________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वादिशः (पुं०) विद्वान् पुरुष, ऋषि, विद्याव्यसनी। वापनम् [वप्+णिच् + ल्युट्] 1. बुवाना 2. मंडन, क्षौर / वाग्रम् [वद्+णिच् -- यत्] 1. बाजा 2. बाजे की ध्वनि | वापति (भू० क.कृ.) [व+णि क्त] 1. बोया हुआ रघु० 16164, (वाद्यध्वनिः --मल्लि)। सम०-करः 2. मुंडा हुआ। संगीतज्ञ, -भांडम् 1. बाजों का समूह, वाद्य यंत्रों का वापिः,-पी (स्त्री०) [वप्+इ वा जीप ] कुआं, बावड़ी ढेर 2. मृदंग आदि बाजे। पानी का विस्तृत आयताकार जलाशय --बापी वाए , वाध, वाधक, वाधन-ना, वाधा दे० 'बाध्, बाध, चास्मिन्मरकतशिलाबद्धसोपानमार्गा-मेघ० 76 / बाधना-ना, बाधा। सम०-हः चातक पक्षी। वाघु (धू) क्यम् [वधु (धू)+यत्, कुक्] विवाह / वाम (वि.) [वम्ण, अथवा वा+मन् ] बायाँ (विप० वाध्रीणसः [-वार्षीणस, पृषो०] गैंडा / दायाँ) विलोचनं दक्षिणमंजनेन संभाव्य तद्वंचितवामवान (वि.) वन+अण 1. खिला हुआ, 2. (हवा से) नेत्रा-रघु० 718, मेघ० 78, 96 2. बाई ओर स्थित सूखा हुआ, शुष्क 3. जंगली, -नम् 1. सूखा फल या विद्यमान-वामश्चायं नदति मधुरं चातकस्ते सगंधः (पुं० भी) 2. (हवा का) चलना 3. जीना -मेघ०९ (वामेन क्रिया विशेषण के रूप में इसी अर्थ 4. लुढ़कना, हिलना-जुलना 5. गन्ध द्रव्य, खुशबू को प्रकट करता है- उदा० वामेनान वटस्तमध्य6. वृक्षों का समूह या झुरमुट 7. बनना 8. तिनकों से गजनः सर्वात्मना सेवते - काव्य०१०) 3. (क) बनी चटाई 9. घर की दीवार में छिद्र / उलटा, विरुद्ध, विरोधी, विपरीत, प्रतिकूल-तदहो वानप्रस्थावाने वनसम हे प्रतिष्ठते - स्था+क] 1. अपने कामस्य वामा गतिः - गीत० 12. मा०९।८, भट्टि. धार्मिक जीवन के तीसरे आश्रम में प्रविष्ट ब्राह्मण 6 / 17, (ख) विरुद्ध-कार्य करने वाला, विपरीत प्रकृति 2. वैरागी, साघु 3. मधूक वृक्ष 4. पलाश वृक्ष, ढाक / का,- श०४।१८, (ग) कुटिल, वक्रप्रकृति, दुराग्रहीं, वानरः [वानं वनसंबंधि फलादिकं राति गृहति रा+क, हठी,-श०६4. दृष्ट, दुर्वत्त, अधम, नीच, कमीना वा विकल्पेन नरो वा] बन्दर, लंगूर / सम० अक्षः कि० 11024 5. प्रिय, सुन्दर, लावण्यमय - जैसा कि जंगली बकरा,-आवातः लोध्र नामक वृक्ष -इन्द्रः 'वामलोचना', -मः 1. सजीव प्राणी, जन्तु 2. शिव सुग्रीव या हनुमान्, प्रियः खिरनी (क्षीरिन् ) का पेड़ / 3. प्रेम का देवता, कामदेव 4. सांप 5. औड़ी, ऐन, वानलः [वान बनभावं निविडतां लाति ला+क] तुलसी स्त्री की छाती,-मम् धनदौलत, जायदाद / सम० का पौधा (काली तुलसी)। -आचारः,-मार्गः तांत्रिक मत में प्रतिपादित अनवानस्पत्यः [वनस्पति -प्या] वह वृक्ष जिसका फल ष्ठानपद्धति, -- आवर्तः शंख जिसका घुमाव दाई ओर से उसकी मंजरी से उत्पन्न होता है, उदा० आम का पेड़ / बाईं ओर को गया हो,--उद-ऊह (स्त्री०) सुंदर वाना [वान-टाप] बटेर, लवा / जंघाओं वाली स्त्री,--दृश् (स्त्री) (मनीहर आँखों से वानायुः [=वनायुः पृषो०] भारत के उत्तर-पश्चिम में युक्त) स्त्री,--देवः 1. एक मुनि का नाम 2. शिव का स्थित देश / सम-जः वनाय घोड़ा अर्थात् बनायु नाम,---लोचना मनोहर आँखोंवाली स्त्री-विरूपाक्षस्य देश में उत्पन्न घोड़ा। जयिनीस्ताः स्तुवे वामलोचना:-काव्य० 10, रघु० बानीरः [वन्--ईरन +अण्] एक प्रकार का बेंत-स्मरामि 19 / 13,- शील (वि.) कुटिल या वक्र प्रकृति का वानीरगृहेषु सुप्तः ---रघु० 13135, मेघ० 41, मा० (लः) कामदेव का विशेषण। 9 / 15. रघु० 13 / 30, 16 / 21 / वामक (वि.) [वाम+कन् ] 1. बायाँ 2. विपरीत, बानीरकः [वानीर+कन्] मूंज नामक घास, एक प्रकार विरुद्ध - मा०२८ (यहाँ दोनों अर्थ अभिप्रेत हैं)। का नड। वामन (वि.) [वम्-+-णिचु+ल्युट्] 1. (क) कद में बानेयम् [वन+तु] एक सुगंधित घास, मोथा। छोटा, ठिंगना, बोना छलवामनम् -- शि० 13 / 12 बातम (भ० क. कृ.) [वम्+क्त] 1. के को गई, थूका | - (ख) (अतः) स्वल्प, ह्रस्व, थोड़ा, लंबाई में कम गया 2. उगला गया, प्रक्षिप्त, उंडेला हआ। सम० वामनाचिरिव दीपभाजनम् - रघु० 19 / 51, कथ कथं -अदः कुत्ता। तानि (दिनानि) च वामनानि-न० 22157 2. विनत, बांतिः (स्त्री०)वम्+क्तिन्] 1. वमन 2. प्रक्षेप, उगाल। नम्र-शि० 13 / 12 3. दृष्ट, नीच, ओडा,-नः सम० ---कृत, द बमन कराने वाला। 1. बौना, ठिंगना-प्रांशुलभ्ये फले लोभादुबाहुरिव बान्या [वन यत् +टा] उपवनों या जंगलों का समूह / कामनः .. रघु० 113, 10160 2. विष्णु का पांचवां वापः [वप्+घञ्] 1. बीज बोना 2. बुनना 3. क्षौरकर्म अवतार जन उन्होंने बलि राक्षस को विनम्र करने के करना, बाल मुंडना * मनु० 11 / 108 / सम०-दण्डः / लिए बौने के रूप में जन्म लिया, (दे० बलि)-छलयति जुलाहे का करषा। विक्रमणे बलिमदभतवामन पदनखनीरजनितजनपावन क्तिन्] 1. वर असम.कृत For Private and Personal Use Only