________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 783 ) महतः) [ मह+अति ] 1. बड़ा, वृहद् विस्तृत, / महनीय (वि.) [ मह --अनीयर | सम्मान के योग्य, विशाल, विस्तीर्ण -महान सिंहः व्याघ्रः आदि 2. आदरणीय, प्रतिष्ठित, श्रीमान्, यशस्वी, उदात्त, पुष्कल, यथेष्ट, विपुल, बहुत से,असंख्य-महाजनः, श्रेष्ठ-महनीय शासनः-रघु० 3269, महनीयकोतिः महान्, द्रव्यराशिः 3. लम्बा, विस्तारित, व्यापक, ----2225 / महांती बाहू यस्य स महाबाहुः इसी प्रकार महती महंतः[ मह --झन् ] किसी पद का मुख्याधिष्ठाता। कथा, महानध्वा 4. हृष्टपुष्ट, बलवान्, ताकतवर महद (महस) (अव्य) [ मह --अरु] भूलोक से ऊपर जैसे महान् वीर: 5. प्रचंड, गहन, अत्यधिक महती | के लोकों में से चौथा लोक (स्वर और जनस के शिरोवेदना, महती पिपासा 6. स्थूल, निबिड, सघन | बीच का लोक) (इसी अर्थ में 'महर्लोक' शब्द भी)। - महानंधकारः 7. महत्त्वपूर्ण, गुरुतर, भारी मह- | महल्लः, महल्लिकः [ अरबी भाषा से व्यत्पन्न शब्द महत् कार्यमपस्थितम, महती वार्ता 8. ऊँचा, उन्नत, | +ला+क] राजा के अन्त:पुर में रहने वाला प्रमुख,पूज्य, उदात्त महत्कुलम्, महान् जनः खोजा या हिजड़ा। 9. उत्ताल-महान घोषः, ध्वनिः 10. सबेरे | महल्लकः [ महल्ल+कन् ] निर्बल, कमजोर, पुराना, या देर से महति प्रत्यूषे, 'प्रातःकाल सबेरे' .....क: 1. राजा के अन्तःपुर का खोजा या हिजड़ा महत्यपराले 'दोपहर बाद देर में' 11. ऊँचा-महार्घ | बिशाल भवन, महल / (पुं०) 1. ऊंट 2. शिव का विशेषण 3. (सांख्य में) महस (नपुं०) [ मह +असुन ] 1. उत्सव, त्योहार का महत्तत्त्व, बुद्धि तत्त्व (मन से भिन्न) सांख्य द्वारा अवसर 2. उपहार, आहुति, यज्ञ 3. प्रकाश, आभा माने गये पच्चीस तत्त्वों में से दूसरा मनु० 12 / 14, ---कल्याणानां त्वमसि महसां भाजनं विश्वमत-मा० सां० 3 / 8 / 22 आदि नपुं० 1. बड़प्पन, अनन्तता, 1 / 3, उत्तर० 4.10 4. सात लोकों में से चौथा असंख्यता 2. राज्य, उपनिवेश 3. पवित्रज्ञान (अव्य०) ___-दे० 'महर'। बहुत अधिक, अत्यधिक, बहुत ज्यादा, अत्यन्त (विशे० महस्वत, महस्विन (वि०) [ महस+मतुप, विनि वा ] महत्' शब्द तत्पुरुष समास के प्रथम पद के रूप में भव्य, उज्ज्वल, चमकीला, प्रकाशयुक्त, आभामय / तथा कुछ अन्य स्थानों पर अपरिवर्तित ही रहता है, महा [ मह - घ+टाप् ] गाय / परन्तु कर्मधारय और बहुव्रीहि समासों में बदल कर महा [ कर्म० स० और ब० स० में प्रथम पद के रूप में, 'महा' बन जाना है)। सम०-आवासः विशालभवन, तथा कुछ अन्य अनियमित शब्दों के आरम्भ में . आशा ऊँची आशा,..--आश्चर्य (वि.) अत्यंत प्रयुक्त 'महत' का स्थानापन्न रूप] (विशे० उन आश्चर्यजनक,---आश्रयः बड़ों का सहारा, बड़ों की समस्त शब्दों की संख्या जिनका आदि पद 'महा' है, शरण,-कथ (वि.) बड़ों द्वारा कथित या उल्लिखित, बहत अधिक है; तथा और अनेक शब्द वन सकते बड़े लोगों के मुंह में,-क्षेत्र (वि०) विस्तृत प्रदेश पर हैं, उनमें से अपेक्षाकृत आवश्यक या जो कोई विशिष्ट अधिकार करने वाला, ताच्वम् सांख्यों के पच्चीस अर्थ युक्त हैं, नीचे दिए गए हैं) / सम-अक्षः शिव तत्त्वों में से दूसरा,-बिलम् अन्तरिक्ष, सेवा बड़ों का विशेषण,--अंग (वि.) स्थूल, महाकाय (गः) की सेवा,-स्थानम् ऊँचा स्थान, उन्नत स्थान / 1. ऊँट 2. एक प्रकार का वूहा, चूंस 3. शिव का महती [ महत+ङीष ] 1. एक प्रकार की वीणा 2. नारद नामान्तर,-अंजनः एक पहाड़ का नाम,--अत्ययः को वीणा ...अवेक्षमाण महती मुहुर्मुहुः-शिशु० 1110 संकट का भारी खतरा, * अध्वनिक (वि०) 'दूर तक 3. सफेद बैगन का पौधा 4. बड़प्पन, महत्त्व। गया हुआ' महाप्रयात, मृत, अध्वरः बड़ा यज्ञ, - अनमहत्तर (वि०) [ महत्+तरप् ] अपेक्षाकृत बड़ा, विशाल सम् भारी गाड़ी (--- सः, ---सम्) रसोई, .. अनुभाव ---र: 1. प्रधान, मुख्य या सबसे बड़ा व्यक्ति अर्थात (वि०) महाप्रतापी, ओजस्वी, उदात्त, यशस्वी, सम्माननीय पुरुष-उत्तर० 4 2. कंचुकी या राज महाशय, उदार, श्रीमान्-शि० शि० 1117, श० भवन का महाप्रतिहार 3. दरबारी 4. गाँव का मुखिया 3 2. गुणवान् ईमानदार, धर्मात्मा, (वः) प्रतिष्ठित या सबसे बड़ा आदमी। या आदरणीय व्यक्ति,—अंतक: 1. मत्य 2. शिव का महत्तरकः [ महत्तर-+-कन् ] दरबारी आदमी, किसी राज- विशेषण,-अंधकारः 1. घोर अन्धेरा 2. आध्यात्मिक भवन का महा प्रतिहार / अज्ञान,--अंध्राः (ब० व०) एक देश और उसके महत्त्वम् [ महत्+त्व ] 1. बड़ापन, विशालता, विस्तुति, अधिवासियों का नाम,---अन्वय,- अभिजन (वि०) महाविस्तार 2. शक्तिमत्ता, विभूति, ऐश्वर्य 3. आव- उत्तम कुल में उत्पन्न, सत्कुलोद्भव (यः,- नः) श्यकता 4. उन्नत अवस्था, ऊँचाई, उन्नयन 5. गह- उत्तम जन्म, ऊँचा कुल, अभिषवः सोम का नता, प्रचण्डता, ऊँचा परिमाण / अत्यन्त खींचा हुआ रस,-अमात्यः (राजा का) मुख्य For Private and Personal Use Only