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उबटन,-आवरणम् ढाल,-उत्सावनम् सुगंधित पदार्थों 'गंधर्व विवाह') 3. सामवेद का उपवेद जो संगीत से से शरीर को साफ करना, कर्षण (वि०) शरीर को संबंध रखता है 4. घोड़ा,-म गंधयों की कला अर्थात कृश या दुर्बल बनाने वाला-मार्जनी तोलिया,-यष्टिः गाना-बजाना,-कापि बेला चारुदत्तस्य गान्धर्व श्रोतुं दुबला पतला शरीर--रघु० ६८१,-हम् रोंगटे, गतस्य–मुच्छ०३। सम-वित्त (वि.) जिसके बाल, लता दुबला-पतला और सुकुमार शरीर, मन पर गंधर्व ने अधिकार कर लिया है,-शाला इकहरा बदन, संकोचिन् (पुं०) झाऊ चूहा, साही संगीतभवन, गायनालय। (उछलते या छलांग लगाते समय यह अपने शरीर को | गान्धर्व (वि) कः [गांधर्व+कन, गन्धर्व+ठक] गया। सिकोड़ लेता है-इसीलिए यह नाम पड़ा),-संप्लवः | गान्धारः [गन्ध+अण् =गान्ध++अण् । भारतीय सरछोटा पक्षी, गोताखोर ।
गम के सात प्रधान स्वरों में तीसरा (संगीत के संकेतों गायः [गै+थन् ] गीत, भजन ।
में बहधा 'ग' से प्रकट किया जाता है) 2. सिंदूर गायक:-विक: [गै+थकन, गाय+ठन् ] 1. संगोतवेत्ता, | 3. भारत और पर्शिया के बीच का देश, वर्तमान कंधार
गया 2. पुराणों अथवा धार्मिक काव्यों का लय के 4. उस देश का नागरिक या शासक । साथ गायन करने वाला।
| गान्धारिः गान्ध+ +इन] शकुनि का विशेषण, दुर्योधन गावा [गाथ+टाप् ] 1. छन्द 2. धार्मिक श्लोक या छन्द का मामा।
जो वेदों से संबंध न रखता हो 3. श्लोक, गीत 4. एक ] गान्धारी [गान्धारस्यापत्यम्-इञ ] गांधार के राजा सुबल
प्राकत बोली। सम...कारः प्राकृत काव्यकार।। की पुत्री तथा धृतराष्ट्र की पत्नी (गांधारी के १०० गाधिका [गाथा+कन्+टाप, इत्वम् ] गीत, श्लोक पुत्र--एक दुर्योधन तथा ९९ उसके भाई-हुए। --याश०११४५।
उसके पति धृतराष्ट्र अंधे थे इसलिए वह सदैव अपनी गाष (भ्वा० आo-गाधते, गाधित) 1. खड़ा होना, आँखों पर पट्टी बांधे रखती थी (संभवतः अपने आप
ठहरना, रहना 2. कूच करना, गोता लगाना, डबकी को अपने पति की स्थिति में लाने के लिए), जब लगाना-गाधितासे नभो भूयः -- भट्टि० २२२२, कौरव सबके सब मर गये तो गांधारी और धृतराष्ट्र ८1१3. खोजना, तलाश करना, पूछ-ताछ करना अपने भतीजे युधिष्ठिर के साथ रहे) ।
4. संकलित करना, गुथना या धागे में पिरोना। | गान्धारेयः [गान्धार्या अपत्यम्-तुक] दुर्योधन का विशेषण । गाव (वि.) [गा+घश ] तरणीय, जो बहुत ठहरा | गान्धिकः [गन्ध-+-ठक] 1. सुगंधित द्रव्यों (इतर तेल फलेल
न हो, उथला-सरितः कुर्वती गाघाः पथश्चाश्यानकर्द- आदि) का विक्रेता, गंधी 2. लिपिकार, करणिक, मान्--रघु० ४।२४, तु० अगाध,-धम् 1. उथली या -कम् सुगंधित द्रव्य (इतर तेल फुलेल आदि) छिछली जगह, घाट 2. स्थान, जगह 3. लालसा, -पण्यानां गान्धिकं पण्यं किमन्यैः काञ्चनादिक:-पंच. अतितृष्णा 4. पेंदी।
१२१३ । गाषिः,गाधिन (पं.) गा+इन्, गाघ-+ इनि] विश्वा- | गामिन (वि. गिम णिति (केवल ममास के अंत में मित्र के पिता का नाम (वह इन्द्र का अवतार तथा
प्रयुक्त) 1. जाने वाला, घूमने वाला, सैर करने वाला राजा कौशाम्ब के पुत्र के रूप में उत्पन्न माना जाता -वैदिशगामी-मालवि. ५, मगेन्द्रगामी-रघु० है)। -जः,-नन्दनः-पुत्रः विश्वामित्र का विशेषण,
२।३०, शेर की चाल चलने वाला-कुब्ज-पंच० --नगरम्-पुरम् कान्यकुब्ज (वर्तमान कन्नौज) का
२१५, अलस' अमरु ५१ 2. सवारी करने वाला विशेषण।
--द्विरद-रघु० ४।४ 3. जाने वाला, पहुँचनेवाला, पाषेयः गाधि+ढक विश्वामित्र की उपाधि ।
लागू करने वाला, संबंध रखने वाला-ननु सखीगामी गानम् [गै+ल्युट्] गाना, भजन, गीत।
दोषः-श० ४, द्वितीयगामी न हि शब्द एष नः मान्त्री [गन्त्री+अण्+डीप्] बैलगाड़ी।
-रघु० ३।४९ 4. नेतृत्व करने वाला, पहुँचने वाला, गान्दिनी गो+दा+णिनि, पृषो०] 1. गंगा का विशेषण घटने वाला--चित्रकूटगामी मार्गः, कर्तुगामि क्रिया
2. काशी की एक राजकुमारी, स्वफल्क की पत्नी फलम् 5. संयुक्त-सदृशभर्तगामिनी--मालवि. ५ तथा अक्रूर की माता। सम०-सुतः 1. भीष्म 6. देनेवाला, सौंपने वाला--श०६, याज्ञ० २।१४५ । 2. कार्तिकेय तथा 3. अक्रूर का विशेषण।
गाम्भीर्यम् [गम्भीर+ष्य] 1. गहराई, थाह (जल या गान्धर्व (वि.) (स्त्री०-ची) [गन्धर्वस्येदम्-अण] गंधों ध्वनि आदि को) 2. गहराई, अगाधता (अर्थ या
से संबंध रखनेवाला,-4: 1. गायक, दिव्य गवैया चरित्र आदि की)-समुद्र इव गाम्भीर्य-रामा०, शि. 2. आठ प्रकार के विवाहों में से एक-गान्धर्वः समया- | श५५, रघु० ३१३२। म्मियः-याशं० १११६१, (व्याख्या के लिए दे० । गायः [गै+घा गाना, भजन, गीत-याज्ञः ३१११२ ।
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