________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 888 ) वः [वा-न-ड] 1. वायु, हवा 2. भुजा 3, वरुण 4. सभा / की खंटी,-स्थितिः (स्त्री०) कूल की अविच्छिन्नता धान 5. संबोधित करना 6. मांगलिकता 7. निवास, -रघु० 18 / 31 / आवास 8. समुद्र 9. व्याघ्र 10. कपड़ा 11. राहु, | वंशकः [वंश-+कन्] 1. एक प्रकार का गन्ना 2. बांस का - वम् वरुण (मेदिनी)-अव्य० की भांति, के समान __ जोड़ 3. एक प्रकार को मछली,-कम् अगर की 'जैसा कि' मणी वोष्ट्रस्य लम्बेते प्रियौ वत्सतरी मम- | लकड़ी। -- सिद्धा० (यहाँ शब्द 'व' अथवा 'वा' हो सकता है)। | वंशिका [वंश ठन्+टाप्] 1. एक प्रकार की बांसुरी, वंशः [वमति उगिरति वम् +श तस्य नेत्वम् | अगर की लकड़ी। 1. बाँस-धनवंशविशद्धोऽपि निर्गणः किं करिष्यति-हि वंशी (वंश+अच।डी] 1. बांसुरी, मुरली-न वंशीप्र० 23, वंशभवो गुणवानपि संगविशेषेण पूज्यते मज्ञासीदभुवि करसरोजाद्विगलिताम-हंस० 108, पुरुषः - भाभि० 1180 (यहां 'वंश' का अर्थ 'कूल या कंसरिपोयंपोहत स वोऽधेयांसि वंशीरवः गीत० 9 परिवार' भी है) मेव० 79 2. जाति, परिवार, 2. शिरा या धमनी 3. बंसलोचन 4. एक विशेष कुटुम्ब, परंपरा-स जातो येन जातेन याति वंशः समुन्न- | तोल / सम० ..घरः,--धारिन् (पु.) 1. कृष्ण का तिम् -हि० 2, क्व सूर्यप्रभवो वंश:-रघु० 12, दे० विशेपण 2. वंशी बजाने वाला, वंशकरम, वंशस्थिति आदि 3. लाठी 4. बांसुरी, | वंश्य ( विवंशे भवः यत् 1. मुख्य शहतीर से संबंध रखने मुरली, अलगोझा या विपंचीनाड --कूजद्भिरापादित- वाला 2. मेरुदण्ड से संबंध रखने वाला 3. परिवरा वंशकृत्यं-रघु० 2 / 12 5. संग्रह, संघात, समुच्चय से संबंध रखने वाला 4. अच्छे कूल में उत्पन्न, उत्तम (प्रायः एक समान वस्तुओं का)-सान्द्रीकृतः स्यन्दन- कुल का 5. बंशवर, वंशप्रवर्तक,-श्य: 1. सन्तान परवंशचक्रः ---रघु० 739 6. आर-पार, शहतीर बर्ती (व० व०) . इतरेऽपि रपोर्वंश्या:---रघु० 15 // 7. (बांस में) जोड़ 8. एक प्रकार का ईख 9. रीढ़ / 35 2. पूर्वज, पूर्वपुरुष --नून मत्तः परं वश्या पिण्डकी हड्डी 10. साल का वृक्ष 11. लम्बाई नापने का विच्छेदशिनः रघु० 1166 3. परिवार का कोई एक विशेष माप (दस हाथ के बराबर)। सम० सदस्य 4. आरपार, शहतीर 5. भुजा या टांग की --- अङ्कम, * अङ्कुरः 1. बांस का किनारा 2. बांस का हड्डी 6. शिष्य / अंखुआ,... अनुकीर्तनम् वंशावली,-अनुक्रमः वंशावली, वंह, दे० वंह / -----अनुचरितम् एक परिवार या कूल का परिचय, ! वक् दे० बक् / -आवली, बंशतालिका, बंशविवरण,-आह्वः बंसलोचन. वकुल दे० बकुल / -कठिनः बांसों का झुरमुट,-कर (वि०) 1. कुल- बक (म्दा आo-पाते) जाना, हिलना-जुलना। प्रवर्तक 2. वंशस्थापक रघु० 18 / 31 (-रः) मूल- वक्तव्य (सं० कृ०) [ वच् +तत् ] 1, कहे जाने या पुरुष, कर्पूररोचना, रोचना, लोचना वंसलोचन, बोले जाने के योग्य, बात किये जाने या प्रकथन के तवाशीर,- कृत् पुं०) कुल संस्थापक, या वंशप्रवर्तक, योग्य - तत्तहि वक्तव्यं न वक्तव्यम् (महा० में अनेक -क्रमः वंशपरंपरा,-क्षीरी बंसलोचन,-चरितम् वार) 2. किसी विषय में कहे जाने के योग्य 3. गहकुलपरिचय,-चिन्तकः वंशावली जानने वाला, * छत्त णोय, दूषणीय, निन्दनीय 4. नोच, दुष्ट, कमीना (वि०) किसी कुल का अंतिम पुरुष,--ज (वि०) 5. स्पष्टव्य, उत्तरदायी 6. आश्रित,--व्यम् 1. बोलना, 1. कुल में उत्पन्न-रघु० 1131 2. सत्कुलोद्भव भाषण 2. विधि, नियम, सिद्धान्त वाक्य 3. कलंक, (-जः) 1. प्रजा, संतान, औलाद 2. बांस का बीज निन्दा, भर्त्सना / (-जम्) बंसलोरन, - नतिन (पुं०) नट, मसखरा, वक्त (वि०, या पुं०) [ बच्-|-तच | 1. बोलने वाला, -नाडि (लो) का बांस की बनाई बांसुरी,-नाथः किसी बातें करने वाला, वक्ता 2. वाकपट, प्रवक्ता--कि वंश का प्रधान पुरुष,--नेत्रम् ईख की जड़,--पत्रम् करिष्यन्ति बक्तारः श्रोता यत्र न विद्यते, दद्रा यत्र बांस का पत्ता (त्रः) नरकूल,..-पत्रकः 1. नरकुल वक्तारस्तत्र मौनं हि शोभनम्---सुभा० 3. अध्यापक, 2. पौंडा, गन्ने का श्वेत प्रकार, (-कम्) हरताल, व्याख्याता 4. विद्वान पुरुष, बुद्धिमान व्यक्ति। -परंपरा बंशानुक्रम, कुलपरंपरा, --पूरकम् गन्ने की | वक्तम् [ वक्ति अनेन वच-करणे ष्ट्रन् ] 1. मुख 2. चेहरा जड़, ---भोज्य (वि०) आनुवंशिक. (-ज्यम् ) आनुवंशिक यद्वक्त्रं मुहरीक्षते न धनिनां पेन चान्मपा भर्तृ० भूसंपत्ति, लक्ष्मीः (स्त्री०) कुल का सौभाग्य, विततिः 3 / 147 3. थूथन, प्रोथ, चोंच 4. आरम्भ 5. (बाण (स्त्री०) 1. परिवार, सन्तान 2. बांसों का झुरमुट, की ) नोक, किसी पात्र की टोंटी 6. एक प्रकार का ----शर्करा बंसलोचन, शलाका वीणा में लगी बाँस वस्त्र 7. अनुष्टुप् से मिलता-जुलता एक छन्द, दे० For Private and Personal Use Only