________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir होना, चमकना 2. ढकना, छिपाना (कुछ विद्वानों के | होता है-उदा० किं वा वर्णनया समस्तलटभाल मतानुसार इसी अर्थ में 'लाजयति' रूप भी बनता है)। कारतामेष्यति-८०८६, अनर्घ्यलावण्यनिधानभूमिर्न लज्ज (तुदा० आ० लज्जते लज्जित) लज्जित होना, शर्मिदा कस्य लोभ लटभा तनोति---९।६८ केशबन्धविभवर्लटहोना। भानां पिण्डतामिव जगाम तमिस्रम् 11318 / लज्जका [लज्ज+अच्+कन्+टाप् ] जंगली कपास का | लट्टः (पुं०) दुष्ट, बदमाश, दे० 'लटक'। पौधा। लदवः [लटे: क्वन्] 1. घोड़ा 2. नाचने वाला लड़का लज्जा लिज्ज-अ+टाप्] 1. शर्म-कामातुराणां न भयं 3. एक जाति का नाम,-ट्वा 1. एक प्रकार का पक्षी न लज्जा-सुभा०, विहाय लज्जाम् - रघु० 140, 2. मस्तक पर बालों का घूघर, अलक 3. चिड़िया, कु० 1148 2. शर्मीलापन, विनय --शृङ्गारलज्जां गोरैया 4. एक प्रकार का वाद्ययन्त्र 5. एक खल निरूपयति-श० 1, कु० 3 / 7, रघु० 7 / 25 3. छुईमुई 6. जाफ़रान, केसर 7. व्यभिचारिणी स्त्री। का पौधा / सम०-अन्वित (वि०) विनयशील, लडi (भ्वा० पर० लडति) खेलना, क्रीडा करना, हावशर्मीला,-आवह,--कर (वि०) (स्त्री०--रा,-री) भाव दिखलाना। लज्जाजनक, शर्मनाक, अकीर्तिकर, कलंकी, शील ii (म्वा० पर०, चुरा० पर० लडति, लड़यति) (वि०) शर्मीला शालीन,-रहित-शून्य,-हीन (वि०) 1. फेंकना, उछालना 2. कलंक लगाना 3. जीभ लपनिर्लज्ज, ढीठ, बेहया। लपाना 4. तंग करना, सताना / लज्जालु (वि०) [लज्जा+आलुच् ] विनयशील, शर्मीला iii (चुरा० उभ० लाडयति-ते) 1. लाड प्यार पुं०, स्त्री० छुईमुई का पौधा / / करना, पुचकारना, दुलारना 2. सताना / लज्जित (भू० क० कृ०) [लज्ज+क्त ] 1. विनयशील, लडह (वि०) [प्राकृत शब्द सुन्दर, मनोहर / शर्मीला 2. लजाया हुआ, शर्मिदा। लडु=लटक दे। लi (म्या० पर० लजति) 1. कलंक लगाना, निन्दा | लड्डु, लड्डुकः (पुं०) एक प्रकार की मिठाई, लड्ड, करना, बदनाम करना 2. भूनना, तलना / मोदक (चीनी, आटा, घी आदि पदार्थों को मिलाकर (चुरा० उभ० लञ्जयति-ते) 1. क्षतिग्रस्त करना, बनाये हुए गोल गोल पिंड)।। प्रहार करना, मार डालना 2. देना 3. बोलना | लण्ड (भ्वा० पर०, चुरा० उभ० लण्डति, लण्डयति-ते) 4. सबल या शक्तिशाली होना 5. निवास करना, 1. ऊपर को उछालना, ऊपर की ओर फेंकना 6. चमकना। 2. बोलना। लञ्जः [ल +अच] 1. पैर 2. घोती की लांग या किनारा | लण्डम् [लण्ड+घा] विष्ठा, मल / जो पीछे कमर में टांग लिया जाता है—तु० कक्षा | लण्डः [संभवतः फ्रेंच भाषा के लौंड्रेज़ ( Lordres) शब्द 3. पंछ / / का आधुनिक रूप] लन्दन / लज्जा लिञ्ज+टाप्] 1. चार 2. व्यभिचारिणी स्त्री | | लता [लत् - अच् +टाप्] 1. बेल, फैलने वाला पौधा 3. लक्ष्मी का नामान्तर निद्रा। . लताभावेन परिणतमस्या रूपम् - विक्रम० 4, लतेव लजिका [ल- बुल+टाप, इत्वम्] रण्डी, वेश्या / संनद्धमनोज्ञपल्लवा रघु० 3 / 7, (विशेष रूप से लट (भ्वा० पर० लटति) 1. बालक बनना 2. बालकों 'भजा' 'भौं बिजली' आदि अर्थों को प्रकट करने की तरह व्यवहार करना 3. बच्चों की भांति तोतली वाले शब्दों के साथ समास के अन्त में, सौन्दर्य, बातें करना, तुतलाना 4. क्रन्दन करना, रोना। कोमलता तथा पतलेपन को प्रकट करने के लिए लटा लट् |-अच्] 1. मूर्ख, बुद्ध 2. त्रुटि, दोष 3. लुटेरा / प्रयोग- भुजलता. बाहुलता, भ्रूलता, विद्युल्लता, इसी लटकः [लट् ---क्वन्] ठग, बदमाश, पाजी, दुष्ट / प्रकार खङ्ग, अलक आदि, तु०, कु० 2064, मेघ. लटभ (वि०) [प्राकृत 'लडह' शब्द से संबद्ध, स्वयं 'लडह' 47, श० 3.15, रघु० 9 / 45) 2. शाखा 3. प्रियंगु शब्द भी इस 'लटभ' से ही बना प्रतीत होता है। लता 4. माधवी लता 5. कस्तूरी लता 6. हंटर या कोड़े लावण्यमय, मनोहर, सुन्दर, आकर्षक, प्रिय,-अति- का सड़ाका 7. मोतियों की लड़ी 8. सुकुमार स्त्री। कान्तः कालो लटभललनाभोगसुलभः-भर्त० 3 / 32, सम०--अन्तम् फूल,-- अम्बुजम् एक प्रकार की ककड़ी, (यहाँ भाष्यकार 'लटभ' का अर्थ 'सलावण्य' करते -----अर्कः हरा प्याज, * अलकः हाथी,- आननः नाचते है), तस्याः पादनखश्रेणिः शोभते लटभभ्रवः समय हाथों की विशेष मुद्रा,-उद्गमः लता का ऊपर -- विक्रमांक० 8 / 6, बिल्हण ने इस शब्द को इसी को चढ़ना,--करः नाचते समय हाथों की विशेष मुद्रा, पुस्तक में और तीन स्थानों पर प्रयुक्त किया है जहाँ - कस्तूरिका, कस्तूरी कस्तूरी की बेल, - गहः, इसका अर्थ 'तरुणी स्त्री' या 'सुन्दरी स्त्री' प्रतीत / -हम् लतागृह, लताकुंज-कु० 4 / 41, -जिहः, For Private and Personal Use Only