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( ५३३ )
अमरु ४२ 2. उत्सुक 3. दृढ़, प्रगाढ़ (आलिंगन आदि)- कुचकुंभनिर्भरपरीरंभामतं बांछति - गीत. ५, परिरध्य निर्भरम् ... गीत०१ 4. गाढ़, गहरा (नींद आदि) 5, (समास के अन्त में) भरा हुआ, आनन्द०, गर्व० आदि (रम) अधिकता (अव्य०-- रम्) 1. अत्यधिक, अत्यंत, वहत 2. खब, चैन से-, । भाग्य (वि०) भाग्यहीन, दुर्भाग्यपूर्ण भूति (वि०) बेगार में काम करने वाला,--मक्षिक (वि०) । 'मक्खियों से मुक्त' निधि, निर्जन, एकांत (अब्ध
म्) विना मक्खियों के अर्थात एकान्त, निर्जन-- कृतं भवतेदानीं निर्मक्षिकम् ... श० २१६,.. मत्सर (वि.) ईर्ष्यारहित, ईर्ष्या न करने वाला, मत्स्य (वि०) जहाँ मछलियां न हों,-..मद (वि.) 1. जो | नशे में न हो, संजीदा, गंभीर, शान्त 2. अभिमानरहित, विनीत 3. (हाथी की भाँति) मदजल से रहित,- मनुज,-मनुष्य (वि०) मनुष्यों से रहित, गैर-आबाद, मनुष्यों द्वारा परित्यक्त,. मन्यु (वि०) बाह्य संसार के सब प्रकार के संबंधों से मक्त, जिसने सब सांसारिक बंधनों को तिलांजलि दे दी है, संसार मिव निर्ममः (ततार) रघु० १२१६०, भग० २०७१, ३।३०, 2. उदासीन (अधि. के साथ)---निर्मम निर्ममाऽर्थेप मधुरां मधुराकृतिः ....रघु०१५।२८, प्राप्तेप्वर्थप निर्ममा:-महा०,-मर्याद (वि.) 1.मीगारहित, अपरिमित 2. औचित्य की सीमा का उल्लंघन करने वाला, अनियंत्रित, उदंड, पापमय, अपराधीमनुजपशुभिनिर्मर्यादैर्भवद्धिदायवैः-वेणी० ३१२२, --- मल (वि.) 1. मैल और गन्दगी से मुक्त 2. स्वच्छ, शुद्ध,अकलप, निष्कलंकित (आलं. भी) धोरात्रिर्मलतो जनिः... भामि० ११६३ 3. निप्पाप, सद्गुणसंपन्न, मनु० ८।३१८ (लम्) 1. कहानी 2. देवता के | चढ़ावे का अवशेप, उपलः स्फटिक, मशक (वि०) मच्छरों से मुक्त, -मांस (वि०) मांसारहित-- मानुष (वि०) जो वमा हुआ न हो, निर्जन, - मार्ग (वि.) मार्ग रहित, पथशून्य,—मुटः 1. सूर्य 2. बदमाश (टम) वह बाजार या मेला जहाँ कर या चुंगीन । लगे,-मूल 1. (वृक्ष आदि) बिना जड़ का 2. निराधार, आधारहीन (वक्तव्य या दोपारोप आदि)। 3. उन्मलित,- मेघ (वि.)नि भ्र, बादलों से रहित, -मेध (वि०) जिसे समघ न हो, निर्बुद्धि, जड़, . मूर्ख, मन्दबुद्धि,.. मोह (वि.) माया या छल से मुक्त, “यत्न (वि.) निश्चेप्ट, उद्यमहीन - यंत्रण . (वि०) 1. जहां कोई नियंत्रण न हो, निर्वाध, नियंत्रणरहित, प्रतिबन्धशन्य, 2. उदंड, स्वेच्छाचारी, स्वतन्त्र (णम्) प्रतिवन्धशन्यता, स्वतन्त्रता,-यशस्क (वि०) जिसकी कीति न हो, अकीतिकर, लज्जा-:
