________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तत्संबंधी कोई संस्कार 3. जन्मदिन का उत्सव 4. कोई। बौछार सुरभि सुरविमुक्तम् पुष्पवर्ष पपात रघु. सामान्य उत्सव जब समृद्धि की मंगलकामनाएँ तथा 12 / 102, इसी प्रकार शरवर्ष:, शिलावर्षः, तथा बधाइयों की अभिव्यक्ति की जाती है। लाजवर्षः आदि 3. वीर्यपात 4. वर्ष, साल (प्रायः वधित (भू० क० कृ०) [वृध+णिच्+क्त ] 1. विकसित नपुं०) इयन्ति वर्षाणि तया सहोंग्रमभ्यस्यतीव व्रतमा बढ़ा हुआ 2. विस्तृत किया हुआ, विशाल बनायाहुआ। सिथारम्-रघु० 13167, न ववर्ष वर्षाणि द्वादश वषिष्णु (वि.) [वृध+इष्णुच.] विकसित होने वाला, दक्षशताक्षः--दश०, वर्षभोग्येण शापेन-मेघ० 1 बढ़ने वाला, फलने फूलने वाला / 5. सृष्टि का प्रभाग, महाद्वीप (इस प्रकार के प्रायः पध्रम् [वृघ्+रन् ] 1. चमडे का तस्मा या पट्टी 2. चमड़ा नौ महाद्वीप गिनाये गये हैं...1. कुरु 2. हिरण्मय 3. सीसा। 3. रम्यक 4. इलावृत 5. हरि 6. केतुमाला 7. भद्राश्व वधिंका, वनी [वर्ध+छीष्, वधी+कन्+टाप, ह्रस्व ] 8. किन्नर और 9. भारत) एतद्गुढगुरुभारभारतं चमड़े का तस्मा या पट्टी। वर्षमद्य मम वर्तते वशे-शि० 1415 6. भारतवर्ष, वर्मन (नपुं०) [आवृणोति अंगम-+मनिन् ] 1. कवच, हिन्दुस्तान 7. बादल (हेमचन्द्र के अनुसार केवल पुं०) / जिरहक्रूतर-स्वहृदयमर्मणि वर्म करोति सजल- सम-अंशः,-अंशकः,-अंगः महीना, मास,-अंबु नलिनीदलजालम्-गीत०४, रघु० 4 / 56, मुद्रा० (नपुं०) बारिश का पानी,-अयुतम् दस हजार वर्ष 2 / 8 2. छाल, वल्कल, पुं० क्षत्रियों के नामों के साथ --अचिस् (पुं०) मंगलग्रह, अवसानम् शरद् ऋतु, लगने वाला एक प्रत्यय -..-यथा चंडवर्मन्, प्रहारवर्मन् -अघोष: मेंढक,-आमदः मोर,-उपलः ओला, करः तु० दास। सम-हर (वि०) 1. कवचधारी बादल (-री) झींगुर,-कोशः,-पः 1. मास, महीना 2. इतना बड़ा जो कवच धारण कर सके (अर्थात् 2. ज्योतिषी,-गिरिः,-पर्वतः 'वर्ष-पहाड़' अर्थात् युद्ध में भाग लेने के योग्य)-सम्यग्विनीतमथ वर्महरं वह पर्वतश्रृंखला जो सृष्टि के भिन्न भिन्न प्रभागों को कुमारम्-रघु० 8 / 94 / / एक दूसरे से पृथक करती है,- (वि०) ('वर्षेज' वर्मा (पुं०) नारङ्गी का पेड़। भी) बरसात में उत्पन्न,-घर: 1. बादल 2. हिजड़ा पनिः (0) मत्स्य विशेष, वामी मछली। अन्तःपुर का रक्षक, खोजा-मालवि० 4, (इसी अर्थ बर्मित (वि.) [ वर्मन् + इतच ] जिरहबख्तर पहने