________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 2. स्वेच्छाचारिणी स्त्री 3. जिह्वा / सम० --प्रियः। चारी, विषयासक्त 3. प्रिय, सुन्दर मनोहर, प्रांजल, कदंब का पेड़। - सलीलाललितललितज्योत्स्नाप्रायरकृत्रिमविभ्रमः ललनिकाललना+कन+टाप इत्वमा छोटी स्त्री, अभागी (अंगकैः) उत्तर० 120, विधाय सृष्टिं ललितां स्त्री-काव्या० 3150 / विधातुः- रघु० 6 / 37, 19439, 811, मा० 1115, ललन्तिका [लल+शतु+की+कन्+टाप्, ह्रस्वः ] कु० 375, 6 / 45, मेघ० 32,64 4. सुहावना, __ 1. लंबी माला 2. छिपकली। लावण्यमय, रुचिकर, बढ़ियां-प्रियशिष्या ललिते ललाकः [लल+आकन्] पुरुष का लिंग, जननेन्द्रिय / कलाविधी-रघु०८।६७, संदर्शितेव ललिताभिनयस्य ललाटम् [लड़+अच् डस्य लः, ललमटति अट्+अण् वा] शिक्षा-मालवि० 4 / 9, विक्रम० 2118 5. अभीष्ट मस्तक -लिखितमपि ललाटे प्रोज्झितुं कः समर्थः 6. मृदु, कोमल -- शि० 7 / 64 7. थरथराता हुआ, -हि० श२१, नं० 115 / सम०--अक्षः शिव का कम्पायमान,–तम् 1. क्रीडा, रंगरेली, खेल 2. श्रृंगार विशेषण,-तटम् मस्तक का मुलान, माथा,-पट्टः, परक विनोद, गतिलावण्य, स्त्रियों में प्रीति विषयक पद्रिका 1. मस्तक का सपाट तल 2. (तेहरा) शिरो- हावभाव-शि० 9/79, कि०१०१५२ 3. सौन्दर्य, वेष्टन, त्रिमुकुट, सिर की चोटी, केशबंध,-लेखा लावण्य, आकर्षण 4. कोई भी प्राकृतिक या स्वाभामस्तक की रेखा। विक क्रिया 5. सरलता, भोलापन / सम-अर्ष ललाटकम् [ललाट+कन्] 1. मस्तक 2. सुन्दर माथा / (वि.) सुन्दर या प्रीतिविषयक अर्थ वाला--विक्रम ललाटन्तप (वि०) [ललाट+तप्+खर, मुम्] 1. (मस्तक) २११४,--पव (वि.) प्रांजलरचनायुक्त--श० 3, को जलाने या तपाने वाला ललाटन्तपस्तपति तपन: -प्रहारः मृदु या कोमल आघात। मा० 1, उत्तर०६, 'सूर्य ऊपर ठीक सिर पर चमक | ललिता [ललित+टाप्] 1. स्त्री 2. स्वेच्छाचारिणी रहा है'-ललाटन्तपसप्तसप्ति:-रघु 13 / 41 2. (अतः) स्त्री 3. कस्तूरी 4. दुर्गा का एक रूप 5. विभिन्न बहुत पीडाकर ...लिपिर्ललाटन्तपनिष्ठ राक्षरा-नै० छन्दों के नाम सम,--पञ्चमी आश्विनशक्ल का पांचा 11138, --पः सूर्य / दिन,-सप्तमी भाद्रपद के शुक्लपक्ष का सातवां दिन / ललाटिका [ललाट+कन्+टाप, इत्वम्] 1. मस्तक पर लवः [ल+अप्] 1. उत्पाटन, उल्लंचन 2. कटाई, पहना जाने वाला आभूषण, टीका 2. मस्तक पर (पके अनाज की) लावनी 3. अनुभाग, टुकड़ा, खण्ड, चन्दन का या अन्य किसी सुगंधित चूर्ण का तिलक कवल या ग्रास 4. कण, बंद, अल्पमात्रा, थोड़ा (इस -कु० 5 / 55 / अर्थ में प्रायः समास के अन्त में-जललवमुचः-मेघ० ललाटूल (वि०) उन्नत और सुन्दर मस्तकवाला / 20,70, आचामति स्वेदलवान् मुखे ते-रघु०१३।२०, ललाम (वि०) (स्त्री०---मी) [लड़+क्विप्, डस्य लत्वम्, 6 / 57, 16166, अश्रु०१५।९७, अमृत०-कि० 5 / 44, तम् अमति--- अम् +अण्] सुन्दर, प्रिय, मनोहर, भ्रूक्षेपलक्ष्मीलवक्रीते दास इव-गीत० 11, इसी -मम् मस्तक का आभूषण, टीका, सामान्य अलंकार प्रकार तृण, अपराध ज्ञान, सूख घन आदि (इस अर्थ में पुं० भी) अहं तु तामाश्रमललामभूतां 5. ऊन, पशम 6. क्रीडा 7. समय का सूक्ष्म विभाग शकुन्तलामधिकृत्य ब्रवीमि-श० 2, शि० 4 / 28 (-एक निमेष का छठा भाग) 8. किसी भिन्न राशि 2. कोई भी श्रेष्ठ वस्तु 3. मस्तक का तिलक 4. चिह्न, अंश 9. (ज्योति० में) घात 10. हानि, विनाश प्रतीक, तिलक 5. झण्डा, पताका 6. पंक्ति, माला, 11. राम का एक पुत्र, यमल (जोड़वा) में से एकरेखा 7. पंछ 8. अयाल, गरदन के बाल 1. प्राधान्य, दूसरे का नाम कुश था, लव का अपने भाई मर्यादा, सौन्दर्य 10. सींग,--मः घोड़ा। कूश के साथ वाल्मीकि मुनि के द्वारा पालनपोषण ललामकम् [ललाम+कन्] फूलों का गजरा जो मस्तक पर हुआ, सभास्थल आदि स्थानों में पाठ करने के लिए धारण किया जाता है। दोनों को महा कवि द्वारा रामायण की शिक्षा दी गई, ललामन् (नपुं०) लल+इमनिन] 1. अलंकार, आभूषण, (इस नाम की व्युत्पत्ति के लिये दे. रघु० 15132), 2. (अतः) कोई भी अपने प्रकार की श्रेष्ठवस्तु --वम् 1. लौंग, 2. जायफल,-वम् (अव्य०) कुछ, -कन्याललाम कमनीयमजस्य लिप्सो:-रघु० 5 / 64 थोड़ा सा-लवमपि लवङ्गेन रमते-सरस्वती०१। 'कन्याओं में श्रेष्ठ या अलंकारभुत' 3. झंडा पताका लवङगः गल+अङ्गच] लौंग का पौधा-द्वीपान्तरानीत4. साम्प्रदायिक चिह्न, तिलक, संकेत, प्रतीक ___ लवङ्गपुष्पैः-रघु० 6 / 57, ललित लवनगलता परि6. पूंछ। शीलन कोमल मलयसमीरे--गीत० १,-गम् लौंग। ललित (वि.) [लल+क्त] 1. क्रीड़ासक्त, खेलने वाला, सम० - कलिका लौंग / / इठलाने वाला 2. शृंगारप्रिय, क्रीडाप्रिय, स्वेच्छा- | लवङ्गकम् [लवङ्ग+कन्] लौंग / लवक्रीते दाम१७, अमृत. , इसी प्रकार पशम 6. क्रीडा,जान, सुख For Private and Personal Use Only