जनक युथ (वि.) जो अपने दल से बिछड़ गया हो, (हाथी की भांति) यूथभ्रष्ट,-- रयत (नीरषत) (वि०) बिना रंग का, फीका, रज, रजस्क (वि०) (नीरज, नीरजस्क) 1. धूल से मुक्त, 2. रागशुन्य अन्धकार शून्य, रजस् (वि०) (नीरजस्) दे० 'नीरज' (स्त्री०) रजस्वला न होने वाली स्त्री, तमसा राग या अन्धकार का अभाव, रंध्र (वि०) (नोरंध्र) 1. जिममें छिद्र न हों, अत्यन्त सटा हुआ, संसक्त, साथ लगा हुआ - उत्तर० २।३ 2. निविड, सघन 3. मोटा, स्थूल,- रव (वि०) (नीरव) शब्दरहित, ध्वनिशन्य - रघु० ८1५८,- रस (वि०) (निरस) 1. स्वादरहित, बेमजा, रसहीन 2. (अलं.) फीका, काव्य सौन्दर्य से विहीन-नीरसानां पद्यानाम् -~~-सा०द० १ 3. सूखा, रूखा, शुष्क-शृंगार०९ 4. व्यर्थ, बेकार, निष्फल, अलब्धफलनीरसान् मम विधाय तस्मिन् जने-विक्रम० २।११ 5. अरुचिकर, 6. क्रूर निष्ठूर (सः) अनार,--रसन (वि०) (नीरसन) विना मेखला या कटिसूत्र के (रसना)-- कि० ५।११, - रुच् (वि०) (नीरुच) कान्तिहीन, म्लान, धूमिल,----,-रुज (वि०.) (नीरज, नीरुज) रोग से मुक्त, स्वस्थ, अरोगी--नीरजस्य किमीपर्धः-हि०१, ---रूप (वि०) (नीरूप) रूपरहित, निगकार---रोग (वि.) (नीरोग) रोग या बीमारी से मुक्त, स्वस्थ, अरोगी,--- लक्षण (वि.) 1. अशुभ चिह्नीं से युक्त, अमंगलकारी (मनहूस) सूरतशक्लवाला 2. जिसकी प्रसिद्धि न हो 3. अनावश्यक, निरर्थक 4. बेदाग,
-लज्ज (वि.) बेशर्म, बेहया, नीठ,... लिंग (वि०) जिसमें कोई परिचायक चिह्न न हो... - लेप (त्रि.) 1. जो लिपा हुआ न हो, जिस पर मालिग न की गई हो-मनु० ५।११२ 2. निष्कलंक, निप्पाप, --लोध (वि) लालच से मुक्त, लाभ-हित,
-लोमन् (वि०) जिसके बाल न हों, बालों से शन्य,-वंश (वि.) जिसका वंश उच्छिन्न हो गया हो, निःसन्तान, वण,-.-वन (वि.) i. बन से बाहर 2. वन से रहित, नंगा, खुला हुआ,- बसु (वि०) धनहीन, गरीव,--वात (वि०) वायु से सुरक्षित या मुक्त, शान्त, चुपचाप,-रघु०१५।६६, (तः) बायु के प्रकोप से मक्त स्थान, वानर (वि०) बंदरों से मुक्त, --वायस (वि०) कौओं से सुरक्षित,--विकल्प,-विकल्पक, (व.) 1. विकल्प से रहित 2. जिसमें दृढ़ संकल्प या निश्चय का अभाया है 3. पारस्परिक संबंध से विहीन 4. प्रतिवन्धय बत 5. कर्ता, कर्म या ज्ञाता तथा ज्ञेय के विवेक से रहित एक प्रकार का प्रत्यक्ष ज्ञान जिसमें किसी विपय का केवल इसी रूप में ज्ञान होता है कि यह कुछ है। जिस प्रकार कि समाधि की
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