हुए, | में वर्षधर्ष शब्द भी है),-पूगः वर्षों का समुच्चय, कवच से सुसज्जित / ---प्रतिबन्धः सूखा, अनावृष्टि,--प्रियः चातक पक्षी, बर्य (वि.) [ +यत् ] 1. चने जाने या छांटे जाने के - वरः हिजड़ा, अन्तःपुर का रक्षक, खोजा,-- वृद्धिः योग्य पात्र 2. सर्वोत्तम, सर्वश्रेष्ठ, मुख्य, प्रधान (स्त्री०) जन्मदिन,-शतम् शताब्दी, सौ वर्ष,-सहस्रम् (बहुधा समास के अन्त में) अन्वीतः स कतिपयः एक हजार वर्ष। किरातवयः-- कि० १२१५४,-यः कामदेवर्या 1. वह / वर्षक (वि.) [वृष ---प्रवुल्] बरसन वाला। कन्या जो स्वयं अपना पति वरण करे 2. कन्या। वर्षणम् [वृष् + ल्युट्] 1. वृष्टि, वर्षा 2. छिड़कना, बौछार, ववंट दे० 'बर्बट'। (आलं० से भी) द्रव्यवर्षणम्, 'धन की बौछार या वर्वणा दे० 'बर्बणा'। धन बखेरना। वर्वरः (वि.) [वृ+अरच्, बुट् च ] 1. हकलाने वाला | वर्षणिः (स्त्री०) [ वृष्+अनिः] 1. वृष्टि 2. यज्ञ, यज्ञ 2. बल खाता हुआ, R 1. बर्बर देश का वासी सम्बन्धी कृत्य 3. क्रिया, कर्म 4. टिकना, रहना, उटे 2. बुद्ध, प्रलापी मूर्ख 3. जातिच्यत 4. धुंघराले बाल रहना, वर्तन। 5. हथियारों की झनकार 6. नृत्य की एक भावमुद्रा वर्षा वृष्+अच+टाप्] (प्रायः स्त्री०, ब० व०) 1. बर----- रा,--री 1. एक प्रकार की मक्खी 2. वनतुलसी सात, वर्षाऋतु, वर्षावायु ग्रीष्मे पंचाग्निमध्यस्थो -रम् 1. पीला चन्दन 2. सिन्दूर 3. लोवान / वर्षासु स्थण्डिलेशयः याज्ञ. 3152, भट्टि० 71 वर्वरकम् [वर्वर-कन] एक प्रकार की चन्दन की लकड़ी। 2. बारिश, वृष्टि (इस अर्थ में एक वचन)। सम. वर्वरीकः [+ईकन, द्वेरुक अभ्यासस्य] 1. धुंघराले बाल -कालः बरसात, वर्षाऋतु, इसी प्रकार 'वर्षासमयः', 2. एक प्रकार की तुलसी 3. एक झाड़ी विशेष / --कालीन (वि०) वर्षा से उत्पन्न या संबंध रखने व' (ई) रः [ वृ-+-वुरच् पक्षे वुरच ] एक वृक्ष विशेष, वाला—भू (पुं०) 1. मेंढक 2. एक कृषि विशेष, बबूल, कीकर। इन्द्रगोप,-भः, म्बी (स्त्री०) मेंढकी या छाटा वर्षः, पम् [ वृष भावे घन कर्तरि अच् वा ] 1. वर्षा, | मेंढक, रात्रः 1. बरसात की रात 2. बरसात / बारिश, वृष्टि की बौछार विद्युत्स्तनितवर्षेषु मनु० वर्षिक (वि०) [वर्ष+ष्णिक) बरसने वाला, बौछार करने 41103 मेघ० 35 2. छिड़कना, उत्सरण, फेकना, वाला,-कम् अगर की लकड़ी। सम्बन्धी कृत्य 3. किमान 1. वृष्टि 2. यज्ञ घुघराले बाल नकार 6. नत्य मढका For Private and Personal Use Only