत अन्न। (वि०) 1. हवा से हिलाया हुआ 2. गठिया रोग से वाट्या, वाट्यालः, वाट्याली [ वाटी+यत्+टाय, वाटी ग्रस्त, आहतिः (स्त्री०) हवा का प्रचंड झोंका, +अल+अण्, वाट्यालय+डीष् ] एक पौधे का -ऋद्धिः (स्त्री०) 1. वाय की अधिकता 2. गदा, नाम, अतिबला। मुद्गर, लोहे की स्याम से जटित लाठी,-कर्मन बाद (भ्वा० आ० वाडते) स्नान करना, गोता लगाना / (नपुं०) पाद मारना,-कुंडलिका मूत्ररोग जिसमें पाडवः [ वडवाया अपत्यं वडवानां समूहो वा अण् ] मूत्र पीडा के साथ बूंद-बूंद उतरता है,-कुंभ: हाथी 1. बडवानल 2. ब्राह्मण,--वम् घोड़ियों का समूह / का गंडस्थल,--केतुः धुल, केलिः 1. प्रेमरसयुक्त सम० -अग्निः, -- अनलः समुद्र के भीतर रहने वाली बातचीत, प्रेमियों की कानाफंसी 2. प्रेमी या प्रेमिका आग। के शरीर पर नख क्षत,--गल्मः 1. आँधी, अंधड़ 2. पाडवेयः [ वडवा+ढक ] 1. साँड़ 2. घोड़ा, यो (पुं०, गठिया, ज्वरः विषाक्त वायु से उत्पन्न बुखार द्वि०व०) दोनों अश्विनी कुमार। ध्वजः बादल,-पुत्रः भीम, हनुमान्, पोथः,-पोथक: बारव्यम् [वाडद+यन् ब्राह्मों का समूह ! पलाश का वृक्ष, ढाक का पेड़,-प्रकोपः वायु की बाढ दे० 'बाढ'। अधिकता,-प्रमी (पुं०, स्त्री०) तेज चलने वाला पण दे० 'बाण'। हरिण,-मंडली भंवर,-मगः वेग से दौड़ने वाला पाणिः (स्त्री०) वण्-+इण्] 1. बुनना 2. जुलाहे की हरिण,-रक्तम्,-शोणितम् तीक्ष्ण गठिया,-रंग: __ खड्डी, करघा / गूलर का वृक्ष,---रूषः 1. तूफान, प्रचंड हवा, आँधी पाणिजः [वणिज्+अण् (स्वार्थ)] व्यापारी, सौदागर / 2. इन्द्रधनुष 3. रिश्वत,---रोगः,-व्याधिः गठिया का बाणिज्यम् वणिज्ष्या ] व्यापार, बनिज, लेन देन / रोग,-वस्तिः (स्त्री०) मूत्ररोकना,-वृद्धिः (स्त्री०) पाणिनी [वण-+-णिनि+डीप्] 1. चतुर और धूर्त स्त्री अंडकोष की सूजन,..- शीर्षम् पेडू, शूलम् उदर पीड़ा 2. नर्तकी, अभिनेत्री 3. मत्त स्त्री (शा. या आलं. के साथ अफारा होना, सारथिः आग / रूप से) शृङ्गारप्रिय स्वेच्छाचारिणी स्त्री-रघु० वातकः [वात +कन्] 1. उपपति, जार 2. एक पौधे का नाम। For Private and Personal Use Only