________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir fr रोपणम् [रुह --णिच् + ल्युट हस्य पः] 1. सीधा खड़ा | से रोओं से युक्त, पशमदार या ऊर्णामय,-शः 1 भेड़, करना, जमाना, उठाना 2. पौध लगाना 3. स्वस्थ / मेंढा 2. कुत्ता, सूअर / होना, 4. (व्रण आदि पर) स्वास्थ्यप्रद औषध का | रोरुदा [रुद्+यह+अ+टाप् प्रचंडक्रंदन, अत्यन्त विलाप प्रयोग। - लुठचन् सशोको भुविरो रुदावान् -- भट्रि० 3 / 32 / रोमकः [रोमन् / कन्] 1. रोम नाम का नगर 2. रोम-रोलम्बः [रो लम्ब्+अच्] भौंरा-तस्या रोलम्बावली वासी, रोम नगर का निवासी (ब०व० में)। सम० केशजालं--दश०, भामि० 11118 / / .... पत्तनम् रोम नगर, सिद्धान्तः पाँच मुख्य सिद्धान्तों रोषः [रुष---घा] क्रोध, कोप, गुस्सा-रोषोऽपि निर्मलमें से एक (रोमवासियों से प्राप्त होने के कारण ही धियां रमणीय एव - भामि० 1171, 44 / संभवतः इसका यह नाम पड़ा)। रोषण (वि०) (स्त्री०-णी) [रुष्+युच्] क्रोधी चिड़रोमन् (नपुं०) [रु+मनिन् मनुष्य और अन्य जीव जंतुओं चिड़ा, गुस्सैल, आवेशी,-ण: 1. कसौटी 2. पारा के शरीर पर होने वाले बाल, विशेषतः, छोटे-छोटे 3. बंजर पड़ी हुई रिहाली जमीन / बाल, कड़े बाल-- मनु० 41144, 8 / 116 / सम० रोहः [रुह+अच्] 1. उठान, ऊँचाई, गहराई 2. किसी अङ्कः बाल का चिह्न, - बिभ्रती श्वेतरोमाङ्कम् चीज़ का ऊपर उठाना (जैसे कि एक छोटी संख्या ...- रघ० १२८३,-अञ्चः (हर्षातिरेक, बिभीषिका या ___को बड़ी संख्या बनाना) 3. वृद्धि, विकास (आलं०) आश्चर्य आदि में) पुलक, रोंगटे खड़े होना हर्षाद्भु 4. कली, बौर, अंकुर / तभयादिभ्यो रोमाञ्चो रोमविक्रिया-सा० द० 167, | रोहणः [रुह. + ल्युट्] लंका के एक पहाड़ का नाम,–णम् ..-अञ्चित (वि.) हर्ष के कारण पुलकित, अन्तः सवार होने, सवारी करने, चढ़ने और स्वस्थ होने हथेली की पीठ पर के बाल, .. आली,-आवलिः, की क्रिया। सम०-द्रुमः, चन्दन का पेड़ / -ली (स्त्री०) रोमों की पंक्ति जो पेट पर ठीक | रोहस्तः [रुहेः झन् वृक्ष, ती लता। नाभि के ऊपर को गई हो—शिखा धूमस्येयं परिण- रोहिः रिह +इन 1. एक प्रकार का हरिण 2. धार्मिक मति रोमावलिवपुः-काव्य० 10, दे० 'रोमराजि' भी, पुरुष 3. वृक्ष 4. बीज। -उद्गमः,-उद्भवः (शरीर पर) बालों का खड़ा | | रोहिणी [ रुह +इनन्-+ ङीष् ] 1. लाल रंग की गाय होना, पुलक, रोमांच --कु० 777, .. कूपः, --- पम्, 2. गाय-शि० 1640 3. चौथा नक्षत्रपुंज (जिसमें -गर्तः, चमड़ी के ऊपर के छिद्र जिनमें रोम उगे हों, पाँच तारे हैं) जिसकी आकृति 'गाड़ी की है, दक्ष लोमछिद्र, केशरम्,-केसरम् मुरछल, चंवर,-पुलकः की एक पुत्री जो चन्द्रमा की अत्यन्त प्रिय संगिनी रोंगटे खड़े होना, हर्षातिरेक-चौर० 34, * भूमिः है-उपरागान्ते शशिनः समुपगता रोहिणी योगम 'बालों का स्थान' अर्थात् खाल, चमड़ी,-रन्ध्रम् रोम- -श० 7 / 22 4. वसुदेव की एक पत्नी तथा बलराम कूप, राजिः, --जी, लता (स्त्री०) पेट पर ठीक की माता का नाम 5. तरण कन्या जिसे अभी रजोधर्म नाभि के ऊपर रोमावली -- रराज तन्वी नवरो (लो)- होना आरंभ हुआ है- नववर्षा च रोहिणी 6. बिजली / मराजि:-० 138, शि० ९।२२,-विकारः, सम० पतिः,---प्रियः,-वल्लभ:---रमण: 1. सांड --विक्रिया,-विभेवः पुलक, रोमांच,-कि० 9 / 46, 2. चन्द्रमा, शकटः 'गाड़ी' की आकृति का रोहिणी कु० 5 / 10, -हर्षः बालों या रोंगटों का खड़े होना, नक्षत्रज-रोहिणी शकटमर्कनन्दनश्चोद्भिनत्ति रुधिरोपुलक वेपथुश्च शरीरे मे रोमहर्षश्च जायते----भग० ऽथवा शशी-पंच० 1213 (-वराह० 47.14) / 229, - हर्षण (वि०) पुलक या रोमांच करने वाला, रोहित (वि०) (स्त्री० रोहिणी, रोहिता) [रुहेः इतन् रोंगटे खड़े कर देने वाला, विस्मयोत्पादक-एतानि रश्च लो वा] लाल, लालरंग का,-तः 1. लाल रंग खल सर्वभूतरो (लो) महषणान-"उत्तर लो) महर्षणानि -... उत्तर० 2, संवाद 2. लोमड़ी 3. एक प्रकार का हरिण 4. मछली की मिममश्रौषमद्भुतं रोमहर्षणम-भग०१८।७४ (-णः) एक जाति, तम् 1. रुधिर 2. जाफरान, केसर। सूत का नामान्तर, व्यास का एक शिष्य जिसने सम० - अश्वः अग्नि / शौनकमुनि को कई पुराण सुनाये थे, (-णम्) शरीर रोहिषः [रुह,+इषन्] 1. एक प्रकार की मछली 2. एक पर रोंगटे खड़े होना, पुलक / प्रकार का हरिण / रोमन्थः [रोग मध्नाति-मन्थ्+अण, पृषो० गलोपः] / रोक्ष्यम् [रूक्ष+ष्य] 1. कठोरता, सूखापन, अनुपजा 1. जुगाली करना, खाये हुए घास को चर्वण करना, ऊपन 2. खुरदुरापन, कर्कशता, क्रूरता प्रतिषेधरीछायाबद्धकदम्बकं मुगकुलं रोमन्थमभ्यस्यतू ---श०२।८ क्ष्यम् -रघु० 5 / 58, निदेश° 14158 / 2. (अतः) लगातार पिष्टपेषण। रौद्र (वि.) (स्त्री०-बा, बी) [रुद्र+अण्] 1. "रुद्र जैसा रोमश (वि०) [रोमाणि सन्त्यस्य श] बालों वाला, बहुत प्रचंड, चिड़मिड़ा, गुस्सैल 2. भीषण, बर्बर, भयानक, For Private and Personal Use Only